Book Title: $JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Author(s): Pramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
Publisher: JAINA Education Committee
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करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा उसमें से रक्तचाप को काबू में लाने की एवं हृदय की धडकनों को नियमित करने की दवा बनाने में उपयोग किया जाता है। गाय-भैंस की (१ रतल का ३ डॉलर अर्थात् १३५ रू. के भावसे) अन्तःस्रावि (एड्रिनल) ग्रंथियों का इकट्ठी करके उसमें से प्राप्त प्रवाही रसों में से अलग-अलग २० प्रकार के स्टीरोइड्स बनाये जाते हैं। गाय-भैंस के फेंफडे (एक रतल के ६ सेन्ट के भाव से) रक्त में होने वाली घट्टता को रोकने की औषधि हिपेरिन (Heparin) में भेजे जाते हैं, एवं (एक रतल का ६.३ सेन्ट के भाव से) गाय-भैंस के पेन्क्रियास से निर्मित इन्सयुलिन डायाबिटिश (मीठी पेशाब) के रोगियों को दिया जाता है। डायाबिटिश का एक रोगी एक वर्ष में २६ गायों से प्राप्त पेन्क्रियास में से प्राप्त इन्स्युलिन का उपयोग करता है । सर्वाधिक मूल्य दिलाने वाला अनिश्चित अंग उनके पित्ताशय की पथरी है (Gall Stone) उसको सिर्फ एक औंस के ६०० डॉलर के भाव से सुदूर पूर्व के व्यापारी जो स्वयं को वैद्य कहते हैं- वे ले जाते हैं।
यह कोई छोटा सा विरोधाभास नहीं है कि गाय की चरबी ऐसी कंपनियों को बेची जाती है जो लोगों को सुन्दर दिखाई देने के लिए लिपस्टिक आदि मेकअप के द्रव्य, सौन्दर्य प्रसाधन आइ लाइनर, भौहे रंगने की पेन्सिल, बाल दूर करने का मलम एवं स्नान का सामान, जीभ में जलन न हो (छाले न पडें) ऐसे बटाइल स्टीयरेट, ग्लाईकोल स्टीयरेट एवं PEG 150 डाइस्टीयरेट बनाते हैं।
Collagen नामक प्रोटिन जो चमडे, खुर एवं हड्डियों में से प्राप्त किया जाता है वह सौन्दर्य प्रसाधन में उपयुक्त लोशन में आद्रता शोषक तत्व के रूप में महत्वपूर्ण होता है। त्वचा के तजज्ञ आँखों के कोनो की ओर पडी झुर्रियों एवं चेहरे की झुर्रियों को दूर करने के लिए चेहरे पर जो इन्जेक्शन देते हैं एवं कृत्रिम स्तन आरोपण में भी इसका उपयोग करते हैं। इससे कोषों में अतिवृद्धि होती है।
साबुन में मुख्य अंश के रूप में कोको बटर या वनस्पति तेल का उपयोग हो सकता है, फिर भी अधिकांश साबुन में पशुओं की चरबी का उपयोग होता है। वास्तव में सोप (Soap) शब्द सोपा (Sopa) नामक पर्वत से संबद्ध है। प्राचीन रोम में यह वह स्थान है जहाँ एक ही स्थान पर पशुओं की बलि दी जाती थी। वहाँ पास ही प्रवाहित एक झरने में लोग अपने कपडे धोते थे, (उसा पानी में) प्राणिज चरबी और राख के कारण वे वस्त्र अधिक
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