Book Title: $JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Author(s): Pramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
Publisher: JAINA Education Committee
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करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा
१. मेरी डेयरी मुलाकात
- प्रवीण के. शाह अमरीका की डेयरी मुलाकातः
मैंने १९९५ में रूट-२ उत्तर बर्लिंगटन, वरमोन्ट (यू.एस.ए.) स्थित एक डेयरी की मुलाकात ली। इस डेयरी में करीबन १५० गाय-भैंस थीं। जिनका पूरा दूध आईस्क्रीम बनाने के उपयोग में लिया जाता था। • गाय भैंस दुहने का समय शाम ५-०० बजे का था। गाय-भैंस के कष्ट
कठिनाई का विचार किए बिना ही उनके आँचल से दुध दोहन की मशीन (यंत्र) प्रत्येक गाय-भैंस के थन से साढे तीन मिनिट तक लगाई जाती थी। ऐसी गाय-भैंस का दोहन करते समय उनकी पीडा-कष्ट को देखना भी अत्यंत कठिन पीडाजनक था। मशीन में किसी प्रकार की भावना या स्पर्श का अनुभव नहीं होता। अरे ! अंतिम बूँद तक दूध दोहने की लालच में कभी-कभी तो थन से दूध में रक्त भी टपकने लगता। • गाय-भैंस की दूध उत्पादन की क्षमता में वृद्धि हेतु गाय-भैंस को प्रतिदिन
प्रातः काल होर्मोन्स एवं दवा के इन्जेक्शन भी दिए जाते हैं। • बछड़ो को जन्म देने के पश्चात् गाय-भैंस अधिक दूध देती हैं इससे उनकी फलद्रुपता की समयावधि में कृत्रिम गर्भाधान द्वारा उन्हें निरंतर
सगर्भावस्था में रखा जाता है। • सगर्भा गाय-भैंस भी स्त्री की भाँति नौ महिना पश्चात् बछड़े को जन्म देती
है। यदि बछड़ा पैदा होता है तो उसे डेयरी उद्योग में निरूपयोगी मानकर उसे 2-3 दिनों में ही माँस-उद्योग अर्थात् कत्लखाने में भेज दिया जाता है। जिस शाम मैं वहाँ था उस दिन मेरी उपस्थिति में ही तीन बछड़ो को कत्लखाने भेजने के लिए ट्रक में चढाया गया। माता, गाय-भैंस से जब उन बछड़ो को अलग किया जा रहा था उस समय वे गाय-भैंस मातायें करूण क्रंदन कर रही थीं। उस द्रश्य को मैं कभी भी भूल नहीं सकता-अभी भी
उन गाय-भैंसो का क्रन्दन मेरे कानों में गूंज रहा है। • समस्त विश्व में कोमल माँस (Veal) उत्पन्न करने का उद्योग अति क्रूर है। वह स्वादिष्ट माँस भोजन में परोसा जाता है। छोटे बछड़ों को अंधेरी कोठरी में बंद रखा जाता है जहाँ वे थोडा भी हिलल नहीं सकते। उनके माँस को अधिक कोमल और स्वादिष्ट बनाने के लिए उन्हें लोहतत्वरहित
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