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संस्कृत सोपानम्
भाग 3
राशन
sagroacteroyer लेखक दामा
डॉ सुरेन्द्र गम्भीर एम० ए० (संस्कृत, भाषा-विज्ञान) . साहित्यशास्त्री, पी-एच.डी. भू.पू. अध्यक्षः, संस्कृत विभागः
मॉडर्न स्कूल, नई दिल्ली
M
saste
पीताम्बर पब्लिशिंग कम्पनी प्रा० लि. 888, ईस्ट पार्क रोड, करौल बाग़, नई दिल्ली-110 005 (भारत)
शाखाएँ बैंगलोर :आवास न 6/2, III मेन रोड, एस के गार्डेन, बेन्सन टाउन पोस्ट, बैंगलोर-560046
दूरभाष : 080-23534673 चेन्नई :10, हंटर्स रोड, प्रथम तल, चुलाई, चेन्नई-600112 दूरभाष : 044-25322333 हैदराबादः ए जी-18, शांति बाग अपार्टमैंट्स, बेगमपेट, हैदराबाद-500016दूरभाष : 040-23737423 जयपुर :113, इंद्रा कालोनी, बनी पार्क, जयपुर-302016 12ी दूरभाष : 0141-2203440
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प्रकाशक: पीताम्बर पब्लिशिंग कम्पनी प्रा. लि. 888, ईस्ट पार्क रोड, करौल बाग़, नई दिल्ली-110 005 (भारत) दूरभाष : 23670067, 23522997, 23625528 फैक्स : 91-11-23676058,91-11-25765754 ई-मेल : pitambar@bol.net.in
संस्करण: प्रथम, 1972
पुनर्मुद्रण, 1973, 1974, 1975 द्वितीय, 1976 पुनर्मुद्रण, 1976, 1977, 1978, 1979, 1980, 1981, 1982 तृतीय, 1983 पुनर्मुद्रण, 1984, 1985, 1986, 1987, 1988, 1989, 1990, 1991 चतुर्थ, 1992 पुनर्मुद्रण, 1993, 1994, 1995 पंचम, 1996 पुनर्मुद्रण, 1997, 1998, 1999, 2000
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है। यदि यह होलोग्राम यहाँ नहीं है तो कृपया पुनर्मुद्रण : 2002, 2003
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हमने इस पुस्तक में यह होलोग्राम चिपकाया हआ
प्रकाशक
कोड नं. : 12632.
आवरण : (1) महाकवि कालिदास शकुन्तला की रचना करते हुए। (2) जर्मन विद्वान मैक्सम्यूलर-जिन्होंने संस्कृत ग्रंथों का अनुवाद जर्मन भाषा में किया तथा गीता-उपदेश का चित्र ।
ISBN
: 81-209-0548-2018
मूल्य
(मा)20001 : 63/- रुपये
इस पुस्तक पर आधारित अभ्यास-पुस्तिका भी प्राप्य है।
पीयूष प्रिंटर्स पब्लिशर्स प्रा० लि०, नई दिल्ली-41 द्वारा मुद्रित ।
कामगि जिला
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किञ्चित्
प्रस्तुतमाला-विषयकम्
भाषा-मनोविज्ञान-शास्त्रिणां शोधैः भाषा-शिक्षणमपि कला-रूपेण उपस्थापितम् ।
अल्पादपि अल्पतरे समये अधिकस्य शिक्षणस्य स्पर्धा सर्वत्र दृष्टिपथमवतरति । कस्या अपि भाषायाः शिक्षणस्य चतस्रः विधा भवन्ति, तथाहि-श्रवणं, वदनं, पठनं लेखनञ्चेति । परं संस्कृत-सदृश्यै भाषायै पठनं तदवगमश्चैव प्राधान्येन लक्ष्यीकृतं स्याद् इत्यस्ति व्यवस्थिता मनीषा भाषा-शास्त्र-विदाम् । गौणरूपेण पठनविधायाः साधनरूपेण वदनादि-विधा अपि अनुशील्यन्ताम् । सत्यमेतत् यत् भाषा-भाषणेन छात्राणां विश्वासो वर्धते रुचिश्चापि वृद्विं गच्छति । एतद् विचार्यैव अत्र ललितानि संस्कृत-पद्यानि, दैनन्दिन-व्यवहार-पराणि कानिचित् सरल-संस्कृत-वाक्यानि च पुस्तकारम्भे दत्तानि । अनुदिनम् एतेषाम् अनुशीलनेन छात्राणां संस्कृत-भाषां प्रति अनुरक्तिर्वर्धिष्यते इत्याशासे । भाषा-शिक्षण-विधानां प्रधान्य-गौण-व्यवस्थाया विस्मरणं न भवेत् इत्यावश्यकम् । लक्ष्ये स्पष्टे पन्था अपि स्पष्टो जायते ।
प्रत्येकं पुस्तकं छात्रस्य आयुस्स्तरमावश्यकताञ्च विलोक्यैव प्रणीतम् । भाषा-ज्ञान-भित्तिः आदित एवं दृढमूला सुसंहता च भवेदिति दृशा सर्वमत्र क्रमिकं मितं नियतञ्चास्ति । प्रत्येकं शब्दः कयापि योजनयैव सन्निवेशितः । प्रस्तुत-मालायां शब्दा इत्थं प्रयुक्ताः, वाक्य-रचना एवमायोजिता व्याकरणञ्चेत्थं क्रमेण अल्पाल्पशः गुम्फितं येन बालः सारल्येनैव सर्वं शिक्षेत । क्रमिक-शिक्षणं क्रमिक विकासाय आवश्यकम् । भाषा-शिक्षणेन साकं साहित्यस्य रुचिरा ललिताश्चांशाः सन्निवेशिताः । संस्कृत-वाङ्मय-महोदधि मंथनोत्थानि कथा-रत्नानि पद्य-रत्नानि निदर्शन
भूतानि चात्र गुम्फितानि । अन्यच्च, विज्ञान-संस्कृति-सामाजिक-ज्ञानादि-विषयान् अन्तरेण पाठा अपि ___चात्र सन्निविष्टा सन्ति ।
. प्रत्येकं पाठस्योपरि पाठ्य-संकेतेन पाठे यदुद्दिष्टं तदवगमे सौकर्यं भविष्यति । सन्धीनां R) समासानां चाप्रयोगः सारल्यनिमित्तकः । पुस्तकस्यान्ते दत्तश्शब्दकोशः बालान्
शब्दकोशस्यानुशीलनाय प्रवर्तयिष्यते । पाठेभ्यः व्यतिरिक्तमभ्यासेष्वपि अन्ये प्ररोचकाः बुद्धयुत्तेजकाः प्रयोगाः प्रश्नाश्च दत्ताः ।।
वस्तुस्थितिरियं यत् न वयं छात्रेषु बहु आशास्महे । शिक्षाविदां तर्कानुभवानुमोदितं वचः यत् यावत छात्रेषु सम्भाव्यते तावत्येव ते कृत-प्रयत्नाः भवन्तीति शम् ।
-गम्भीरः
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विषय
सची
पाठः
पृष्ठः
प्रथमः द्वितीयः तृतीयः
- ईश्वर-वंदना मानाधितो प्रतीकका सिंहः मूषकः च । हिमालय स्वास्थ्यस्य रक्षा गोल विज्ञावाला क्रीडायाः क्षेत्रम् गायनयानमा त्रयः मत्स्याः श्रीरामः
चतुर्थः
जन्तुशाला
पंचमः षष्ठः सप्तमः अष्टमः नवमः दशमः एकादशः द्वादशः त्रयोदशः चतुर्दशः पंचदशः षोडशः सप्तदशः अष्टादशः नवदशः विंशतितमः एकविंशतितमः द्वाविंशतितमः । त्रयोविंशतितमः चतुर्विंशतितमः
नलः दमयन्ती चाशा कमी गर्दभस्य गीतम् गाना गाया बुद्धः मूषकः महर्षिः च आचार्यः चाणक्यः श्लोकाः गीतायाः उपदेशः स्वदेश-परिचयः संस्कृत भाषा रमेशस्य-जन्मदिवसः लोभस्य परिणाम: मारोगा चन्द्रयात्रा
पर आगलामाकाका श्लोकाः त्रयः दकाराः गोमामा विवेकानन्दःनिमा धानका पत्रम् पितरं प्रति व्याकरणम् शब्द-कोशः
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Teaching Point: (i) वर्ण सम्मेलनम्
declension (ii) साधु
प्रथमः
ईश-वन्दना
पाठः
सखा द्रविणम् संकेतः सकल भानुः तम् विधुः तरुः फल कल्याणम्
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुः च सखा त्वमेव । त्वमेव विद्या द्रविणम् त्वमेव, त्वमेव सर्वम् मम देव-देव ।
VIDullu
हे ईश्वर ! त्वम् दयालुः असि । त्वम् कृपालुः असि । त्वम् गुरूणामपि गुरुः । साधवः अपि त्वामेव अर्चन्ति ।
तव संकेतेन एव सकलानि कार्याणि चलन्ति । भानुः तव आज्ञया तपति । विधुः अपि तव संकेतम् पालयति । हे प्रभो ! वायुः अपि तव आज्ञाम् विना न चलति । तरवः अपि तव कृपया एव फलन्ति ।
हे ईश्वर ! त्वम् भक्तान् रक्षसि दुष्टान् च दण्डयसि । अस्मभ्यम् विद्याम् यच्छ। अस्माकम् मतिः शक्तिः च देशस्य कल्याणाय भवतु।
वयम् त्वाम् नमामः ।
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Srce
| शब्दार्थाः
॥
॥
॥
माता 'पिता बन्धुः सखा विद्या द्रविणम् देव-देव
॥
॥
॥
॥
माता पिता सम्बन्धी मित्र ज्ञान धन हे देवताओं के देवता .
JE दयावान् कृपा करने वाला आचार्य साधु इशारा
॥
(mother) (father) (relative) (friend) (knowledge) (wealth) (Oh God of gods) (oh !) (merciful) मा (kind) (teacher) (saint) (hint, signal) (all) F(sun) DIPPकाला
(to shine)
॥
दयालु कृपालु
TANTS PE
॥
-
॥
॥
साधुः
संकेतः
||
सकल
||
भानुः
||
सर्यशाण
||
तप्
तपना
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________________
॥
॥
॥
॥
पेड़
फल्म
॥
s
॥
विधुः
चन्द्रमा
(moon) प्रभुः
ईश्वर
(God) वायुः
हवा
(air) तरुः
(tree)
फलना मिलीली (to bear fruit) कल्याणम्
भला
(welfare, good) धातवः तप् (2), फल (2) रूपाणि
बन्धु, दयालु, कृपालु, गुरु, भानु, विधु, प्रभु, वायु, तरु-साधु' के समान (पृष्ठ 94) विशेषणानि
स्त्री० alaneomainानशिकार
नपु०
विहाहाक दयालुः कृपालुः कृपालुः
कृपाल सकलः सकला
सकलम् अव्यय: हे विशेष : वाक्य के अन्त में 'अस्' धातु के रूपों का प्रयोग वैकल्पिक है (At the end of a sentence, use of 37€ form is optional).
