Book Title: $JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Author(s): Pramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
Publisher: JAINA Education Committee
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करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा
२. डेयरी फार्म की गाय-भैंसः जीवन, उपयोग एवं पीडा (यही गाय-भैंस मात्र दूध और माँस के लिए नहीं है, लोशन के लिए भी है) Newyrk Times Article By J. Peder Zane May 12-1996
भूमिकाः
सामान्य लोगों के लिए वह गाय-भैंस है परंतु जिस प्रकार उनका इस लेख में उल्लेख किया गया है उस रीति से तो वे माँस उद्योग हेतु सिर्फ बछड़ेबड़ी ही हैं। (सिर्फ मादा गाय-भैंस कि जो बच्चों को जन्म देती है उन्हें ही गाय-भैंस कहते हैं।)
कत्लखानों मे कत्ल होने वाले पशुओं का औसतन वजन ११५० रतल होता है । उसमें से उसका (पशुका) शिर, खुर, आँतें एवं चमडा दूर करने के पश्चात् उसका वजन ७१४ रतल होता है। इस बचे हुए मृतक शरीर में ५६८ रतल मॉस एवं ४९ रतल विविध अंग एवं ग्रंथियों का होता है। इसमें से यकृत (Liver) जैसे अंगों का भोजन में सीधा ही उपयोग किया जाता है । शेष चरबी और हड्डियाँ होती है जिसका उपयोग मोम, कोस्मेटिक (सौन्दर्य प्रसाधन) केन्डी से लेकर पालतू प्राणियों के भोजन के रूप में होता है ।
कृषि विभाग की जानकारी के अनुसार एक सप्ताह में पशुपालकों ने प्रति पशु ६३२ डॉलर एवं अन्य अंगों के १०१ डॉलर कुल मिलाकर ७४५ डॉलर प्राप्त किए थे ।
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कुछ अत्यंत किमती अंगों की सूची उनका उपयोग एवं उनके मूल्य की सूची इस लेख के अंत में प्रस्तुत हैं ।
लेखः
विषय प्रवेशः
विज्ञानिओं का मानना है कि रोगिष्ट भेड़ के मस्तिष्क के माँस को ब्रिटेन की गाय-भैंसो को खिलाने से उसके (भेडके) रोग के कारण ब्रिटेन की गाय-भैंस पागर हो गई थीं और उन गाय-भैंसों का माँस-दूध का प्रयोग करने वाले अंग्रेजों की मौत हो गई थी।
अमरीकन किसान एवं पशुपालक आम जनता को यह विश्वास दिलाते हैं कि रोगिष्ट भेट्टों का मॉस वे अपनी गायों को नहीं खिलाते हैं। प्रश्न यह होता है कि फिर अमरीका की गायें, पशु, सुअर एवं मुर्गियों को क्या खिलाकर हृष्ट-पुष्ट बनाया जाता है ? इसका आश्चर्य तो अमरीकन प्रजा को
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