Book Title: $JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Author(s): Pramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
Publisher: JAINA Education Committee

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Page 60
________________ Jain Education International करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा जो रेशम की परीक्षा करना चाहें वे निम्न प्रकार से कर सकते हैं । रेशमी वस्त्र के रेशम की परीक्षा करने हेतु आप खडे व आडे धागों को ( तारों को) अलग करके जलावें । शुद्ध रेशम के तार मनुष्य के बालों की तरह जलते हैं। थोड़े से बाल चीमटी से पकड़कर जलाओ और वे कैसे जलते हैं यह देखो । जब उनका जलना बंद हो जायेगा तब वे आलपीन के शिरोभाग की तरह राख के छोटे गोले बन जायेंगे । उन्हें ऊँगली में लेकर चूरा करो और उस पावडर को सूंघो । जले हुए बाल, रेशम, ऊन एवं चमड़े की दुर्गंध एक सी होती है एवं जलने की प्रक्रिया भी एक सी होती है। यदि सूत या कृत्रिम रेशम होगा तो वह ज्योति के रूप में जलेगा उसका पिंड नहीं बनेगा । और उसकी रेशम की तरह दुर्गंध भी नहीं आयेगी । यदि नायलोन या पोलिस्टर होगो तो सख्त कांच की तरह पिंड बन जायेगा । बोस्की, शुद्ध क्रेप, शुद्ध सिफोन, गजी, शुद्ध जोर्जेट, खादी सिल्क, ओर्गेन्झा, शुद्ध शाटीन, कच्चा रेशम, मटका सिल्क एवं जिनके नाम हम नहीं जानते ऐसे रेशमी वस्त्रों में १००% शुद्ध रेशम का समावेश होता है । 60 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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