Book Title: Aahar Aur Aarogya
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 39
________________ (३७) लिए हानिकारक है। कुपथ्य: पथ्य का अभिप्राय वह भोजन अथवा भोज्य पदार्थ है, जो शरीर में जाकर रस, रक्त बनाने में तुरन्त सक्षम हो, शरीर जिसे चाहे, सुरुचिपूर्ण ढंग से ग्रहण करे । वैद्य भी रोगी को पथ्य बताते समय इसी बात का ध्यान रखता है। - इसके विपरीत कुपथ्य वह भोज्य पदार्थ है, जिसे शरीर सुरुचिपूर्वक ग्रहण न करे, इसका विरोध करे । जो भोजन रस-रक्त-ओज-तेज में परिणत न होकर शरीर में विकार बढ़ाता है, वह कुपथ्य कहलाता है। ___ कुपथ्य के प्रति भिन्न-भिन्न प्रकार से शरीर अपनी प्रतिक्रिया करता है । कारण यह है कि उस भोजन को शरीर अपने अनुकूल नहीं पाता, उसे बाहर निकालना चाहता है । अथवा मानव को चेतावनी देता है कि ऐसा आहार न किया जाय ।

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