Book Title: Aahar Aur Aarogya
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 15
________________ (१३) उत्साह का संचार होता है तथा शरीर स्वस्थ व मन प्रसन्न रहता है। २. यह रोग, आलस्य, जड़ता की वृद्धि नहीं करता। ३. यह सुपाच्य होता है । ४. इससे आयु, सत्व, तेज, स्मृति आदि की वृद्धि होती है। आहार के दो रूपः आहार उसे कहा जाता है-जिससे क्षुधा की तृप्ति हो, शरीर में शक्ति का संचार हो और मन में प्रसन्नता की अनुभूति हो । इस परीक्षण प्रस्तर पर कसने से यह लगता है कि ये सब गुण शाकाहारी भोजन में ही उपलब्ध हो सकते हैं। आहार दो प्रकार का होता है- एक प्राकृतिक दूसरा अप्राकृतिक । प्रकृति अर्थात् भूमि-जल-धूप-वनस्पति आदि से उत्पन्न होने वाला आहार प्राकृतिक है । इसके विपरीत किसी पशु-पक्षी प्रभृति प्राणी का मांस, या अंडा आदि, अप्राकृतिक आहार की

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