Book Title: Aahar Aur Aarogya
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 58
________________ (५६) भक्ष्य का विवेक, रात्रि-भोजन-त्याग के पश्चात् अब थोड़ा सा भावना और भोजन के समय की सावधानियों पर भी विचार करें १. भावना होती है, मन की शुभाशुभ प्रवृत्ति । भोजन करते समय सदा शुभ भावना ही रखें । अनेक लोगों को भोजन करते समय पुस्तकें व अखबार पढ़ने की तथा वार्तालाप करने की आदत होती है, इससे कभी-कभी तो उनको यह भी पता नहीं चलता कि वे क्या खा रहे हैं, उसका क्या स्वाद है ? स्वास्थ्य की दृष्टि से इस प्रकार खाने से रस नहीं बनता, भोजन में रुचि व ध्यान रहने से खायी जाने वाली वस्तु को अच्छी प्रकार से देख भी सकते हैं, कहीं सब्जी में कीड़े या मच्छर चले जायें तो बातों आदि में क्या पता चलेगा ? अतः पुस्तकें व अखबार के पढ़ने से व वार्तालाप से मन के विचार भी उनसे प्रभावित होते

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