पुं०
दयालुः
दयालु
अभ्यासः
मौखिकम् 1. 'भान' शब्द के रूपों को बोलिए (Decline भानु)। 2. निम्नलिखित शब्दों को मिला कर बोलिए (Join and pronounce the
following words)— त्वम् + एव, त्वम् + असि, त्वम् + अपि, द्रविणम् + अपि, कल्याणम् + अस्ति ।
लिखितम् 3. निम्नलिखित शब्दों के तृतीया एकवचन और षष्ठी बहुवचन में रूप लिखिए (Give
forms of each in der singular and got plural)— बन्धु
गुरु
भानु
विधु
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प्रभु वायु
तरु 4. वर्गों को मिलाकर निम्नलिखित शब्दों को दोबारा लिखिए (Join and rewrite the
following words)— गुरूणाम् + एव, आज्ञाम् + अपि, द्रविणम् + अस्ति, अभिधानम् + आसीत्, आक्रमणम्
+ अभवत् । 5. प्रत्येक का एक पर्यायवाची दीजिए (Give one synonym of each)
पिता, भानुः, ईश्वरः, तरुः, गुरुः, विद्या । 6. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)
(क) साधु आश्रमों में रहते थे । (Sadhus lived in hermitages.) (ख) सूर्य और चन्द्रमा ईश्वर की आज्ञा से प्रकाश देते हैं। (Sun and moon
give light by obeying God's order.) (ग) हम सब मिलकर प्रभु को नमस्कार करते हैं । (All of us together bow
to God.) ना (घ) हम गरुओं की पूजा करें। (We should worship teachers.) (ड.) रमेश, तुम धन चाहते हो या विद्या ? (Ramesh, do you want money
or knowledge ?)
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Teaching Point : (i) 'ga' declension
(ii) भूतकालिक-प्रयोग : -review
द्वितीयः
सिंहः मूषकः च
पाठः
मूषकः सुप्त इतस्ततः कूर्दु प्रबुद्ध मुच् (मुञ्च्) व्याधः सद् (सीद्) कृत् क्षुद्र
ANNI
एकस्मिन् वने एकः सिंहः वसति स्म । एकदा सः वृक्षस्य नीचैः सुप्तः आसीत् । एकः मूषकः आगत्य तस्य शरीरे इतस्ततः अनृत्यत् । तेन सिंहः प्रबुद्धः अभवत् । सः मूषकाय अध्यत् । सः मूषकः अक्रन्दत् अवदत् च-"भोः वनराज, मयि दयाम् कुरु । समये अहमपि तव सहायताम् करिष्यामि" इति । एतत् आकर्ण्य सिंहः अहसत् परम् दयया तम् अमुञ्चत् ।
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SA
एकदा सिंहः व्याधस्य जालेन बद्धः अभवत् । तदा सः अगर्जत् । तस्य गर्जनम् आकर्ण्य मूषकः तत आगच्छत् अवदत् च-"भोः वनराज, मा सीद । अहम् एतत् जालम् कर्तिष्यामि" इति । तदा सः मूषकः तत् जालम् अकृन्तत् । सिंहः स्वतन्त्रः अभवत् । प्रसन्नः भूत्वा सः अवदत्-"भोः मित्र मूषक, अहम् प्रसन्नः अस्मि । क्षुद्रस्य जन्तोः अपि उपयोगः भवति, एतत् अहम् अद्य अवगच्छामि" इति ।
शब्दार्थाः
मूषकः
स्म
सुप्त शरीरम् इतस्तत प्रबद्धः
चूहा (वर्तमान काल की क्रिया के पीछे लगा कर भूतकाल बनाने वाला निपात)
सोया हआयसीय = 'शरीरका
इधर-उधर = T जागा हुआ
(वक्ता के कथन के बाद प्रयुक्त)
(mouse) (past-tense-maker particle, added after present tense form) (asleep) (body) (here and there) (awake) (used to report the direct speech)
इति
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दया
सहायता
मुच् (मुञ्च्)
व्याधः
जालम् बद्ध
गर्जनम् सद् (सीद्)
कृत् (कुन्त्)
क्षुद्र
जन्तुः उपयोगः
धातवः
bipoda 11)
beyo
एक
.lno
|| || || ||
=
=
=
सुप्तः
प्रबुद्धः
बद्धः ०२ क्षुद्रः 6165
|| || ||
=
=
=
"
s दया
lonie mi armriot aved liw
मदद
छोड़ना
शिकारी
जाल
बँधा हुआ
mito प्राणी
अव्ययाः स्म, इतस्ततः विशेष:
दहाड़
दुःखी होना
काटना
छोटा
CITESTE
उपयोग
मुच् (मुञ्च्) (2), सद् (सीद्) (2), कृत् (कृन्त्) (2)
( silos) pri (net)
bavils (स्त्रीo al)
सुप्ता
(todana प्रबुद्धा
ano to Jo बद्धा now eidT) |
क्षुद्रा
रूपाणि
एक (पृष्ठ 97), जन्तु -'साधु' के समान (like साधु) (पृष्ठ 94)
मिस
च
विशेषणानि
Tamomstar VOT
केकी (mercy).
(help)
(to leave) (hunter)
192 SNT) सन्ति
(captured) 251
7
(roar
(to be dejected)
भाड
(to cut)
(small)
(creature)
(use)
नपुं०
सुप्तम्
प्रबुद्धम्
बद्धम्
क्षुद्रम्
sy
कम
(1).
(i) पाठ के अन्तिम वाक्य में 'एतत्' शब्द नपुंसकलिंग का रूप है । यहाँ नपुंसकलिंग क्यों आया ? उत्तर है- "सामान्ये नपुंसकम्" अर्थात् कोई विशेष लिंग अभिप्रेत न हो तो नपुंसकलिंग का प्रयोग होता है । (In the last sentence of the lesson, the neuter form of g is used. Why neuter here? In Sanskrit Grammar, there is a rule सामान्ये नपुसंकम् which means neuter gender should be used when no particular gender is intended.)
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(ii) स्पष्ट ही है कि एक के रूप केवल एकवचन में ही होंगे (It should be obvious
that the word ge will have forms in singular only).
अभ्यासः मौखिकम् (1) 'एक' शब्द के रूप बोलिए (Decline एक)। (2) निम्नलिखित की 'स्म' की सहायता से भूतकालिक क्रियाएँ बनाइए (Make past
tense forms with FH)—
क्रुध्यति, गच्छति, कृन्तति, वदसि, स्मरन्ति, मुञ्चतः, तपामि, फलथ । लिखितम् (3) विशेषणों का उचित रूप बताएँ (Give the appropriate form of each
adjective) (स्व) पुस्तकम्, (सुप्त) शावकौ, (बद्ध) नराः, (सकल) नायकान्, (प्रबुद्ध) बालकेभ्यः,
(क्षुद्र) जन्तवे । (4) अव्यय छाँटिए (Choose अव्यय words)
3 अनुशासनम्, इतस्ततः, आवश्यक, आसीत्, नीचैः, हे, भोः, परस्परम्, अभिधानम् । (5) संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)(क) यह कथा प्रसिद्ध है । (This story is famous.) (ख) एक वन में शेर और चूहा रहते थे। (In a forest lived a lion and a
_mouse.) (ग) यह फल एक बालक के लिए है । (This fruit is for one boy.) (घ) यह काम एक आदमी का नहीं है । (This work is not of one person.) (ङ) नौकर ठंडा पानी लाता था । (The servant used to bring cold water.) ।
जिमशेवरशमन
matol
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Teaching Point: () 'नदी' declension
तृतीयः
हिमालयः
पाठः
शिखरम् सर्वदा हिमम् आच्छादित निर+गम् यथा वेगः सिच् (सिञ्च्) रूग्ण तापः
प्र+सद् पुरा प्रकृति संसक्तलोचन
हिमालयः भारतस्य उत्तरदिशायाम् स्थितः अस्ति । एषः पर्वतराजः अस्ति । हिमालयस्य शिखराणि अति उन्नतानि सन्ति । तानि सर्वदा हिमेन आच्छादितानि भवन्ति । का हिमालयात् नद्यः निर्गच्छन्ति, यथा-गंगा, यमुना, शतद्रुः विपाशा, इरावती, चन्द्रभागा, वितस्ता च इति । हिमालये नदीनाम् वेगः अति तीव्रः भवति । ताभिः नदीभिः कृषकाः क्षेत्राणि सिञ्चन्ति।
अत्र स्वास्थ्य-वर्धकानि स्थानानि अपि सन्ति । रुग्णाः तत्र गच्छन्ति स्वास्थ्यम् च विन्दन्ति । तापेन व्याकुलाः जनाः अत्र आगत्य प्रसीदन्ति ।
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पुरा हिमालयस्य गुहासु मुनयः वसन्ति स्म । तत्र नदीषु स्नानं कृत्वा ते ईश्वरम् अर्चन्ति स्म ।
एषः पर्वतः प्रकृतेः क्रीडा-स्थलम् । काश्मीर-प्रदेशः अपि अत्र एव स्थितः । एतस्मिन् प्रदेशे शत्रुः संसक्त-लोचनः अस्ति । शत्रुभ्यः वयम् काश्मीरम् हिमालयम् च रक्षिष्यामः ।
उत्तर दिशा
पर्वतराजः
शिखरम्
की अति
उन्नत
सर्वदा
हिमम्
आच्छादित
नदी
निर्+ गम् (गच्छ्)
यथा
||||||||
=
=
11
1| 1| 1| 1| 1|
=
C
शब्दार्थाः
उत्तरी दिशा
पर्वतों का राजा
चोटी
बहुत ऊँचा
हमेशा
बर्फ़
ढका हुआ
नदी
निकलना
जैसे
10
(northern direction) (king of mountains)
(peak)
(very)
(high)
का
(always) me?
(snow)
(covered)
(river)
(to go out) (as for example)
गत
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||
||
|॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
रोगी
॥
॥
गर्मी
॥
||
||
शतद्रुः सतलुज नदी
(the river Satluj) विपाशा ब्यास नदी
(the river Beas) 35 इरावती
रावी नदी
To (the river Ravi) चन्द्रभागा
चनाब नदी
(the river Chanab). वितस्ता
जेहलम नदी
(the river Jhelum) वेगः प्रवाह
(current) तीव्र तेज़
(fast) सिच् (सिञ्च)
सींचना
(to irrigate) स्वास्थ्यवर्धक = स्वास्थ्य बढ़ाने वाला (healthy,
health-promoting) स्थानम् स्थान
(place) रुग्ण
(sick) स्वास्थ्यम्
सेहत
(health) तापः
(heat) जनः
आदमी, लोग (person, people) प्र+सद् (सीद्) प्रसन्न होना
(to be pleased) पुरा
= प्राचीनकाल में - (in olden days) धान स्नानम्
स्नान onut (bath) O ne पर्वतः = पहाड़
(mountain) प्रकृतिः
कुदरत
(nature) क्रीडा-स्थलम् = क्रीडा-स्थल
(playing ground) ) शत्रुः दुश्मन
(enemy) संसक्त-लोचन
आँखें गढ़ाए हुए (one with eyes fixed) धातु : सिच् (सिञ्च्) (2) उपसर्गयुक्त धातु : नि गम् प्र+सद् (सीद्) sinाकि सावन
(Permvirrordininaiyon sordial) नि यामक) रूपाणि Brez SIERVOS baru ) नदी (पृष्ठ 94), 'शत्रु-'साधु' के समान (like साधु) (पृष्ठ 94) मयनयानात सात विशेषणानि पं० स्त्री.pbinodramod
उन्नतम् आच्छादितः आच्छादिता
आच्छादितम्
||
||
कप
||
||
नप०
उन्नतः 10
उन्नता
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तीव्र: - वर्धकः
रुग्णः - लोचनः
अव्ययाः
तीव्रा - वर्धिका
रुग्णा - लोचना
अति, सर्वदा, यथा, पुरा ।
ि
अभ्यासः
तीव्रम् -वर्धकम् रुग्णम् - लोचनम्
मौखिकम्
(1) 'नदी' शब्द के रूप बोलिए (Decline नदी) ।
(2) निम्नलिखित नदियाँ भारत के किस-किस प्रदेश में हैं ? In which states are the
following rivers
गंगा, यमुना, शतद्रु, विपाशा, इरावती, चन्द्रभागा, वितस्ता
they
लिखितम्
(3) कोष्ठक में दिए धातु से उचित रूप बनाइए ( Fill in the blanks with appropriate forms of the roots within parenthesis)
(क) भारतस्य नद्यः क्षेत्राणि
(ख) विद्यालयम् गन्तुम् बालाः गृहेभ्यः (ग) काश्मीरम् गत्वा जनाः
(सिच्) ।
(निर्+ गम् ) ।
(प्र+सद्) ।
(4) निम्नलिखित शब्दों को संस्कृत वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए (Use the following words in Sanskrit sentences)
नदी, इरावती, स्वास्थ्यम्, प्रकृतिः, यथा
(S)(F)
(5) संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)— (क) क्या नदियों में जल नहीं है ? (Is there no water in the rivers ?) (ख) एक नदी का नाम इरावती है । (One river's name is Iravati.) (ग) प्राचीनकाल में गुफाओं में मुनि रहते थे । (In olden days sages lived in
caves.)
