Book Title: Aahar Aur Aarogya
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 37
________________ (३५) २. अति मीठा ३. कुपथ्य ४. अति मात्रा इन चारों को एक शब्द में निषिद्ध आहार भी कहा जा सकता है। गरिष्ठ आहारः गरिष्ठ का अभिप्राय इतना भारी भोजन, जिसे शरीर का पाचन संस्थान सरलता से हजम न कर सके । शास्त्रीय भाषा में ऐसे भोजन को राजसिक और तामसिक कहा गया है। गरिष्ठ आहार में तले हुए पदार्थ तथा चटपटे मसालेदार पदार्थों की गणना की जाती है । बाजार में हलवाइयों के बने हुए भोज्य पदार्थ गरिष्ठ होते हैं । मिठाई, नमकीन आदि सभी प्रकार के पदार्थ इसमें सम्मिलित हैं। इन पदार्थों के दो बड़े दोष हैं : १. शरीर में आलस्य उत्पन्न करना २. पाचन संस्थान में गड़बड़ी करना।

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