Book Title: Aahar Aur Aarogya
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 61
________________ (५९) ४. अधिक गर्म भोजन करने से प्यास अधिक लगती है और अधिक ठंडा भोजन दुष्पाच्य हो जाता है, अतः ऐसा भोजन करें जो न अधिक गर्म हो और न एकदम ठंडा हो। ५. भोजन करने से पहले देव-गुरु-धर्मइष्टस्मरण अवश्य करें । इससे मन शांत होगा, कषाय कम हो जायेगी । भोजन का रस शांतिदायी बनेगा। ६. अपच होने पर भोजन न करना ही हितावह है। ७. भोजन करते समय मौन रखें । यह आरोग्य की दृष्टि से भी उत्तम है। ८. स्थिर चित्त से शांतिपूर्वक भोजन करने से अनेक लाभ होते हैं। वैद्यों व स्वास्थ्यज्ञानियों का कहना है-आधा पेट खाद्य पदार्थों से भरें, एक चौथाई भाग पानी से भरे और उदर का चौथा भाग वायु संचरण के लिए खाली रखें । यह आहार की उचित मात्रा है। इस प्रकार भोजन करने से उदर संबंधी विकार

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