(घ) रोगी लोग कहाँ जाएँ ? (Where should sick people go ?)
साधु नदियों से जल लाते हैं । (Sadhus bring water from rivers.) (च). हम संस्कृत नागरी में लिखते हैं । (We write Sanskrit in Nagari.)
12
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Teaching Point : (1) विधिलिंङ्
चतुर्थः
स्वास्थ्यस्य रक्षा
पाठः
अर्ज उत्+नी (नय) तथाहि प्राक् प्रातर्विधिः ततः दन्तः धावनम् शोधकम् यथाशक्ति
किञ्च अपरम् खाद्यम् मुहुर्मुहुः शयनम्
प्राचार्यः -सर्वत्र जनाः सुखम् वाञ्छन्ति । शरीरेण स्वस्थाः जनाः एव सुखम् अधिगन्तुम् सफलाः भवन्ति । स्वस्थाः जनाः एव पठितुम् क्रीडितुम् च समर्थाः भवन्ति । स्वस्थाः धनम् अर्जन्ति । ते एव देशम् उन्नयन्ति ।।
एकः छात्रः -स्वास्थ्यस्य रक्षायै वयम् किम् कुर्याम ?
प्राचार्यः –मोहन, उपविश। उपायान् अपि वदिष्यामि । तथाहि-जनः सदा सूर्योदयात् प्राक् उत्तिष्ठेत् । प्रातर्विधिम् कृत्वा व्यायामम् कुर्यात् । व्यायामेन शरीरस्य शक्तिः वृद्धिम् गच्छति । ततः दन्तानाम् धावनम् कृत्वा स्नानम् कुर्यात् । स्नानाय स्वच्छम् जलम् आवश्यकम् अस्ति । शोधकस्य प्रयोगम् प्रतिदिनम् न कुर्यात् । ततः निर्मलानि वस्त्राणि धारयेत् ।
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सुनीलः - किम् वृद्धाः अपि व्यायामम् कुर्युः ?
oel
Kare
Malladding
प्राचार्य: - आम्, ते अपि यथाशक्ति व्यायामम् कुर्युः । किञ्च, जनाः ईश्वरम् अपि अर्चेयुः । तेन हृदयम् शुद्धम् भवति । शुद्धम् हृदयम् अपि स्वास्थ्याय आवश्यकम् ।
अपरम् च
जनाः स्वास्थ्य वर्धकानि खाद्यानि एव खादेयुः । मुहुर्मुहुः न खादेयुः ।
भोः छात्राः, यूयम् अपि समये एव पठेत, समये एव च क्रीडेत । समये एव शयनम् कुर्यात । समये एव च उत्तिष्ठेत । समये एव कार्याणि कृत्वा जनः स्वास्थ्यम् विन्दति ।
शब्दार्थाः
वी
रक्षा
सुखम् समर्थ
अर्ज
उत्+नी (नय्)
उपायः तथाहि
॥ ॥ ॥
|||||| 14
रक्षा
सुख योग्य
कमाना
उन्नत करना
उपाय
जैसे
44.
(protection) (comfort)
(capable)
(to earn)
(to uplift)
(device)
(for example) Fisti
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________________
॥
॥
॥
॥
॥
सूर्योदयः प्राक् प्रातर्विधिः व्यायामः ततः दन्तः धावनम् स्वच्छ शोधकम् प्रयोगः निर्मल
॥
॥
॥
॥
॥
सूर्य निकलना
(sunrise) पहले
(before) शौचादि
(bathroom activity) कसरत
(exercise) उसके बाद
(thereafter) दाँत
(tooth) सफ़ाई
(cleaning) साफ
(clean) महार साबुन
.(soap) ( डी प्रयोगnani raVEDA (use) साफ
(clean) वा (यो बूढ़ाएगायकी (old) मनाउनी ताकत के अनुसार (according to
capacity) (and)
ansatta
(pure) (इसके इलावा) और (moreover) खाने योग्य वस्तु (eatable) बार-बार bhongiwod (again and again) सोना
(sleeping)
॥
॥
यथाशक्ति
॥
औरणमाका
॥
॥
॥
॥
॥
किञ्च शुद्ध अपरम् खाद्यम् मुहुर्मुहुः
"शयनम् धातु : अर्जु (1) उपसर्ग-युक्त-धातु:
उत्+नी (नय्) विशेषणानि
॥
EMPाए ।
goo
समर्थः स्वच्छ: निर्मलः वृद्धः शुद्धः
स्त्रीfastrona समर्था नेम स्वच्छा निर्मला वृद्धा शुद्धा
bluatta
न समर्थम् (uilidegro स्वच्छमा निर्मलम् वृद्धम् .Ther ( शद्धमायक)
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________________
अव्ययाः (क) तथाहि, प्राक्, ततः, किञ्च, अपरम्, मुहुर्मुहुः । (ख) यथाशक्ति ।
अभ्यासः
मौखिकम् 1. पठ और अर्जु धातुओं के विधिलिङ में रूप बोलिए (Conjugate पठ् and अर्ज in
विधिलिङ्)। 2. संस्कृत में उत्तर दीजिए (Answer in Sanskrit)
(क) जनाः किम् वाञ्छन्ति ? (ख) किम् जनाः मुहुर्मुहुः खादेयुः ? (ग) किम् वृद्धाः
अपि व्यायामम् कुर्युः ? (घ) किम् बालकाः देशम् उन्नयेयुः ? लिखितम् 3. पढ़े हुए शब्दों के आधार पर 'मम शरीरम्' विषय पर संस्कृत में आठ वाक्य लिखिए
(Making use of the known vocabulary, write eight sentences in
Sanskrit on मम शरीरम्)। 4. इन शब्दों की सहायता से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill in the blanks
with the help of following words) - प्रयोगः, निर्मलम्, शुद्धम्, प्राक् . (क) त्वम् ...
- वस्त्रम् धारयेः । (ख) यूयम् सदा सूर्योदयात् " उत्तिष्ठेत । (ग) ईश-वन्दनया हृदयम् .........." भवति ।
(घ)-शोधकस्य ............. प्रतिदिनम् आवश्यकः न अस्ति । 5. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)(क) छात्र शक्ति के अनुसार पढ़ें। (Students should study according to their
capability.) (ख) लोग अपने शरीरों को स्वस्थ रखें। (People should keep their bodies
healthy.) (ग) किसान खेतों को पानी से सींचें । (Farmers should water their fields.) (घ) हम देश को ऊँचा उठाएँ । (We should uplift our country.) (ङ) तुम दोनों घर न जाओ । (Both of you do not go home.)
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Teaching Point: (i) 'द्वि' declension
पञ्चमः
क्रीडायाः क्षेत्रम्
पाठः
विविध दलम् क्रीडकः उत्साहः निर्णायक खेलय रत पर स्पृश् स्व चरण कन्दुकम्
शब्दिका नियमः समान
क्रीडायाः क्षेत्रम् पश्यत । विद्यालयस्य छात्राः अत्र खेलन्ति । तत्र विविधाः क्रीडाः भवन्ति । प्रथमे क्षेत्रे कबड्डी भवति । एतस्याम् क्रीडायाम् द्वे दले भवतः । एकस्मिन् दले सप्त क्रीडकाः भवन्ति । द्वयोः दलयोः एव क्रीडकाः उत्साहेन खेलन्ति । एकः निर्णायकः अपि भवति । सः द्वे दले खेलयति ।
द्वितीये क्षेत्रे छात्राः "खो-खो"-क्रीडायाम् रताः सन्ति । एतस्याम् क्रीडायाम् प्रत्येकम् दले नव क्रीडकाः भवन्ति । एकस्य दलस्य क्रीडकाः परान् स्प्रष्टुम् प्रयत्नम् कुर्वन्ति, द्वितीयस्य दलस्य च क्रीडकाः स्वान् रक्षन्ति । ____ तृतीये क्षेत्रे बालाः चरणकन्दुकेन क्रीडन्ति । अत्र अपि एकः निर्णायकः अस्ति । तस्य हस्ते शब्दिका भवति ।
17
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________________
●OD 0000
काले काले एतासु क्रीडासु प्रतियोगिताः भवन्ति । प्रतियोगिताम् द्रष्टुम् द्वयोः एव विद्यालययोः छात्राः आगच्छन्ति, स्वस्य दलस्य च उत्साहम् वर्धयन्ति ।
क्रीडासु द्वाभ्याम् एव दलाभ्याम् नियमाः समानाः भवन्ति ।
-शब्दार्थाः
क्रीडा विविध
दलम् क्रीडक:
उत्साहः
निर्णायकः
खेलय्
रत
पर
स्पृश्
स्व
चरण-कन्दुकम्
=
=
= टीम
=
=
= हिम्मत
=
खेल
अनेक प्रकार की
खिलाड़ी
= लीन
॥ ॥
=
रैफ़ी, फैसला करने वाला
खेल खिलाना
= छूना
wh
दूसरा
अपना
कलि
= फ़ुटबॉल
18
(game) (various)
(team)
(player) (encouragement)
(referee)
(to make play)
(busy)
(other)
(to touch)
(one's own) (foot-ball)
गडकि
भकि
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________________
= सीटी
= एक जैसा
"शब्दिका
(whistle) नियमः = नियम
(rule) समान
(same) धातुः
खेलय् (1) स्पृश् (2) वाच Ems रूपम् द्वि (पृष्ठ 98) moderbal)
बर मा विशेषणानि
605005 HRonalboay. पं०
नप० विविधः विविधा
विविधम्ही रतः रता
रतम्
। परः
परम् स्वा
स्वम् समानः समाना
समानम्
परा
स्वः
अभ्यासः
मौखिकम् 1. शुद्ध उच्चारण के साथ यह पाठ पढ़िये (Read this lesson with correct
pronunciation). 2. अर्थ बताइये (Give meanings)
विविध, शब्दिका, मुहुर्मुहुः, तथाहि, वितस्ता । लिखितम् 3. 'द्वि' शब्द के यथापृष्ट रूप लिखिये (Give forms of द्वि as asked)
स्त्री
तृतीया विभक्तिः चतुर्थी पञ्चमी " षष्ठी " सप्तमी "
19
Page #25
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________________
4. संस्कृत वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए (Use in Sanskrit sentences)
क्रीड्, क्रीडा, क्रीडकः, क्रीडा-क्षेत्रम् ।। 5. अन्तर स्पष्ट कीजिए (Make the difference clear)- पठ्, पाठय; खेल, खेलय; चल, चालय; नश्, नाशय ।
6. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)(क) आश्रम में अनेक प्रकार के वृक्ष हैं। (In the hermitage, there are many
___kinds of trees.) (ख) सैनिको, उत्साह से युद्ध करो । (Soldiers, fight with courage.) (ग) दो कन्याएँ बाग़ को जा रही है । (Two girls are going to the garden.) (घ) पैरों में दो जूते हैं । (There are two shoes in the feet.) (ङ) माँ उन दो बच्चों को चूम ले। (Mother should kiss those two
children.)
