Book Title: Aahar Aur Aarogya
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

View full book text
Previous | Next

Page 20
________________ (१८) और मांस शीघ्र ही मल के रूप में बाहर निकल जाता है। __इसके विपरीत शाकाहारियों की आंतें लम्बी होती हैं, भोजन का सही ढंग से परिपाक होता है, रस बनता है और फिर निस्सार पदार्थ मल के रूप में शरीर से बाहर निकलता है। सबसे बड़ी बात यह है कि मांसाहारी भी जन्मतः मांसाहारी नहीं होते । सिंह सबसे क्रूर प्राणी है और मूलतः वह मांसाहारी कहा जाता है । लेकिन सिंह शावक जन्म से ही मांस नहीं खाता, अपनी मां शेरनी का दूध पीता है, उसी के आधार पर ही वह जीवित रहता है । कुत्ते आदि सभी के लिए ऐसा ही है। वस्तुतः मांस इतना दुष्पाच्य पदार्थ है कि मांसाहारी पशुओं के शिशु भी उसे हजम नहीं कर पाते । इसलिए मांस को भोज्य पदार्थ तो कहा ही नहीं जा सकता।

Loading...

Page Navigation
1 ... 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68