Book Title: $JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Author(s): Pramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
Publisher: JAINA Education Committee
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करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा
एक ऐसी भी मान्यता है कि डेयरी उत्पादन अत्यधिक प्रमाण में प्रोटीन व लौहतत्व प्रदान करते हैं। अतः जो शाकाहारी हैं वे अधिकाधिक प्रमाण में दूध एवं उससे निर्मित पदार्थो का सेवन करते हैं । उत्तर भारत में तो एसी मान्यता है कि दूध और पनीर मॉस से प्राप्त होनेवाले प्रोटीन का विकल्प है। ऐसे लोग लौहतत्त्व की कमी के कारण एनीमिया (Anemia) रोग से पीड़ित मिले हैं। वस्तुतः दूध से लौह तत्त्व तो मिलता ही नहीं है उल्टे अन्य तत्त्वों से प्राप्त लौह तत्त्व को रक्त में घुलने से रोकता है। हरी सब्जियों में से लौह तत्त्व सर्वाधिक प्रमाण में प्राप्त होता है । उदा. एक बड़े कटोरे भर सब्जी में से जितना लौहतत्त्व मिलात है उतना लौहतत्त्व प्राप्त करने के लिए ५० गैलन दूध पीना पड़ेगा ।
यदि आप मात्र एक गिलास ही दूध लें तो उसके कारण आपको सब्जी से प्राप्त लौह तत्त्व रक्त में घुल नहीं सकता। अर्थात् अपने भोजन में लिए समस्त शाक-सब्जी को मात्र एक गिलास दूध निरर्थक बना देता है। यदि ऐसा है तो हरी साग-सब्जी खाने का क्या अर्थ ? अपने शरीर को सम्हालें । क्या आप जानते हैं कि जब आप बीमार होते हैं तब दूध पीने के विचार से ही ग्लानि होने लगती है । तब तुम्हारे डॉक्टर भी यही कहता हैं कि जब तक ठीक न हो जाये तब तक के लिए छोड़ दो। इसका कारण यह है कि चार वर्ष की उम्र के पश्चात् अधिकांश व्यक्ति दूध में रहने वाले लेक्टोज नामक कार्बोहाइड्रेइट्स को पचाने की शक्ति खो बैठते हैं । इसके परिणाम स्वरूप उन्हें हठीला अतिसार / संग्रहणी, वायु पेट की ऐंठ जैसे रोग हो जाते है जहाँ तक प्रोटीन का संबंध है वहाँ तक दूध-शाक-सब्जी में से जितना प्रोटीन प्राप्त होता है उतना ही प्राप्त होता है और कुछ सब्जियाँ तो दूध से भी अधिक प्रोटीन देती हैं। मानवशरीर को दैनिक कैलरी की आवश्यकता के सिर्फ ४ या ५ प्रतिशत प्रोटीन की है। प्रकृति ने उसके आहार की व्यवस्था ही ऐसी की है कि यदि आप सिर्फ रोटी, दाल-शाक ही खायें तो भी आवश्यकता से अधिक प्रोटीन प्राप्त हो जाता है ।
डेयरी उत्पादन के विकल्प में सोयाबीन का दूध लिया जा सकता है जिसमें विटामिन्स एवं स्वाद दूध जैसा ही होता है । सोयाबीन के दूध से उत्तम प्रकार का दहीं, पनीर, आइस्क्रीम, मक्खन, चीज़, दूध की चॉकलेट, शाकाहारी मक्खन-घी भी बनाया जा सकता है जो दूध से कम लागत में बन सकता है। दूध वास्तव में अकारण चोरी हैं। क्या आप ऐसा विचार भी कर सकते हैं कि किसी बछड़े ने स्त्री का दूध पिया हो ? कभी नहीं। तो फिर आप
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