Radiiwn0225tribbyा
काम
20
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________________
Teaching Point: (i) 'Fr' declension
षष्ठः
त्रयः मत्स्याः
पाठः
जलाशय कदाचित् धीवरः बहु तर्हि आजीविका वार्ता श्रुतिपथम्आ+ गम् त्यज् द्राक् युक्त भयम् अनागतम् विचारः उप+हस् भाग्यम् अनुकूल प्रतिकूल परिवारः प्र+नश्
पराहः काठिन्यम् भाग्यपर
11
/11
एकस्मिन् जलाशये त्रयः मत्स्याः वसन्ति स्म । कदाचित् तम् जलाशयम् दृष्ट्वा धीवराः अवदन् "बहून् मत्स्यान् अत्र पश्यामः । तर्हि श्वः अत्र एव आगमिष्यामः, एतान् मत्स्यान् च जालेन बद्धान् कृत्वा आजीविकाम् अर्जिष्यामः" इति ।
एषा वार्ता त्रयाणाम् एव मत्स्यानाम् श्रुतिपथम् आगच्छत् । एतत् आकर्ण्य तेषु त्रिषु प्रथमः मत्स्यः अवदत्-"आकर्णयथ न वा यत् एते धीवराः कथयन्ति । एतम् जलाशयम् त्यक्त्वा वयम् द्राक् एव अन्यत्र गच्छेम ।" तदा द्वितीयः मत्स्यः अवदत्-"न एतत् युक्तम् । भयेन कार्यं न भवति । अनागतस्य विचारः न युक्तः । यदि ते आगमिष्यन्ति तदा वयम् द्राक् एव एतत् स्थानम् त्यक्ष्यामः ।" तृतीयः द्वौ एव उपाहसत् अकथयत् च "युवाम् द्वौ एव मूौं । यदि भाग्यम् अनुकूलम् अस्ति तदा अत्र एव रक्षा भविष्यति । यदि भाग्यम् एव प्रतिकूलम् तदा अन्यत्र अपि नंक्ष्यामः।" .
21
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--------------------------------------------------------------------------
________________
एवम् चिन्तयित्वा प्रथमः तु स्वेन परिवारेण सह अन्यत्र प्राणश्यत् । ततः पराहे धीवराः तत्र आगच्छन् । तान् दृष्ट्वा द्वितीयः अपि काठिन्येन स्वान् प्राणान् अरक्षत् । भाग्यपरः च तृतीयः धीवराणाम् जालेन बद्धः अभवत् ।।
। शब्दार्थाः
बह
॥
॥
॥
जलाशयः
= तालाब कदाचित्
= कभी धीवरः
= मछियारा
= बहत मामा तर्हि आजीविका
= रोज़ी ही मायाको वार्ता
= बात श्रुतिपथम् आ+गम् = सुनना त्याका = छोड़नाशिक द्राक्
= जल्दी युक्त
= उचित भयम् गाया डर फोर
(pond) (sometime) (fisherman) (many, much) (then) (livelihood) (talk) (to hear) (to leave) (immediately) (proper) (fear)
॥
TPS
॥
॥
॥
का
॥
॥
22
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________________
अनागतम् विचार:
Hars
उप+हस्
भाग्यम्
अनुकूल प्रतिकूल परिवार: प्र+नश्
पराहः काठिन्यम्
भाग्यपर
धातुः त्यज् (2) उपसर्गयुक्त-धातुः उप+हस्, प्र+नश् (प्रणश्) रूपम् त्रि (पृष्ठ 98)
विशेषणानि
पुं०
बहुः
युक्तः
अनुकूलः प्रतिकूलः
- परः
do
00
= भविष्य, न आया हुआ
विचार
|| || | || || || || || ||
मज़ाक करना
भाग्य
= सीधा
Hi
=
=
विपरीत
परिवार
00170
भाग जाना
दूसरा दिन कठिनाई
(lane oil 1st
Bib
भाग्य पर विश्वास करने वाला
( स्त्री०
बहुः
युक्ता
अनुकूला प्रतिकूला
- परा
अव्यय : कदाचित्, तर्हि, द्राक्
मुहावरा (Idiom)- श्रुतिपथम् आ + गम्
चिकि
अभ्यासः
23
(future, yet to come) (thought)
(to laugh at)
(fate)0x
(favourable) (opposite)
(family)
(to run away)
(next day) (difficulty)
(fatalist)
नपुं०
बहु
युक्तम्
अनुकूलम् प्रतिकूलम्
-परम्
(ए)
(79)
मौखिकम्
1. शब्द, लिंग और वचन बताइए (Give for each of the following the basic
word, its gender and its number.)
द्वे, एका, तिस्रः, त्रीणि, द्वयोः, त्रयः ।
Page #29
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________________
2. नीचे कुछ उपसर्ग और धातु दिये गये हैं। उनसे सार्थक उपसर्गयुक्त धातुओं का
निर्माण कीजिए (Given below are some prefixes and roots. Join them to generate prefixed roots.)
उपसर्ग-अधि, अनु, आ, उत्, उप, प्रति, प्र, वि, सम्, अव् निर् । धातु - गम्, भू, नी, हस, ह, विश, वद्, स्थू, कर्णय्, चर्, नं, सद् ।
लिखितम्
3. त्रि के पुल्लिंग, स्त्रीलिंग और नपुंसकलिंग में रूप लिखिए (Decline त्रि in all
three genders.)
केवल भाग्य पर विश्वास करने से क्या हानि है ? (What's the harm in relying
on fate alone?)
4. संस्कृत में उत्तर दीजिए (Answer in Sanskrit)—
(क) जलाशयम् दृष्ट्वा धीवराः किम् अवदन् ? (ख) प्रथमः मत्स्यः किम् अकथयत् ? (ग) द्वितीयः मत्स्यः किम् अकथयत् ? (घ) तृतीयः मत्स्यः किम् अकथयत् ?
5. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)—
(क) बच्चो, आपस में खेलो । (Children, play together.)
(ख) एक, दो, तीन- इस प्रकार गिनो । (One, two, three-count like this.) (ग) इन तीनों का उपहास मत करो । ( Do not make fun of these three.) (घ) तीन दिनों के लिए वहाँ कौन जाएगा ? (Who will go there for three days ?) कीर (ङ) तीन लड़कियों ने यह बात सुनी। (Three girls heard this thing.)
24
Page #30
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________________
Teaching Point :
(i) 'चतुर्' declension
सप्तमः
श्रीरामः
पाठ:
ज्येष्ठ राजकुमारः मिथः प्रगाढ़ भृशम् राज्ञी जननी ऋषिः राक्षसः यज्ञः इष् (इच्छ्)
विवाह स्वागतम् राज्यम् प्रज्ञा
30
coomuc
पुरा अयोध्यायाम् दशरथः नृपः आसीत् । तस्य चत्वारः पुत्राः आसन् - रामः लक्ष्मणः भरतः शत्रुघ्नः च । तेषु चतुर्षु रामः ज्येष्ठः आसीत् । चतुर्णामेव राजकुमाराणाम् मिथः प्रगाढ़ः स्नेहः आसीत् । चतुरः एव पुत्रान् दृष्ट्वा दशरथः भृशम् प्रसीदति स्म । दशरथस्य तिस्रः राज्ञ्यः आसन् । तासु कौसल्या रामस्य जननी आसीत् ।
एकदा ऋषिः विश्वामित्रः आगत्य दशरथम् अवदत्-"वने राक्षसाः मम यज्ञम् नाशयन्ति । यज्ञस्य रक्षायै रामम् लक्ष्मणम् च इच्छामि ।" दशरथस्य आज्ञया ऋषिः तौ अनयत् । तौ तत्र राक्षसान् नाशयित्वा यज्ञम् अरक्षतम् ।
25
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________________
रामस्य विवाहः सीतया सह अभवत् । दशरथस्य आज्ञया सः वनम् अगच्छत् । सीता लक्ष्मणः च अपि तेन सह अगच्छताम् । तत्र रावणः सीताम् अहरत् । सुग्रीवस्य सहायतया रामः रावणम् अनाशयत् । ततः सः अयोध्याम् आगच्छत् । भरतः रामस्य स्वागतम् अकरोत् तस्मै च राज्यम् अयच्छत् । रामम् नृपम् दृष्ट्वा प्रजा प्रसन्ना अभवत् ।
शब्दार्थाः
ज्येष्ठ
= सबसे बड़ा राजकुमारः नवीन = राजा का बेटा मिथः
= आपस में प्रगाढ
= गहरा, बहुत भृशम्
=D अत्यधिक त्रामा राज्ञी
= रानीमा जननी
= माता की
(eldest) शाक (prince) (with one another) (thick, a lot of) (very much) (queen) (mother) 175
26
Page #32
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________________
ऋषिः
राक्षसः
यज्ञः
इष् (इच्छ्)
विवाहः
स्वागतम्
राज्यम्
प्रजा
= ऋषि
19 hip is f(sage)
= राक्षस
विशेषणानि
पुं० ज्येष्ठः
प्रगाढः अव्ययः मिथः
=
=
blood
=
=
यज्ञ
इच्छा करना
विवाह
स्वागत
राज्य
प्रजा
धातुः इष् (इच्छ्) (2)
रूपाणि
चतुर् (पृष्ठ 98), राज्ञी, जननी, 'नदी' के समान (like नदी) (पृष्ठ 94)
स्त्री०
ज्येष्ठा
प्रगाढा
अभ्यासः
लिखितम्
3. उत्तर संस्कृत में दीजिए (Answer in Sanskrit) — (क) विश्वामित्रः दशरथाय किम् अकथयत् ?
(ख) रामः लक्ष्मणः च यज्ञम् कथम् अरक्षताम् ?
(ग) भरतः रामाय किम् अयच्छत् ? (घ) दशरथस्य कति पुत्राः आसन् ?
(demon) (fire-worship) (to want)
(marriage)
(welcome)
(kingdom)
(subject, people)
मौखिकम्
1. राम आदर्श पुरुष क्यों कहलाते हैं ? (Why is Rama called the ideal man?)
