Book Title: $JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Author(s): Pramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
Publisher: JAINA Education Committee

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Page 33
________________ करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा घी आदि या माँस जो खाते हैं उन्हें भी उसकी छूत लग जाती है और मृत्यु हो जाती है। उत्तर केरोलीना का उदाहरणः ___Green County Animal Mortality Collection Ramp नामक लेख में कहा गया है कि अमरीका के उत्तर केरोलीना राज्य में मुर्गी, सुअर, ब्रोइलर मुर्गी के बच्चे (चूजे) लेयर मुर्गियों के उत्पादन में अग्रताक्रम में सात राज्यों में उसका स्थान है। इस राज्य में प्रतिवर्ष ८५००० टन पॉल्ट्रीफार्म की मुर्गियों और सुअरों का कत्ल (विनाश) किया जाता है। इस विनाश करने की आवश्यक्ता के संदर्भ में १९८९ में Green County Livestock Producers Association द्वारा पशुओं के मृतकों को एकत्र करने के स्थानों का प्रारंभ किया है। पशुरक्षक केन्द्र (पांजरापोल) या ढोरवाडे वाले अपने मृत पशुओं को और पक्षियों को ऊँचे ढलानवाली जगह पर ले जाकर पानी चुस्त डब्बों या पॉल्ट्री के लिए बने अलग डिब्बों में फेंक देते हैं एवं अन्य मृत पशुओं को रिटेइनींग दीवाल के पीछे धकेल देते हैं। मृत पशु एसोसीएशन द्वारा कोन्ट्राक्ट (अनुबंध) किए गये स्थानिक किसान मृत पशुओं एवं पक्षियों को प्रतिदिन रूपांतर करने वाले कारखानों में ले जाते रूपांतर कर्ता कारखाने लाइवस्टोक एसोसीएशन को प्रति सप्ताह माँस, हड्डी, पंख एवं चरबी का तत्कालीन बजार भाव चुकाते हैं। १९८९ के प्रथम १६ सप्ताहों में १० लाख रतल अर्थात् प्रति सप्ताह ६५००० रतल मृत पशु-पक्षी एकत्र करके रूपांतर कारी कारखानों में भेजे गये थे। इस सफल योजना के परिणाम से ग्रीन काउन्टी लाइव स्टोक एवं पॉल्ट्री उत्पादकों को मृत पशु-पक्षियों के सरल, सलामत एवं आर्थिक रूप से कम खर्चे (पुसाना) में निकाल करने का उपाय प्राप्त किया है। 33 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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