Book Title: Aahar Aur Aarogya
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 66
________________ (६४) आवश्यकता नहीं पड़ती, वह सदा नीरोग रहता है । इस प्रकार आहार एवं आरोग्य विषय पर चिन्तन करने से यह स्पष्ट होता है कि• शाकाहार ही मानव का प्राकृतिक भोजन है । • शाकाहार में भी सात्विकता, शुद्धि और समयानुकूलता का विवेक रखना जरूरी है । आहार के साथ ही उपवास, एकाशन, ऊनोदरी, रात्रिभोजनपरिहार ये ऐसी व्यवस्थाएँ हैं जो धार्मिक दृष्टि से तो उत्तम हैं ही, आरोग्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं । • आहार शुद्धि के साथ विचार शुद्धि, व्यवहार शुद्धि - ये तीनों बातें मिलकरआरोग्य की रक्षा करते हैं और शान्तिपूर्ण दीर्घ जीवन की गारन्टी भी देते हैं ।

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