2. अर्थ बताइए (Give meaning) -
भृशम्, भ्रमरः, भष्, तरुः, कृत्, रत ।
27
FEA 201701
नपुं० ज्येष्ठम्
प्रगाढम्
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________________
4. 'चतर' शब्द के रूपों से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill in the blanks with forms of चतुर)....... देवाः ,
कन्याभ्यः,
वायुयानानि युक्तिभिः ,............ निबन्धानाम्,
फलेभ्यः बालकान्,
दिनेषु,
बालिकाभ्यः
5. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)
(क) मैं गुरुओं का स्वागत करता हूँ । (I welcome teachers.) (ख) चार दोस्त आपस में खेल रहे हैं । (Four friends are playing with each
other.) (ग) उन चारों में मेरा छोटा भाई नहीं है । (My younger brother is not
among those four.) (घ) हम स्वस्थ बालक बनें । (We should become healthy children.) (ङ) सबसे बड़े भाई का हम चारों पर गहरा प्रेम है । (The eldest brother has
great affection for all four of us.)
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Page #34
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point:. (i) 'किम्, यत्, अन्य-declension
अष्टमः
जन्तुशाला
पाठः
जन्तुशाला अलम् विस्तरः प्रवेश-पत्रम् तातः विशालकायः गण्डकः प्रथमम् विविध-वर्ण चटकः स्वर्ण-वर्ण अतीव बलयुक्त महापंजरकः जन्तुराजः व्यवस्था
रक्षणम् श्रान्त
अनुजः- अस्माकम् जनकः अस्मान् अत्र किमर्थम् आनयत्? अग्रजः- किम् न अवगच्छसि? जन्तुशाला एषा।) अनुजः- अत्र के जन्तवः सन्ति? अग्रजः- अलम् विस्तरेण, स्वयमेव द्रक्ष्यसि । आगच्छ ।
प्रथमम् (जनकः प्रवेश-पत्राणि अधिगत्य बालैः सह गच्छति) अनुजः- तात, कः एषः विशालकायः? राधाः- गण्डकः एषः । प्रथमम् एतान् विविध-वर्णान् चटकान् तु पश्य ।
29
Page #35
--------------------------------------------------------------------------
________________
malities
4
अनुज:- पश्यामि । पश्य, पश्य, तत्र जलाशये हंसाः तरन्ति । रे ! सः हंसः तु स्वर्ण-वर्णः ! सुन्दरः सः ।
जनक:- बालाः, क्रमेण एकम् एकम् जन्तुम् पश्यत । एषः गण्डकः अतीव बलयुक्तः ! जलस्य समीपे एव सदा तिष्ठति ।
अनुज:- तात, अहम् चिन्तयामि यत् तम् मारयितुम् न कः अपि समर्थः अस्ति ? अग्रजः - कथं न? तत्र महापंजरके सिंहम् पश्य । सः तु जन्तुराजः अस्ति । गण्डकः वा स्यात् गजः वा स्यात् । सिंहः क्षणेन एव तम् नाशयितुम् समर्थः अस्ति । राधा:- तात, ये जन्तवः अत्र वसन्ति, तेषाम् भोजनस्य व्यवस्था कस्य कार्यमस्ति ? जनकः- तत्र प्रत्येकम् जन्तवे सेवकः भवति । सः एव जन्तोः भोजनस्य रक्षणस्य च
कार्यम् करोति ।
अनुज:- तात, वयम् तु श्रान्ताः स्मः । उपविशाम । भोजनम् कृत्वा अन्यान् जन्तून्
द्रक्ष्यामः ।
जन्तुशाला अलम् विस्तरः
॥ ॥ ॥
=
=
(ते भोजनाय उपविशन्ति )
शब्दार्थाः
चिड़ियाघर
बस, कोई आवश्यकता नहीं
विस्तार
30
(zoo )
(needless, enough) (explanation)
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________________
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
यत्
॥
॥
प्रवेश-पत्रम् = टिकट'1020231 (entry ticket) तातः
=ी पिता hिodi10Fाका (father)gorynagmopan कः (किम्) = कौन
(who) विशालकायः = विशाल शरीर वाला (one with a big body) गण्डकः = गैंडा
(rhinoceros) प्रथमम् पहले
(firstly-adverb) विवध-वर्ण = अनेक रंगों वालाinai dhe (multi-coloured) चटकः = चिड़िया
(sparrow) स्वर्ण-वर्ण सोने के रंग वाला
(golden) वीर अतीव = बहुत
(very)raitenis बलयुक्त बलवान
(strong) कः अपि कोई भी
(anybody) महापंजरकः बड़ा पिंजरा
(big cage) जन्तुराजः पशुओं का राजा
(king of animals) क्षणः क्षण
(moment) जो
(whosoever) व्यवस्था प्रबन्ध
(arrangement) रक्षणम् रक्षा
(protection) श्रान्त करत = थका हुआगर कि (tired) अन्य = दूसरा
(other) शान रूपाणि किम्, यत्, अन्य (पृष्ठ 96-97) विशेषणानि पुं०
स्त्री० -कायः
-काया
काका -वर्णा
-वर्णम्
1591010 -युक्तः -युक्ता
-युक्तम् चना श्रान्ता
श्रान्तम अव्ययाः अलम्, प्रथमम्, अतीव
(diodaspatiore उपपद-विभक्तिः
'अलम्' जब 'नहीं' या 'बस' के अर्थ में हो तो सम्बन्धित शब्द में क्त्वा या तुमुन् या तृतीया विभक्ति आती है। जि
313
॥
-कायम्
)
-वर्णः
श्रान्तः
Page #37
--------------------------------------------------------------------------
________________
If is being used in the sense of 'no' or 'that's all', then the accompanying word gets क्त्वा, तुमुन् or the तृतीया विभक्ति ।
अभ्यासः
मौखिकम्
1. स्त्रीलिंग रूप बताइए (Give the feminine forms)सकलः, प्रसिद्धः, सुन्दरः स्वर्णिमः, श्रान्तः ।
2. किम्, यत् और अन्य के रूप तीनों लिंगों में सुनाइए (Decline किम्, यत् and
अन्य in all the three genders).
लिखितम्
3. यथापृष्ट पुल्लिंग रूप लिखिए (Give the masculine forms as asked)—
एकवचन
द्विवचन बहुवचन
किम्
यत्
अन्य
अन्य
प्रथमा विभक्ति
ॐ तृतीया विभक्ति
पंचमी विभक्ति
सप्तमी विभक्ति
TUTS
32
5
4. पाठ में वर्णित पशुओं के अतिरिक्त ऐसे पाँच पशुओं के संस्कृत नाम बताइए जो
चिड़ियाघर में मिलते हों ।
(Name five zoo animals other than the ones mentioned in the lesson).
5. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)—
(क) सहायता की कोई आवश्यकता नहीं । (There is no need of help.) (ख) बलयुक्त लोग ही देश की रक्षा करते हैं। (Powerful people alone can protect the country.)
(ग) देखो, पिंजरे में कौन है ? (Look, who is there in the cage?)
(घ) जो थका हुआ है वह छोटा भाई है । (The one who is tired is the Fibe FFR FR JOS younger brother.) (ङ) दूसरों को भी खाने की चीजें दो । (Give eating stuff to others too.
Late
ਜੇ ਸਾਲ
Page #38
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________________
कि
-
जानी
Teaching Point: जाना (i) चित् suffix
नवमः
नलः दमयन्ती च
पाठः
आखेटः लुब्ध सविनयम् हितम् पुनः राजकुमारी परः गुणः कीर्तय प्रासादः मुग्ध रूपम् प्रसृत परि+नी रुचिः स्वयंवरः छाया बुद्धिसरणिम्अव+तू रहित तदनु सहित
पुष्प-माला
कश्चित् नृपः आसीत् । तस्य अभिधानम् नलः आसीत् । एकदा सः आखेटाय वनमगच्छत् । तत्र सः कंचित् हंसम् अपश्यत्.। हंसः स्वर्ण-वर्णः आसीत् । नपस्य लुब्धाम् दृष्टिम् दृष्ट्वा हंसः तस्मै सविनयम् अकथयत्-"भोः नृप, माम् मा मारय । अहम् तव किञ्चित् हितम् करिष्यामि ।"
नृपः अवदत्-"रे, त्वम् किम् हितम् करिष्यसि ?" हंसः पुनः अवदत्-"विदर्भस्य राजकुमारी दमयन्ती अतीव सुन्दरी । तस्याः पुरः अहम् तव गुणान् कीर्तयिष्यामि ।"
एवम् कथयित्वा सः विदर्भ-देशम् अगच्छत् । तस्मिन् काले दमयन्ती प्रासादे
22
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________________
विहरति स्म । स्वर्ण-वर्णं हंसम् समीपे दृष्ट्वा सा प्रसन्ना अभवत् । तदा हंसः नलस्य गुणान् अकीर्तयत् । दमयन्ती नले मुग्धा अभवत् ।
दमयन्त्याः रूपस्य कीर्तिः सर्वत्र प्रसृता आसीत् । केचित् देवाः अपि ताम् परिणेतुम् अवाञ्छन् । परम् नले तस्याः रुचिम् दृष्ट्वा ते असीदन् । यदा स्वयंवरः अभवत् तदा देवाः अपि नलस्य रूपम् धारयित्वा तत्र आगच्छन् । स्वयंवरे अनेकान् नलान् दृष्ट्वा दमयन्ती विस्मिता अभवत् । तदा काचित् युक्तिः तस्याः बुद्धिसरणिम् अवातरत् यत् देवाः तु छायया रहिताः भवन्ति । तदन सा छायया सहितम् नलम् पुष्प-मालया आर्चत् ।
शब्दार्थाः
आखेट:
॥
लुब्ध
॥
11
सविनयम् हितम् शिक्षा
शिकार
लालच-भरा = नम्रतापूर्वक जमी = भलाई
फिर राजा की बेटी
काम मा
॥
(hunting) (greedy) (humbly) (welfare) (again) (princess) (in front of) (virtue) (narrate) (palace)
॥
राजकुमारी पुरः गणः कीर्तय प्रासादः
॥
॥
JUT
॥
वर्णन करना = महल
| की
॥
Page #40
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________________
॥
||
||
मुग्ध रूपम् प्रसृत परि+नी (नय्) रुचिः स्वयंवरः
मोहित सुन्दरता फैली हुई विवाह करना रुचि स्वयंवर
||
||
||o,
(fascinated) (beauty) (spread) (to marry) (interest) (bridegroomchoosing-ceremony) (surprised) (to understand) (shadow) (without) (after that) (with) (garland)
॥
॥
॥
॥
विस्मित
चकित बुद्धिसरणिम् अव+तृ = समझ आना छाया
छाया रहित
रहित तदनु
उसके बाद सहित
___ सहित पुष्प-माला
फूलों का हार धातुः कीर्य (1) उपसर्ग-युक्त-धातुः परि+नी (नय) = परिणय विशेषणानि
॥
॥
॥
पुं०
लुब्धः मुग्धः प्रसृतः विस्मितः रहितः सहितः
स्त्री० लुब्धा मुग्धा प्रसृता विस्मिता रहिता सहिता
नपुं० लुब्धम् मुग्धम् प्रसृतम् विस्मितम्
रहितम्
सहितम्
अव्ययाः
पुनः, पुरः, सविनयम्, (तद्) अनु उपपद-विभक्तिः
'रहित', 'सहित'-इन दोनों शब्दों से पूर्व आए शब्द में तृतीया विभक्ति लगती है। (The word that comes before 'रहित' and 'सहित' takes the तृतीया विभक्ति).
