Book Title: Aakruti Nidan
Author(s): Lune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
Publisher: Hindi Pustak Agency

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ४ ] स्वीकार किया। पहले फरमेका प्र ूफ संयोगवश उसी दिन आया जिस दिन मेरी जेलयात्राका आरम्भ था । पैकट मेरे घर बेखुला रह गया। चौदह मास यह काम अगत्या स्थगित रहा, क्योंकि कापीका एक अंश उसी पैकटमें था । किसोने उसे खोलकर देखा नहीं । उसका पता कूने के अनुरागियों को भी न लगा । बिना मेरे उसका छपवाना भी प्रकाशकोंको मंजूर न था। मेरे मुक्त होनेपर नये सिरे से इस काममें हाथ लगाया गया । शोकके साथ लिखना पड़ता है कि इस कार्यके यशोभाजन श्री चंडीप्रसादजी खेतान केवल इक्कोस वर्षकी अवस्था में इसी बीच दिवंगत हो गये । यह प्रतिभाशाली होनहार युवक कलकत्ता विश्व- परीक्षालय में बी० ए० में १८ वर्षकी व्यवस्था में प्रथम हुआ, विश्व- परीक्षालय के पूर्वगत प्रथमोंसे भी ऊंचे अंक पाये। गणित में विशेषता पायो । सन् १६२२ में बी० एल० में विश्वपरीक्षालय में खेतान जी द्वितीय हुए। सालभर पढ़नेसे स्वास्थ्य बिगड़ चला था । देहरादून गये थे, वहीं कूतेकी चिकित्सा अनुराग हुआ । बी० एल० हुए दो ही प्रास हुए थे कि १२ मप्रैलको मृत्यु हो गयी । अपूर्व मानसिक प्रतिभा और विलक्षण मस्तिष्कपर प्राणशक्ति निछावर हो गयी । स्वाभाविक जीवन के लिये यह भी एक शिक्षाप्रद उदाहरण है । आकृति निदान अपने ढंग की अनूठी चीज है। उसी तरह कूनेकी "नवीन चिकित्सा प्रणाली" वा "नया आरोग्य साधन" जलचिकित्साको अत्युत्तम विधियोंका प्रतिपादन है जिसकी For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 160