Book Title: Aahar Aur Aarogya
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 17
________________ (१५) फैली हुई हैं । दूषित व तामसिक खान-पान के कारण हत्याएं, संघर्ष, अशान्ति और उत्तेजनाएँ अधिक रहती हैं । मांसाहारी भोजन करने वाले प्रायः स्वभाव से उग्र, चंचल तथा बहुत शीघ्र उत्तेजित होने वाले होते हैं । श्रम करने पर शीघ्र थक जाते हैं । उनमें मानसिक एकाग्रता की कमी रहती है । दयालुता, सहयोग भावना के स्थान पर क्रूरता, स्वार्थवृत्ति और छल छद्म का प्राधान्य होता है | क्या मांस को भी आहार कहा जा सकता है ? यद्यपि यह सत्य है कि संसार में ऐसे भी मनुष्य हैं जो मांसभोजी हैं, अंडे भी खाते हैं, लेकिन आहार और आहार के गुणों की दृष्टि से विचार किया जाय तो मासाहार आहार की कोटि में नहीं आता । उसमें न तो ये गुण ही हैं और न पोषक तत्त्व ही हैं जो आहार की अनिवार्य आवश्यकताएँ हैं । मांसाहार से स्वास्थ्य निर्माण का तो प्रश्न ही

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