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मुहावरा (Idiom)–बुद्धिसरणिम् अव+तृ
अभ्यासः
मौखिकम्
1. नल और दमयन्ती की कथा अपने शब्दों में सुनाइए । (Tell the story of Nala
and Damayanti in your own words). 2. परि+नी के रूप लट् और लुट में बोलिए । (Conjugate परि+नी in लट् and लृट्). लिखितम्
Mobsna 3. संस्कृत में उत्तर दीजिए (Answer in Sanskrit)
(क) हंसः नृपाय किम् अकथयत् ? (ख) हंसः नलाय किम् अकरोत् ? (ग) बहून् नलान् दृष्ट्वा दमयन्ती किम् अचिन्तयत् ?
(घ) दमयन्ती देवान् कथम् न वाञ्छति स्म ? 4. प्रत्येक शब्द से संस्कृत वाक्य बनाइए (Make a Sanskrit sentence with each
of the following)—
कश्चित्, काचित्, कञ्चित्, कस्मैचित, कस्यांचित् । 5. संस्कत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)
(क) किसी वन में एक शेर था । (In some forest, there lived a lion.) (ख) यह छाया किसी बालक की है । (This shadow is some boy's.).. (ग) उसके बाद कुछ फल लाओ। (Bring some fruit after it.) (T) fomentar HITTA ATT DET I (Stay with some intelligent person.) (ङ) कोई दो मुनि आए । (Some two sages came.)
ADVE-
36
36
nta
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Teaching Point : (i) अनुस्वार-संधि :
दशमः
पाठः
एका
कोशी
गर्दभः रजकः वहू रात्रि अन्नम् कर्कटिका
धिक्
तावत्
द्वारम्
तथा
यथा
प्रार
गर्दभस्य गीतम्
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स्वरः
राज्
आतृप्ति
ताडय् मृतप्राय
कस्मिंश्चित् ग्रामे एकः गर्दभः आसीत् । दिने सः रजकस्य वस्त्राणि वहति स्म । रात्रौ च सः इतस्ततः भ्रमति स्म । कश्चित् शृगालः तस्य मित्रमभवत् । रात्रौ तौ भ्रमित्वा स्वं कालं नयतः स्म । रात्रौ क्षेत्राणि प्रविश्य तौ अन्नं खादतः स्मः ।
एकदा तौ कर्कटिकानां क्षेत्रम् अगच्छताम् । तत्र काश्चित् कर्कटिकाः खादित्वा गर्दभः अवदत्-" भोः मित्र, समयः सुन्दरः । आकाशे चन्द्रः राजति । अहम् एकं गीतं गास्यामि । कथय, केन स्वरेण गायानि ?” इति । शृगालः अवदत् - "एवं मा कुरु । तव स्वरम् आकर्ण्य कृषकः अत्र आगमिष्यति आवां च ताडयिष्यति” इति ।
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गर्दभः अवदत्-"धिक् त्वां यत् एवं चिन्तयसि" इति । तदा किञ्चित् चिन्तयित्वा शृगालः अवदत्-"तिष्ठ तावत्, द्वारे स्थित्वा अहं कृषकं पश्यामि । तदा त्वम् आतृप्ति गाय । "
एवं कथयित्वा भृगालः बहिः अगच्छत् गर्दभः च आतृप्ति अगायत् । गर्दभस्य स्वरम् आकर्ण्य कृषकः तत्र आगच्छत् गर्दभम् च लगुडेन भृशम् तथा अताडयत् यथा गर्दभः मृतप्रायः अभवत् ।
गर्दभः
रजकः
वह्
रात्रिः
अन्नम्
कर्कटिका
राज्
स्वरः
ताडयू धिक्
तावत् द्वारम् आतृप्त
तथा
यथा
मृतप्राय
धातवः
विशेषणम्
||||||||||
पुं० मृतप्रायः
=
=
=
=
॥ ॥ ॥ ॥ ॥
वहू (2), राज् (1), ताडय् (2)
||||||||||||
गधा
शब्दार्थाः
धोबी
ढोना
रात
अन्न
ककड़ी
चमकना
संगीत का स्वर, आवाज़
पीटना
धिक्कार
तो
दरवाज़ा जी भर कर उतना, वैसा
जिससे, जैसा
मरे जैसा
स्त्री०
मृतप्राया
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(donkey) (washerman)
(to carry)
(night)
(grain)
网站
(cucumber) (to shine)
(note, sound) (to beat)
(curse)
(then)
(door)
नपुं०
मृतप्रायम्
ल
(to one's satisfaction)
(so much)
(that, as)
(almost dead)
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अव्ययाः
धिक्, तावत्, तथा, यथा, आतृप्ति । उपपद-विभक्तिः 'धिक्' के योग में आए शब्द में द्वितीया विभक्ति होती है (The word coming
with धिक् takes द्वितीया विभक्ति). मी ही काफी
रोग समाजवादीका अभ्यासः । भाडाकीण जय मौखिकम् । 1. इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है? (What is the moral of this story?) लिखितम् 2. संस्कृत में उत्तर दीजिए (Answer in Sanskrit)FO (क) गर्दभः शृगालः च कुत्र अगच्छताम् ? .
(ख) गर्दभः शृगालम् किम् अवदत् ?
(ग) गर्दभं क्षेत्रे दृष्ट्वा कृषकः किम् अकरोत् ? 3. सन्धि कीजिए (Join the words according to Sandhi rules)
लगुडम् पश्य, द्वारम् गच्छ, अन्नम् खाद, वस्त्रम् धारय्, एवम् कृत्वा, गर्दभम् च । 4. सर्वनाम से 'चित्' प्रत्यय अलग कीजिए (Separate चित् from pronouns)
कस्मिश्चित, काश्चित्, कश्चित्, किञ्चित् । 5. संस्कृत में अनवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)
(क) मूर्ख को धिक्कार है । (Curse on the fool!) (ख) बुद्धि-सहित मनुष्य ही सम्मान पाता है । (Only an intelligent person
gets respect.) (ग) अन्न की आवश्यकता नहीं है । (There is no need of grains.) (घ). धन से रहित मज़दूर दुःखी होता है। (A labourer without money gets
_distressed.) (ङ) सदा मीठा बोलो। (Always speak sweet.)
अगर मामा का नया कामाकर
_39
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Teaching Point: (i) दीर्घ सन्धिः (ii) सप्त-declension
एकादशः
बद्धः
पाठः
मासः पूर्णिमा अनन्तरम् परलोकः विमाता पुष्ट संसारः इति हेतु साधूदयः खिन्न एवंविध रागः विरक्त अश्वत्थः वर्षम् तपस्या विचारशुद्धिः कर्मशुद्धिः उपदेशः सारः
पुरा नेपाल-देशे 'शाक्य'-जातेः नृपः 'शुद्धोदनः आसीत् । वैशाख-मासस्य पूर्णिमायाम् तस्य एकः पुत्रः अभवत् । सप्तभ्यः दिनेभ्यः अनन्तरम् तस्य जननी
परलोकमगछत् । तदा तस्य विमाता गौतमी तमपालयत् ।राजकुमारस्याभिधानं गौतमः आसीत् । परिवारस्य जनाः तं स्नेहेन सिद्धार्थम् अपि कथयन्ति स्म । (). जिका
एकदा असितः नाम कश्चित् वृद्धः ऋषिः तत्रागच्छत् । सः बालकं दृष्ट्वा प्रथमम् अहसत ततः च खिन्नः अभवत् । नृपेण पृष्टः स अवदत्-"एषःबालकः संसारं
त्यक्त्वा वनं गमिष्यतीति हेतोः अहसम् । नाह वृद्धः साधूदयम् द्रक्ष्यामीति हेतोः खिन्नः अस्मि ।"
एतत् आकर्ण्य शुद्धोदनः एवंविधान् उपायान् अकरोत् यैः गौतमस्य संसारे रागः भवेत् । सः तस्य विवाहमपि अकरोत् । परम् एकस्मिन् दिने सः एक वृद्धम्, एकं
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रूग्णम्, एकं शवं चापश्यत् । किमहमपि एवं भविष्यामीति चिन्तयित्वा सः संसारात् विरक्तः अभवत् ।
सः संसारमत्यजत् वनं चागच्छत्। 'गया' नाम स्थाने अश्वत्थस्य नीचैः द्वादश वर्षाणि तपस्याम् आचरत् ज्ञानं चाविन्दत् । तस्मात् कालात् तस्याभिधानं 'बुद्धः' अभवत् ।
अहिंसा, विचारशुद्धिः कर्मशुद्धिः च तस्य उपदेशानां सारः अस्ति ।
शब्दार्थाः
मासः पूर्णिमा अनन्तरम् परलोकः
विमाता-10
पृष्ट संसारः
हेतुः साधूदयः खिन्न एवंविध रागः शवः विरक्त अश्वत्थः वर्षम् तपस्या विचारशद्धिः कर्मशुद्धिः उपदेशः सारः
= महीना = पूर्णिमा = बाद = परलोक = सौतेली माँ = पूछा हुआ, = संसार = इस (कारण) से = कारण = सज्जन की उन्नति = दुःखी = इस प्रकार का = प्रेम = मृत शरीर = वैराग्य, प्रेम-हीन = पीपल का पेड़ =3 साल = तपस्या = विचारों में पवित्रता = कामों में पवित्रता = उपदेश = निचोड़
(month) (full moon night) (after) (the next world) (step mother) (135) (asked) hiroticar (world) (due to this reason) E) (reason) (rise of the holy man) (sad) (of this kind) (attachment) (dead body) (detached) (peepal tree) (year) (penance) (purity in thought) (purity in action) (teaching) (substance)
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रूपमाकाकाहीही हेतु-साधु के समान, पृष्ठ 94 विशेषणानि का मामा मामला पंगणमा स्त्री०कसाना पृष्टः पृष्टा
पृष्टम् खिन्नः
खिन्ना की एवंविधः एवंविधा
एवंविधम् विरक्ता
विरक्तम्
up
खिन्नम्
विरक्तः
अव्ययाः अनन्तरम्, इति पकाने उपपद-विभक्तिः (क) 'अनन्तरम्' के योग में आए शब्द में पञ्चमी विभक्ति (The word that
comes with अनन्तरम् takes पञ्चमी विभक्ति).
(ख) कारण बताने के लिए हेतु' शब्द में पञ्चमी विभक्ति (For expressing
reason,हेतु takes पञ्चमी विभक्ति)..
(ग) अवधि बताने के लिए समय-वाचक शब्द में द्वितीया विभक्ति (For expressing
duration, time words take द्वितीया विभक्ति).
विशेषः 'इति' के दो अर्थ। देखिए पाठ दो तथा पाठ ग्यारह (इति has two meanings. See Lesson No. 2 and 11).
अभ्यासः
मौखिकम् 1. सन्धि-विच्छेद कीजिए (Disjoin the following)
राजकुमारस्याभिधानम्, तं स्नेहेन, तत्रागच्छत्, साधूदयः, गमिष्यतीति, द्रक्ष्यामीति,
चापश्यत्, वनं चागच्छत् । 2. भगवान बुद्ध के जीवन के बारे में कुछ बताइए । (Say a few sentences about
the life of Lord Buddha).
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लिखितम्
3. सन्धि कीजिए (Join the following)—
गुरु + उपदेशः, साधु+उक्तिः, प्रभु+उपवनम्, नदी+इरावती, गच्छति+इति, इति+इतस्ततः, अहिंसा+अस्ति, अद्य+अनुजः, राग + अरिः ।
4. संस्कृत में उत्तर दीजिए (Answer in Sanskrit)— (क) गौतमस्य जनकस्याभिधानं किमासीत् ? (ख) गौतमं दृष्ट्वा असितः किमकरोत् ? गौतमः संसारात् विरक्तः कथमभवत् ? (घ) बुद्धस्य उपदेशानां सारः कः अस्ति ?
5. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)—
(क) मनुष्य के लिए विचारशुद्धि आवश्यक है । (Purity of thought is necessary for a human being.)
(ख) इस प्रकार के काम मत करो । ( Do not do deeds of this kind.)
(ग) सात महीने के बाद क्या होगा ? (What will happen after seven
months?)
(घ) मैं सात दिन काश्मीर में रहा । (I stayed in Kashmir for seven days.) (ङ) स्वास्थ्य के कारण मैं वहाँ गया । ( I went there for health reasons.) O
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Teaching Point : - (i) गुण संधिः
Peniwoliotsdh.nioDगकिमी
द्वादशः
मूषकः महर्षिःच
पाठः
Densio महर्षिः उप+गम् (गच्छ्) भीत निश्शंक इत्थम् निश्श्वसित सम्मुखम् प्रार्थना
मृगेन्द्रः क्रमेण महोन्मत्त कदाचित् पूर्वम् ईदृश शप्फ
कश्चित् मूषकः आसीत् । सः विडालात् त्रस्यति स्म । सः महर्षिम् उपागच्छत् अकथयत् च-एषः विडालः मां खादितुम् उद्यतः। मां रक्षेति। महर्षिः अवदत्-त्वमपि विडालः भवेति । ततः सः अपि विडालः अभवत् ।
तदा कुक्कुरं दृष्ट्वा सः अत्रस्यत् । पुनः महर्षिम् उपगत्य सः अवदत्-"महर्षे, कुक्कुरात् भीतः अस्मि इति ।" महर्षिः पुनः अकथयत्-"त्वमपि कुक्करः भव ।" तदा सः विडालः कुक्करः अभवत् ।
कानिचित् दिनानि सः इतस्ततः निश्शंकः भूत्वा अभ्रमत् । एकदा सः कञ्चित् सिंहमपश्यत् । सिंहात भीतः सः इत्थम् अधावत यत् सः निश्श्वसितः इव भूत्वा महर्षेः सम्मुखं प्रार्थनामकरोत्-"महर्षे, सिंहः मां खादितुमिच्छतीति ।"
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तदा महर्षिः तम् सिंहमकरोत् । सः सिंहः वने सर्वत्र अभ्रमत् । सर्वे मृगाः तम् अनमन् । सः मृगेन्द्रः अभवत् । क्रमेण सः महोन्मत्तः अभवत् । एकस्मिन् दिने महर्षि दृष्ट्वा अचिन्तयत्-"कदाचित् एषः मां निन्देत् यत् एषः सिंहः पूर्वं मूषकः आसीत् । तदा कथं न एतमेव नाशयेयम्" इति । ____एवं चिन्तयित्वा सः महर्षि प्रति अचलत् । तस्य सिंहस्य ईदृशं विचारम् अवगत्य महर्षिः तम् अशपत्
"पुनः मूषकः भव" तदा सः सिंहः पुनः मूषकः अभवत् ।
शब्दार्थाः
in
महर्षि उप+गम् (गच्छ्) उद्यत भीत निश्शंक इत्थम् निश्श्वसित सम्मुखम् प्रार्थना
= महान् ऋषि = पास जानामिका = तैयार
नीpि = डरा हुआ = निडर = इस प्रकार = फूले हुए साँस वाला
(great sage) (to go near) (ready) (frightened) (fearless) (thus) (one out of breath) (in front of) (request)
= सामने
= प्रार्थना
॥
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________________
॥
॥
मृगेन्द्रः क्रमेण महोन्मत्त कदाचित्
॥
= पशुओं का राजा = धीरे-धीरे = बड़ा अभिमानी = शायद = पहले = इस प्रकार का = विचार =3D शाप देना
(king of animals) (gradually) (very proud) (perhaps) (earlier) (of this kind) (thought, idea) (to curse)
पूर्वम् ईदृश
॥
॥
।
विचारः शप्
धातुः शप् (2) उपसर्ग-युक्त-धातुः उप+गम् (गच्छ्)
विशेषणानि
स्त्री० उद्यता
नपुं० उद्यतम्मा
उद्यतः
भीतः
भीता
भीतम्
निश्शंकः निश्श्वसितः उन्मत्तः ईदृशः
निश्शंका निश्श्वसिता उन्मत्ता ईदृशी
निश्शंकम् निश्श्वसितम् उन्मत्तम ईदृशम्
अव्ययाः
इत्थम्, सम्मुखम्, क्रमेण, कदाचित् उपपद-विभक्तिः
जिससे डर लगे, उसके वाचक शब्द में पञ्चमी विभक्ति (The word expressing the source of fear takes पञ्चमी विभक्ति).
विशेषः
इन शब्दों के दो-दो अर्थ हैं । ध्यान दीजिए (Note the following words. They have two meanings each)— क्रमेण = बारी-बारी, धीरे-धीरे (by turns, gradually) कदाचित् = कभी, शायद (sometime, perhaps)
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अभ्यासः
मौखिकम् 1. चूहे और ऋषि की कहानी अपने शब्दों में सुनाइए (Narrate the story of The
Mouse and the Sage in your own words). 2. 'शप' के रूप विधिलिङ् में बोलिए (Conjugate 'शप्' in विधिलिङ्) लिखितम् 3. सन्धिच्छेद कीजिए (Disjoin)
महर्षिः उपागच्छत्, महोन्मत्तः, मृगेन्द्रः, विद्यालयः, उपेन्द्रः, नरेन्द्रः । 4. संस्कृत में उत्तर दीजिए (Answer in Sanskrit)
(क) विडालः प्रथमम् कस्मात् त्रस्यति स्म ? (ख) विडालः कुक्कुरः कथम् अभवत् ? (ग) सिंहः भूत्वा सः किम् अचिन्तयत् ?
(घ) महर्षिः सिंहस्य विचारम् अवगत्य किम् अकरोत ? 5. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)
(क) बालक कुत्ते से नहीं डरा । (The child did not fear the dog.) (ख) प्रत्येक बालक निडर बने । (Every child should become fearless.) (ग) बूढ़े का साँस फूला हुआ था । (The old man was out of breath.) (घ) रोज़ी के लिए इस प्रकार न सोचो । (For livelihood, do not think this
way.) (ङ) उस आदमी को धिक्कार है जो इस प्रकार सोचता है। (Curse on the
person who thinks like this.)
MAYAN
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Teaching Point : (i) वृद्धि सन्धिः
त्रयोदशः
पाठः
(king
(
आचार्यः चाणक्यः
वास्तव्य कृष्णवर्ण स्थूलौष्ठ दीर्घशिख शुष्ककेश कदाकार प्रतिशोध: कुत्रचित्
आकृति दृढनिश्चय
(mojiCI) प्राण
(Jioledasa miyowan PFIFF S
सः
भारतीये इतिहासे आचार्यस्य चाणक्यस्य नाम प्रसिद्धम् अस्ति । मौर्य - चन्द्रगुप्तस्य गुरुः आसीत् ।
सः तक्षशिलायाः वास्तव्यः आसीत् । तत्रैव तक्षशिला विश्वविद्यालये तस्य शिक्षा अभवत् । कृष्णवर्णः, स्थूलौष्ठः, दीर्घशिखः, शुष्ककेशः सः ब्राह्मणः अतीव कदाकारः आसीत् ।
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एकदा मगध-देशस्य नृपः नन्दः तमनिन्दत् । एतया निन्दया सः क्रुद्धः अभवत् प्रतिशोधाय च निश्चयमकरोत् । सः सर्वत्र भूमौ अभ्रमत् । कुत्रचित् सः एकं बालकमपश्यत् यः आकृत्या वीरः दृढनिश्चयः चासीत् । तस्य नाम चन्द्रगुप्तः आसीत् । चाणक्यः तं ध्यानेनापश्यत् । तं कुशलम् अवगत्य सः तं तक्षशिलाम्
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________________
अनयत् । तत्र राजनीतेः शिक्षाम् अधिगत्य सः बालकः तथैव योग्यः अभवत् यथा तस्य गुरुः तं वाञ्छति स्म ।
तौ मिलित्वैकां सेनाम् अरचयताम् । चाणक्यस्य प्रशिक्षणम् अधिगत्य सा सेना कुशला अभवत् । मगध-देशे आक्रमणं कृत्वा सा सेना नन्दम् अनाशयत् । चन्द्रगुप्तः मगधदेशस्य नृपः अभवत् ।
आचार्यः चाणक्यः कुशलः राजनीतिज्ञः आसीत्। सः 'अर्थ-शास्त्रम्' नाम राजनीतेः ग्रन्थम् अलिखत् । राजनीतिज्ञाः राजनीतेः छात्राः च अद्यापि तं ग्रन्थं पठन्ति ।
शब्दार्थाः
डा
भारतीय इतिहासः वास्तव्य विश्वविद्यालयः शिक्षा कृष्ण वर्ण स्थूलौष्ठ दीर्घशिखः
= भारतीय = इतिहास = निवासी = यूनिवर्सिटी = शिक्षा = काले रंग वाला = मोटे होंठ वाला = लम्बी चोटी वाला
॥
(Indian) (history) (inhabitant) (university) (education) (black-coloured) (thick-lipped) (with a long lock of hair on the head)
॥
॥
॥
492
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________________
॥
॥
॥
॥
॥
॥
"शुष्ककेशः गया - सूखे बालों वाला माग (dry-haired) कदाकारः = बदसूरत
(ugly) क्रुद्ध = क्रोधित
(angry) प्रतिशोधः = बदला
(revenge) निश्चय = इरादा
(determination) कुत्रचित् = कहीं
(somewhere) आकृतिः = शक्ल
(face) दृढनिश्चय = पक्के इरादे वाला
(a person with
determination) कुशल = कशल
(able, skilful) राजनीतिः = राजनीति
(politics) सेना = सेना
(army) राजनीतिज्ञ
= राजनीति जानने वाला (knower of politics) ग्रन्थः 1= पुस्तक पण (treatise, book),
शाविशेषणानि स्त्री०
नपुं० भारतीयः भारतीया
भारतीयम् वास्तव्यः वास्तव्या
वास्तव्यम् -वर्णः -वर्णा
-वर्णम् -ओष्ठः
-ओष्ठा -शिखः -शिखा
-शिखम् _केशव
-केशा कदाकारः कदाकारा
कदाकारम् क्रुद्धः
क्रुद्धा निश्चयः -निश्चया
-निश्चयम् कुशलः कुशला
कुशलम् राजनीतिज्ञः राजनीतिज्ञा
राजनीतिज्ञम्
०
-ओष्ठम्
-केशम्
अव्ययः कुत्रचित्
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अभ्यासः
मौखिकम्
Thad wor
1. उचित विभक्ति लगाइए (Provide the appropriate विभक्ति) - (कृष्णवर्ण) मित्राणि, ( कदाकार) नरौ (शुष्ककेश) बालिका, (भारतीय) महापुरुषाः
(कुशल) सौचिकः, (राजनीतिज्ञ) जनानाम्
2. अर्थ बताइए (Give meanings)—
कुत्र, कुत्रचित्, राजनीतिः, राजनीतिज्ञः, वास्तव्यः, आकृतिः ।
लिखितम्
3. सन्धिच्छेद कीजिए (Disjoin)— तत्रैव, स्थूलौष्ठः, सर्वत्रैव, अद्यैव, राजेन्द्रः
4. संधि कीजिए (Join)
अत्र+एव, देव + ऋषिः, महा+औषधम्, महा+उत्सवः
5. संस्कृत में उत्तर दीजिए (Answer in Sanskrit) — क आचार्यः चाणक्यः कः आसीत् ?
