Book Title: $JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book Author(s): Pramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah Publisher: JAINA Education Committee View full book textPage 9
________________ Jain Education International करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा घर की आवश्यक वस्तुयें, सफाई के साधन, सौंदर्य प्रसाधन, दवा एवं धार्मिक पूजा विधि में करते हैं। इस पुस्तक का ध्येय ही यह है कि समस्त प्राणियों के प्रति आचरित उच्च तकनीकी यांत्रिकी निर्दयता के प्रति पाठकों में दया के भाव (भावुक्ता) जागृत हों । इस पुस्तक के लेख पढ़ कर आपको निश्चित रूप से ज्ञात होगा कि प्राणियों के प्रति क्रूरता अमरीका, भारत एवं उसके छोटे-बड़े शहरों में एवं समग्र विश्व में समान रूप से विद्यमान हैं। हम सब डेयरी पदार्थों (दूध, दहीं, खाँ, घी, पनीर मक्खन, आइस्क्रीम आदि) ऊन तथा रेशमी वस्त्रों का उपयोग करके प्राणियों के प्रति की जाने वाली निर्दयता के सीधे समर्थक बनते हैं । भारतीय प्रजा दयालू और शिक्षित हैं । उन्हें चाहिए कि प्राणियों के प्रति मात्र भावनात्मक रूप से नहीं अपितु प्राणियों को उनके ढंग से जीने की स्वतंत्रता प्रदान कर उन्हें स्वयं की भाग्यदशा (प्राकृतिक) के अनुरूप प्रथय देकर मदद करनी चाहिए। पाठकों से हमारा विनम्र अनुरोध है उन्हें डेयरी उत्पादन ( पूजा हेतु दूध, मिठाई, दीपक के लिए घी) रेशन, ऊन, बरख का जैन मंदिरों एवं धार्मिक विधि-विधानों के कार्यक्रमों में उपयोग नहीं करना चाहिए। संपूर्ण वनस्पतिजन्य खाद्य पदार्थों का ही उपयोग करना चाहिए। विविध लेखों में प्रस्तुत जानकारी अनेक वर्षों में विविध स्रोतों द्वारा एकत्र की गई है। सविशेष हमने महत्वपूर्ण जानकारी PETA (Inrid Newkrik), ब्यूटी विधाउट क्रुएल्टी (भारत), डॉ. नील दी बर्नार्ड की पुस्तकें कैसेट होन रोबिन्स के लेख एवं साहित्य, डॉ. डीन ऑरनीस, डॉ. नरेन्द्र सेठ, संगीताकुमार एवं डॉ. क्रिष्टोफर चेपल से प्राप्त की है । अहिंसा, वातावरण के संदर्भ में जीवन पद्धति, पर्यावरण एवं करुणा के क्षेत्र में अनेक एवं अन्य महानुभावों के प्रदान हेतु हम सबके आभारी है। इय योजना में निरंतर प्रोत्साहित करनेवाले गुरुदेव श्री चित्रभानुजी के हम विशेष ऋणी है। हमें आशा है कि इस पुस्तक का भारत एवं अन्य देशों में विपुल प्रमाण में प्रचार होगा एवं विशाल जनसमूह को प्रशिक्षित एवं जागृत करने का हमारा मूल ध्येय सिद्ध होगा। यदि आपके पास सविशेष जानकारी हो या कोई सूचन हो या आपको हमारे लेखों में कहीं त्रुटियाँ दिखाई दें तो हमारा ध्यान आकर्षित करने की प्रार्थना है । इस लेखों का निरंतर परिमार्जन करते रहेंगे । इस पुस्तक के समस्त लेखों का संकल जून 2000 में अंग्रेजी में प्रकाशित 9 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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