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34... आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे?
प्रपन्नपारिजाताय, तोत्रवेत्रे पाणये।
ज्ञानमुद्राय कृष्णाय, गीतामृत दुहे नमः ।। 1.2. ज्ञान ध्यान मुद्रा
यह ज्ञान मुद्रा का दूसरा प्रकार है। इसमें ज्ञान मुद्रा पूर्वक ध्यान मुद्रा में स्थिर होने का प्रयोग किया जाता है। इस मुद्रा का उद्देश्य ध्यान साधना के अंतिम सोपान को स्पर्श करना है। विधि
सर्वप्रथम पद्मासन अथवा सुखासन में बैठकर दोनों हाथों से पूर्ववत ज्ञान मुद्रा करें। फिर बायीं हथेली पर दाहिनी हथेली रखकर, दोनों हाथों को नाभि के समीप रखने पर ज्ञान-ध्यान मुद्रा बनती है।
निर्देश- इस मुद्रा का प्रयोग पद्मासन अथवा सुखासन में 48 मिनट तक किया जाना चाहिए।
जान ध्यान मुद्रा