Book Title: Aahar Aur Aarogya
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 50
________________ (४८) इसीलिए जैन आहार में भक्ष्या भक्ष्य का विशेष ध्यान रखा जाता है-यहाँ तक कि पानी भी छानकर ही प्रयोग में लाया जाता है-भोजन बनाने में भी और पीने में भी । अनछाने पानी का उपयोग जैन नहीं करता। . यद्यपि आधुनिक युग में कुछ स्थलों पर वाटरवर्क्स (जलनिगम) छानकर और क्लोरीन आदि के संयोग से शुद्ध और कीटाणु रहित करके पेयजल बनाकर नलों में पाइपलाईन द्वारा सप्लाई करता है. हमने स्वयं देखा है कि नल के पानी को छानने पर कई बार त्रस जीव (क्षद्रजीव) निकलते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि बड़े शहरों में गटरपाईप और स्वच्छ जल की पाइप लाइन समानान्तर पास-पास ही भूमिगत पड़ी होती हैं, कभी-कभी लीकेज होने से दोनों लाइन जुड़ जाती हैं और स्वच्छ पेयजल अस्वच्छ अपेयजल हो जाता है । इसके अतिरिक्त लम्बे समय तक पानी की टंकी में

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