Book Title: $JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Author(s): Pramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
Publisher: JAINA Education Committee
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करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा प्रतिबंधित है। जहाँ अंडों के उत्पादन के लिए ही मुर्गी पालन होता है वहाँ सर्वत्र संपूर्ण हिंसा ही है। किसी भी पॉल्ट्री फार्म की मुलाकात से यह स्पष्ट हो जाता है। पॉल्ट्रीफार्म (मुर्गी पालन केन्द्र) में मुर्गियों को अंडा देनेवाली मशीन से अधिक कुछ नहीं समझा जाता । उन्हें अत्यंत तंग व कठिन परिस्थिति वाली १५" x १९” की जगह से टूंसकर रखा जाता है जिसका प्रभाव अंडा खाने वाले के रक्त एवं शरीर की कार्यपद्धति पर होता ही है। जिससे व्यक्ति के व्यक्तित्व में असमतुन आ जाता है।
मुर्गी के चू| (Chiken) को छोटे-छोटे सँकरे पिंजरों में रखा जाता है जिन्हें चिकन हेवन्स (Chiken Heavens) कहा जाता है। अति तंग स्थान होने से प्राकृतिक रूप से ही बे चूजे (मुर्गी के बच्चे) स्वभावगत झगड़ालु हो जाते हैं। दो चूजें परस्पर जंगली तौर से घात-प्रतिघात करते रहते हैं अतः उनकी चोंच ही तोड़ दी जाती है। जिससे वे पानी भी नहीं पी सकते । क्या हमें यह अनुभव नहीं होता कि हमारी वर्तमान कठिनाइयों, आक्रमक वृत्तियों एवं पीड़ाओं के मूल कारणों में मुर्गी के बच्चों (चूजों) के ये आश्रय स्थान हैं ?
जैसा कि अभी कहा कि मुर्गियों को परस्पर लड़ने से बचाने, परस्पर लहू-लुहान न करें अतः उनकी चोंच तोड़ डाली जाती है। यह चोंच तोड़कर बोथरी बनाने का कार्य विशेष तौर पर रात्रि के बदामी रंग के कम उजाले में किया जाता है जबकि मुर्गियों को कुछ भी दिखाई नहीं देता। मुर्गी के चोंच का नीचे का हिस्सा तोड़ दिया जाता है। यदि इसमें कोई गलती हो जाये तो फिर वह मुर्गी आजीवन कुछ भी नहीं खा सकती। जब मुर्गी की चोंच तोड़ी जाती है तब उसके आघात एवं घाव के कारण वह कम से कम तीन दिन कुछ भी नहीं खा सकने के कारण भूखी रहती है। क्या ऐसी क्रूरता का प्रभाव उस मुर्गी को खाने वाले पर पडेगा या नहीं?
मुर्गी में से हिंसक प्रवृत्ति के जनक पांच प्रकार के खुराक का निर्माण किया जाता है (१) हड्डीयों का भोजन (२) रक्त का भोजन (३) मुर्गी के उत्सर्जित पदार्थ, अंडा विष्टा आदि (४) मांस का भोजन (५) विशिष्ट भोजन (Fish Meal) । क्या इतना जानने-समझने के बाद भी हम कहेंगे कि अंडा शाकाहारी हैं।
प्रथम तो अंडे को शाकाहारी कहना या उसे शाकाहारी नाम देना ही गलत है। फलिनीकरण हुए अंडे में से बच्चा ही पैदा होगा, जो उसका मूल हेतु ही है। फलिनीकरण बिना के अंडे में से इस प्रकार बच्चे पैदा नहीं होते और वह संपूर्ण अखाद्य है । मुर्गी को निरंतर कष्ट देकर प्राप्त किए जानेवाले, मानो
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