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आधुनिक चिकित्सा पद्धति में प्रचलित मुद्राओं का प्रासंगिक विवेचन ...57
विधि
आकाश मुद्रा
इस मुद्रा के लिए सर्वाधिक शक्तिशाली वज्रासन में बैठें। फिर मध्यमा अंगुली के अग्रभाग को अंगूठे के अग्रभाग से मिलाकर शेष तीनों अंगुलियों को सीधी रखने पर आकाश मुद्रा बनती है।
निर्देश - आकाश मुद्रा का अभ्यास वज्रासन में प्रथम बार 16 मिनट तक ही करें। फिर धीरे-धीरे अभ्यास द्वारा 48 मिनट तक किया जा सकता है। सुपरिणाम
• यह महत्त्वपूर्ण चमत्कारिक मुद्रा है। यह मुद्रा कई बीमारियों में गुणकारी है। इससे कैल्सियम की पूर्ति होकर हड्डियों को पोषण मिलता है। स्टीरोइडस और कोर्टीझन लेने वाले दर्दी को उस दवाई की असर से बचाती है। कान का बहना, कान का दर्द, कम सुनना, बहरापन आदि कर्ण रोग ठीक हो जाते हैं तथा कर्णेन्द्रिय शक्ति विकसित होती है। दांत की तकलीफ भी दूर होकर दाँत मजबूत बनते हैं ।
मध्यमा अंगुली और हृदय का गहरा सम्बन्ध होने से हृदय सम्बन्धी