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आवश्यकता नहीं पड़ती, वह सदा नीरोग रहता है ।
इस प्रकार आहार एवं आरोग्य विषय पर चिन्तन करने से यह स्पष्ट होता है कि• शाकाहार ही मानव का प्राकृतिक भोजन है ।
• शाकाहार में भी सात्विकता, शुद्धि और समयानुकूलता का विवेक रखना जरूरी है ।
आहार के साथ ही उपवास, एकाशन, ऊनोदरी, रात्रिभोजनपरिहार ये ऐसी व्यवस्थाएँ हैं जो धार्मिक दृष्टि से तो उत्तम हैं ही, आरोग्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं ।
• आहार शुद्धि के साथ विचार शुद्धि, व्यवहार शुद्धि - ये तीनों बातें मिलकरआरोग्य की रक्षा करते हैं और शान्तिपूर्ण दीर्घ जीवन की गारन्टी भी देते हैं ।