Book Title: $JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Author(s): Pramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
Publisher: JAINA Education Committee

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Page 80
________________ Jain Education International करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा लगेगा। यद्यपि मैं जैन नहीं हूँ फिर भी जैन जीवन पद्धति, नीति नियमों एवं दार्शनिक विचारों का समर्थक है (The Uncheese Cook Book) एवं (Vegen Vittles) एवं अन्य संपूर्म शाकाहारी (Vegan) भोजन संबंध कुछ पुस्तकें मैंने लिखी हैं। अपनी पुस्तकों में मैंने डेयरी उद्योग की गाय-भैंसो की दुर्दशा, परेशानी के संदर्भ में एक उपेक्षित विषय एवं जीवनोपयोगी महत्वपूर्ण विषय के रूप में मैने अनेक बार लिखा है । यह भी एक आश्चर्य है कि आप प्रौढावस्था में पूर्ण शाकाहारी (Vegan) बने जैसा कि आपने स्वयं स्वीकार किया है। आप उन सबके युवाप्रौढों के लिए उत्तम उदाहरण व प्रेरणा स्रोत हैं जो यह मानते हैं कि जीवन पद्धति में परिवर्तन करना अति कठिन कार्य हैं। मैं आपके प्रयत्नों के प्रति अपनी शुभेच्छा व्यक्त करता हूँ । आप अत्यंत बहुमूल्य एवं महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। - Joanne Stepaniak Dae: Mon., 24 Aug. 1998 09:36:19-0400 (EDT) From K. R. Shah kshah@math.uwaterloo.ca मैं इतना ही सूचित करना चाहता हूँ कि हाल ही में मैंने मुंबई (भारत) में अपने पुत्र निखिल के विवाह के स्वागत समारोह में भोजन समारंभ का आयोजन किया था । उसमें सभी वानगी संपूर्ण शाकाहारी (Vegan) अर्थात् दूध, दहीं, घी बिना की थी। मजे की बात तो यह रही कि किसी को पता भी नहीं चला। स्वादिष्ट व्यंजन हेतु हमें लोगो ने अभिनंदन दिए । - कीर्ति आर शाह टोरेन्टो (केनेडा) Date - Mon. 22 Sep. 1997 09:15:53-0500 From Mona Shah < Monica M Shah-1 @tc.umn.edu> मैंने आपका डेयरी मुलाकात संबंधित लेख पढ़ा। आपने जो आंखो देखी प्रस्तुति की वह पसंद आयी । आहार के संदर्भ में मैं पूर्ण शाकाहारी हूँ एवं वस्त्रों के संदर्भ एवं अन्य में भी मैं वनस्पति भोगी बनने के लिए प्रयत्नशील हैं। मुझे लगा है कि जैनविधि विधान, पूजा में से प्राणिजन्य । पदार्थों के उपयोग को कम या बंद करके महत्त्वपूर्ण परिवर्तन करने की बात आपने प्रस्तुत की हैं। हमारे माता-पिता एवं हमारा जैनसंघ भी पूजा विधि में प्राणिजन्य पदार्थों-दूध-घी का उपयोग करते हैं। 80 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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