Book Title: $JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Author(s): Pramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
Publisher: JAINA Education Committee

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Page 71
________________ करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा (Colognes) का समावेश सौंदर्य प्रसाधनों में होता है। अधिकांशतः सौन्दर्य प्रसाधनों का निर्माण प्राणिजन्य द्रव्यों में से होता है एवं प्रयोगशाला में प्राणियों के ऊपर उनका परीक्षण किया जाता है। यद्यपि FDA को ऐसे परीक्षण करने की आवश्यकता नहीं लगती। फिर भी ये लोग प्राणियों पर परीक्षण करने की अपराधपूर्ण प्रवृत्तियों को मंजूर करते हैं। प्राणियों पर किए जाने वाले प्रयोगों में सर्व सामान्य LD/50 प्रयोग है जिसमें ५०% प्राणियों (चूहे, खरगोस, कुत्ते आदि) की मृत्यु हो जाती है। इस प्रयोग द्वारा यह निश्चित किया जाता है कि उत्पादित पदार्थ में प्राणघातक प्रमाण कितना है। सौन्दर्य प्रसाधन के पदार्थ एवं अन्य पदार्थ यदि आँख में लग जावें तो उनकी कितने परिमाण जलन होगी उस हेतु (Draiz-Test) खरगोस के संयम एवं उसके साथ जो पदार्थ निर्मित होता है उसे सीधे खरगोश की आँख की पुतली (Cornea) पर क्रमश थोडे से अधिक प्रमाण में डालकर परीक्षण किया जाता है। दाढी बनाने के बाद लगाये जाने वाले प्रसाधन का कैसा प्रभाव होता है इसके Acute Dermal Toxicity परीक्षण का प्रयोग प्राणियों की चमड़ी छीलकर उस पर इस पदार्थ को लगाकर, दवाये रखकर किया जाता है। इसके अलावा भी अनेक प्रयोग-परीक्षण प्राणियों पर किए जाते हैं। साबुन (नहाने या कपड़े धोने का) में सामान्य तौर पर प्राणिजन्य चरबी, स्टियरिक एसिड एवं अन्य क्षार होते हैं । शेम्पू में भी चरबी, प्राणिज ग्लिसरीन, प्राणिज प्रोटीन एवं मछलियों के यकृत (Lever) का तेल होता है। व्यापाररी स्तर पर निर्मित टूथपेस्ट में प्राणिज ग्लिसरीन होती है। बहुमूल्य सुगंधी पदार्थों में कस्तुरी मिलाई जाती है जो इथोपिया के जबादी बिल्ला की जननेन्द्रियों में से निकाला गया पदार्थ होता है। इन बिल्लों के पास से उनके जीवन में अनेक बार क्रूर दुखदायी पद्धति से यह पदार्थ निकाला जाता है। मनोरंजन हेतु प्राणियों का उपयोगः सर्कस, प्राणि संग्रहालय, घोडे की रेस एवं प्राणियों पर बैठकर खेले जानेवाले खेलों के लिए जबरदस्ती उन प्राणियों को उस योग्य बनाने के लिए उनकी प्राकृतिक जीवन पद्धति से अलग विचित्र ढंग से उन्हें अधिकतर रूप से कष्ट देकर तैयार किये जाते है। 71 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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