Book Title: Abhakshya Anantkay Vichar Author(s): Pranlal Mangalji Publisher: Jain Shreyaskar Mandal MahesanaPage 14
________________ १ पहले प्रकरण में - बाइस अभक्ष्यों पर मुद्देसर (सूक्ष्म) विवेचन | २ दूसरे प्रकरणमें-चलित रस । ३ तीसरे प्रकरण में - ३२ बत्तीस अनंतकाय । ४ चौथे प्रकरण में - भक्ष्याभक्ष्यका परिमित समय । ५ पांच में प्रकरण - अति हिंसा के कारण से वर्ण्य पदार्थ | ६ छट्टे प्रकरणमें - उन्हाळा में और चातुर्मास में, तथा गीले होने से और चौमासा होने से वर्जित पदार्थ । ७ सातवें प्रकरणमें- चालू वापरने में आनेवाली ( हमेश आनेवाली ) वनस्पतियें और उस विषय में रखने योग्य विवेक । ८ आठवें प्रकरण - व्रतधारिओंको कई एक उपयोगी सूचनाएं | ९ नवमें प्रकरण में - श्रावक के घर में तथा वर्तन में पालने योग्य कुछ नियम । १० दसवें प्रकरणमें-श्राविकाओं के योग्य सूचनाएं । ११ इग्यारहवें प्रकरणमें- सम्मूर्छिम जीवकी दया पालने के विषय में विचार । १२ बारहवें प्रकरणमें- श्री कुमारपाल महाराज के बारह व्रत । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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