Book Title: $JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Author(s): Pramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
Publisher: JAINA Education Committee

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Page 24
________________ करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा उन्होंने उपाय किये हैं। विशाल माँस के कारखानों में अब बेक्टिरिया को नष्ट करने के लिए पशुओं के मुर्दे पर पानी की बाष्प का छिडकाव किया जाता है। वे लोग नियमित रूप से बेक्टेरिया का पता लगाने के लिए माँस का निरीक्षण करते हैं। जिसके लिए चेकपोस्ट स्थापित किये हैं। साथ ही माँस भक्षी लोग माँस को बराबर पकाकर खाते हैं और स्वयं का रक्षण करते हैं। अलबत्त जो लोग माँस के उत्पादन को कत्ल या हिंसा नहीं मानते ऐसे लोगों की भी कुछ समस्यायें हैं। सर्वाधिक शोषित करने की वस्तु प्राणी ही है ऐसा यह उद्योगपतियों का निर्दय विचार अनेक लोगों में अशांति उत्पन्न करने वाला है। यह याद रखें कि फ्लोर वेक्ष या लिपस्टिक के निर्माण हेतु प्राणियों का वध नहीं किया जाता। ८० से ९० प्रतिशत गाय सा सुअर का माँस तो लोग ही खा जाते हैं। पिछले एक दशक में पशुओं के मूल्य इतने नीचे स्तर पर पहुँच गये हैं कि गत सप्ताह प्रमुख क्लिन्टन को माँस की मूल्यवृद्धि के प्रयत्न भी करने पड़े। माँस उत्पादकों को अधिकाधिक नफा कैसे प्राप्त हो उसके लिए प्रयत्नशील थे। ब्रीटर का कथन है- “गौण उत्पादन का विक्रय ही उद्योगकारों के लिए नफा और नुकशान के बीच का अंतर है अंतर है एवं ग्राहक को माँस खाना चाहे अनुकूल या प्रतिकूल कुछ भी हो।” डॉ. बर्न्स आगे कहते हैं- “यदि हम गौण उत्पादन के बाजार का विकास नहीं करेंगे तो हमें उसका निपटारा (निकास) करना ही पडेगा जिससे अन्य समस्यायें उत्पन्न होगी।" यदि मनुष्य अपने प्रिय रेस्टोरां के रसोईघर में एकबार झाँक कर देखें तो अधिकांश लोग घर ही रसोई बनाना पसंद करेंगे और यदि माँस पेकिंग करने के स्थान को देखें तो उन्हें शाकाहारी बनने की प्रेरणा अवश्य प्राप्त होगी। अमरीकन कत्लखानों की सांख्यकी (अंकशास्त्र) अमरीका में प्रतिदिन औसतन निम्नलिखित प्रमाण में पशुओं का वध किया जाता है। प्राणी-पक्षी प्रतिदिन कत्ल कि जाने वाले प्राणियों की संख्या गाय-भैंस वगैरह १,३०,००० ७,००० सूअर ३,६०,००० मुरगी २,४०,००,००० बछड़े 24 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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