Book Title: Aahar Aur Aarogya
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 8
________________ (६) आहार और आरोग्य ( आहार शरीर की मूल आवश्यकता है । षट् पर्याप्तियों में सर्वप्रथम आहारपर्याप्ति है । जीव एक स्थान से दूसरे स्थान पर जब पैदा होता है तब वह सर्वप्रथम आहार ग्रहण करता है । अनाहारक स्थिति तो संसारस्थ प्राणियों की तीन समय से अधिक नहीं है । वह भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर उत्पन्न होते समय या केवली समुद्घात के समय होती है । शेष समय वह आहार करता है । शरीर का पहला रोग है - भूख, और इस भूख को मिटाने के लिए आहार अनिवार्य है । आहार से शरीर में ओज, तेज, उत्साह और जीवनी शक्ति की वृद्धि होती है, किन्तु यह ध्यान रखना है कि जो आहार मनुष्य की जीवनी शक्ति बढ़ाने वाला है, उसको स्वस्थ, बलवान और दीर्घजीवी रखने वाला

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