Book Title: $JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Author(s): Pramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
Publisher: JAINA Education Committee
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करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा
कत्लखानो में माँस तैयार करने की प्रक्रिया समानान्तर रूप से दूसरे कमरे में चलती रहती है। वहाँ कारीगर माँस के विविध प्रकार जैसे ऊपर से गोलाकार हो ऐसा, कटिप्रदेश का माँस, लंबे टुकड़ों के आकार वाला माँस, लंबे-चपटे टुकडे के आकार वाला माँस, पसलियाँ, ठोडी आदि को छाँटकर पृथक करते हैं। जैसे मोटर के विविध भागों का विविध मूल्य होता है उसी प्रकार प्राणियों के विविध अंगों का विशिष्ट मूल्य होता है- वैसा ही उसका बाजार होता है। गाय-भैंस के जीभ के प्रति रतल ५८ सेन्ट अर्थात् २७/- रू. प्राप्त होते हैं। यह अधिकांशतः मैक्सिको भेजा जाता है। जहाँ उसके छोटे-बडे टुकटे करके स्वादिष्ट मसालेदार चूर्ण बनाकर उसका प्रयोग 'टाको' में पूरण के रूप में किया जाता है।
गाय-भैंस के हृदय (प्रति रतल २७ सेन्ट अर्थात् १५/-रू. के भाव से) को गरम मसाले डालकर उसका पूरण बनाकर रशिया में उसका निर्यात किया जाता है। गाय-भैंस के गाल के माँस को अमरीका के माँस उत्पादकों को बलोनी (Baloney) बनाने हेतु विक्रय किया जाता है। वैसे अनेक विशिष्ट अंगों के विशिष्ट माँस को पालतू प्राणियों के भोजन बनाने वाली कैंपनियों को बेचा जाता है, जो इन विशिष्ट अंगों को खरीदने का ही आग्रह रखते हैं।
कारगिल, ६-मिनीयापोलीस बेज्ड मीट पेकिंग कंपनी के प्रवक्ता मार्क क्लेइन (Mark Klein) का कथन हैः सुन्दर स्वादिष्ट एवं पोषक द्रव्ययुक्त वानगी (भोजन) बनाने के लिये विशिष्ट प्रकार के माँस का निश्चित प्रमाण में उपयोग किया जाता है। इस हेतु पालतु प्राणियों का भोजन बनाने वाले रसोइया विविध प्रमाण में हृदय, कलेजा एवं वैसे ही अन्य अंगो का माँस मँगवाते हैं।
बायोटेक्नोलोजी, कि जिसमें दवा बनाने वाली कंपनी DNA का पुनः जोड के रूप में उपयोग करके प्रयोगशाला में जो औषधि बनाती हैं, वे कंपनी जब बायोटेक्नोलोजी की उत्पत्ति या विकास नहीं हुआ था तब तक वे उपयोगी सभी पदार्थ ये कंपनियाँ प्राणियों में से ही प्राप्त करती थीं। आज भी गाय-भैंस का गाढा रक्त (लगभग प्रतिलीटर रु. १९०० से २३६० के भाव से) दवाओं के निर्माण कथा गवेषणात्मक (संशोधक) कार्यो के लिए एक विशिष्ट माध्यम बना हुआ है।
गाय-भैंस की विविध ग्रंथियों में से होर्मोन्स (जातीयरस) एवं अन्य द्रव्य प्राप्त करके औषधियों का उत्पादन किया जाता है । गाय-भैंस की पिच्युटरि ग्रंथि (१ रतल के १९.५० डॉलर अर्थात् ९२५ रू.) को इकट्ठी कर,
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