(ख) चाणक्यः नन्दं नाशयितुं किमर्थम् अचिन्तयत् ? (ग) चाणक्यः नन्दं नाशयितुं किमकरोत् ? (घ) चाणक्यः किम् पुस्तकम् अलिखत् ?
फ्री एमी
51
FPW FEVE
मी
6. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit ) -
(क) आचार्य चाणक्य काले रंग के थे । ( Acharya Chanakya had a black complexion.)
(ख) उन्होंने सब जगह घूम कर चन्द्रगुप्त को पाया। (He went around and found Chandragupta.)
(ग) गुरु और शिष्य दृढ़ निश्चय वाले थे । (The teacher and the disciple were persons of strong determination.)
(घ) उन्होंने मिलकर एक सेना बनाई । (They together made an army.)
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चतुर्दशः
श्लोकाः
पाठः
उद्यमः सिध् (सिध्य) मनोरथः नहि अलसः कुतः अविद्य अधन वचन-द्वयम् परोपकारः पुण्यम् पापम् परपीडनम् वाणी रसवती श्रमवती क्रिया लक्ष्मीः दानवती जीवितम् दानम् कण्ठः श्रोत्रम् शास्त्रम् प्रयोजनम् ।
PITALIAN
उद्यमेनैव सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः । नहि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥1॥ अलसस्य कुतः विद्या, अविद्यस्य कुतः धनम् । अधनस्य कुतः मित्रम्, अमित्रस्य कुतः सुखम् ॥2॥ अष्टादश पुराणेषु, व्यासस्य वचन-द्वयम् । परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ॥3॥ वाणी रसवती यस्य, यस्य श्रमवती क्रिया । लक्ष्मीः दानवती यस्य, सफलम् तस्य जीवितम् ॥4॥ हस्तस्य भूषणम् दानम्, सत्यम् कण्ठस्य भूषणम् । श्रोत्रस्यभूषणम् शास्त्रम्,भूषणैःकिप्रयोजनम् ॥ 5 ॥
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शब्दार्थाः
chgsoxemo
॥
॥
॥
नहि
॥
॥
॥
उद्यमः = परिश्रम
(hard work) सिध् (सिध्य) = सिद्ध होना
(to get done) मनोरथः = इच्छा
(wish) = नहीं
(not) अलस = आलसी
(lazy) कुतः 3 कहाँ
(where) अविद्य = विद्या-हीन
(uneducated) अधन = धन-हीन
(one without wealth) वचन-द्वयम् = दो शब्द
(two words)
का परोपकारः = दूसरों की भलाई (good of others) पुण्यम् = पुण्य
(religious merit) पापम् = पाप
(sin) परपीडनम्
= दूसरों को सताना (bothering others) वाणी =. बोलना
(speech) रसवती = मिठास से भरी (full of sweetness) श्रमवती = परिश्रम से पूर्ण (full of hardwork) क्रिया = काम
(action) लक्ष्मीः = धन, धन की देवी
(wealth, goddess of wealth) दानवती = दान युक्त
(full of charity) जीवितम् = जीवन
(life) -PEममा दानम् = देना, दान
(giving, charity) कण्ठः = गला
(throat)
अल श्रोत्रम् कान
(ear) विमानामा शास्त्रम् = शास्त्र
(scripture) प्रयोजनम् = उद्देश्य
(purpose) o oob धातुः सिध् (सिध्य्) (2)
कवि-RE) रूपाणि
लक्ष्मी:-'नदी के समान (like नदी) (पृष्ठ 94) नोट-प्रथमा विभक्ति एकवचन में लक्ष्मी' में विसर्ग है परन्तु 'नदी' में नहीं । इस अन्तर के अतिरिक्त शेष रूप समान हैं (The declension of लक्ष्मी is like नदी with
॥
॥
॥
॥
॥
॥
।
53
Page #59
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________________
अलसम्
अधनम्
one exception : प्रथम वि० Singular has विसर्ग) विशेषणानि पुं० स्त्री
नपुं० अलसःenob अलसा अविद्यः अविद्या
अविद्यम् अधनः
अधना अव्ययः नहि, कुतः
अभ्यासः मौखिकम् 1. 'कुतः' शब्द के दो अर्थ हैं । निम्नलिखित वाक्यों को पढ़ कर दोनों अर्थ ढूंढिये (कुतः has
two different meanings. Read the following and find out)—
बालकः कुतः आगच्छति ? अविद्यस्य कुतः धनम् ? 2. पुँल्लिग, स्त्रीलिंग, नपुंसकलिंग शब्द अलग-अलग कीजिए (Separate words of
three genders) उद्यमः, मनोरथः, अधना, प्रयोजनम्, परोपकारः, पुण्यम्, पापम, वाणी, जीवितम्, श्रोत्रम्,
शास्त्रम्, अविद्यः, कण्ठः । लिखितम् 3. संस्कृत में उत्तर दीजिए (Answer in Sanskrit)
(क) कार्याणि कथं सिध्यन्ति ? (ख) सुखम् कः विन्दति ? । (ग) व्यासस्य वचन-द्वयम किम् अस्ति ? (घ) कस्य जीवितं सफलम् ?
(ङ) कण्ठस्य भूषणं किम् अस्ति ? 4. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)(क) संसार में आलसी कभी उन्नति नहीं करता। (In the world, a lazy person
does not progress.) (ख) यह दूसरा लड़का कौन है ? (Who is this second boy?) (ग) धन-हीन का जीवन सफल नहीं होता । (The life of a person without
money is not successful.) (घ) शास्त्रों का प्रयोजन परोपकार है ।(The purpose of scriptures is to do
good to others.) (ङ) हमारी वाणी सदैव रसवती हो । (Let our speech be always sweet!)
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________________
Teaching Point: ; (i) भगवत्-declension
या एणि
उपाय
parma
पञ्चदशः
गीतायाः उपदेशः
पाठः
युद्धभूमिः सम्+वद् (संवद्) भगवत् विद्यावत् चापः युद्धवेला धनुष्मत् साम्प्रतम्
निश्चयवत् आत्मा जीर्ण नवीन भाग्यवत् निष्काम-भावना अर्थः
(कुरुक्षेत्रस्य युद्धभूमिः । कृष्णः अर्जुनः च संवदतः) अर्जुनः- भगवन् ! अहम् एतान् बन्धून नाशयितम् नेच्छामि। तत्र विद्यावन्तः 1901 आचार्याः अपि तिष्ठन्ति । अहम् तान् कथं मारयेयम् ?
(इति कथयित्वा अर्जुनः चापं बाणं च क्षिपति) कृष्ण:- एषा युद्धवेला अस्ति । एषा दुर्बलता धनुष्मति त्वयि न साम्प्रतम् । उत्तिष्ठ ।
युद्धाय निश्चयवान् भव ! अर्जुनः- सः भीष्मः सः च द्रोणः । तौ पूजनीयौ आचार्यों । ते कौरवाः अपि अस्माकं
बन्धवः । राज्यस्य कृते वयं तान् कथं नाशयेम ?. कृष्ण:- भो अर्जुन, आत्मा अमरः अस्ति । आत्मा कदापि न नश्यति । यथा नरः
जीर्णानि वस्त्राणि त्यजति, नवीनानि च धारयति, तथैव आत्मा अपि जीर्णानि शरीराणि त्यजति, नवीनानि च धारयति । अर्जुन, उत्तिष्ठ !
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भाग्यवन्तः क्षत्रियाः एव ईदृशं युद्धं विन्दन्ति । एतेन तव कीर्तिः सर्वत्र प्रसरिष्यति ।
अर्जुनः- यदि अहं कस्यचित् अपि प्राणान् हरामि, तदा पापं विन्दामि ।
कृष्णः - निष्काम भावनया यदि त्वं कार्यं करिष्यसि तदा पापं न वेदिष्यसि । निष्काम भावनायाः एषः अर्थः यत् कार्यं तु कुरु परं तस्य फलं मा इच्छ । (इति आकर्ण्य अर्जुनः युद्धाय उत्तिष्ठति )
युद्धभूमिः सम्+वद् (संवद्)
भगवत् विद्यावत्
चापः
युद्धवेला
दुर्बलता
-
धनुष्मत्
साम्प्रतम्
निश्चयवत् पूजनीय
=
||||||||||||||||||||||
=
=
=
शब्दार्थाः
युद्ध का मैदान
बातचीत करना
भगवान्
विद्वान
धनुष
युद्ध का समय कमज़ोरी धनुषधारी
= उचित
= निश्चय-युक्त
पूज्य
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PABOR
(battle-field)
(to talk to each other)
(God)
(learned person) उन
(bow)
(time of war)
(weakness)
(archer)
(proper) (determined)
Taps (respectable)
Page #62
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________________
जीर्ण
लिए
(for) किमान आत्मा
आत्मा
(soul) ताका अमरः
= अमर (जो नष्ट न हो) (immortal) = फटा हुए
(torn) नवीन = नया
(new) भाग्यवत् = भाग्यवान्
(lucky) निष्काम-भावना = फल-कामना से रहित । (without desire for
the fruit) अर्थः -1 = मतलब stolenery (meaning)
नाशिक यताक) उपसर्गयुक्त-धातु: सम्+वद् (संवद्) (1)
Siberint रूपाणि
भगवत् विद्यावत्, धनुष्मत्, निश्चयवत, भाग्यवत् (पृष्ठ 94-95) विशेषणानि
रवि किम पं० स्त्री०
नपुंorobagina -वती
वत्सीनिया (6) जीर्णः जीर्णा
जीर्णम् नवीन नवीना
नवीनम् अव्ययाः साम्प्रतम्, कृते
-वत्
अभ्यासः
मौखिक
1. दो बालक मिलकर इस पाठ को नाटक के रूप में प्रस्तुत करें (Two children may
role-play it together). 2. निन्नलिखित शब्दों के अर्थ बताइए (Give meanings of the following)
चापः, असाम्प्रतम्, यथा, तप्, यथाशक्ति, राज्ञी । लिखितम् 3. निर्दिष्ट विभक्ति के रूप सामने लिखिए (Give forms in front as asked)
भगवत् (द्वितीया) धनुष्मत् (चतुर्थी)
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________________
भाग्यवत् (षष्ठी) विद्यावत् (तृतीया)
4. संस्कृत में उत्तर दीजिए (Answer in Sanskrit)— (क) कृष्ण : अर्जुनं कुत्र उपादिशत् ? (ख) अर्जुनः कृष्णाय किम् अकथयत् ? (ग) कृष्णस्य उपदेशः कः अस्ति ?
(घ) निष्काम भावनायाः कः अर्थः अस्ति ?
5. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)—
(क) भगवान् कृष्ण के उपदेश गीता में हैं । (Lord Krishna's teachings are in the Gita.)
(ख) विद्वान के लिए यह अनुचित है । (This is inappropriate for a scholar.)
(ग) आत्मा नया शरीर धारण करता है । (Soul adopts a new body.)
(घ) भगवती दुर्गा की पूजा पापों को नष्ट करती है । (Worship of goddess Durga destroys sins.)
(ङ) भाग्यवाली स्त्रियाँ ही कीर्ति पाती हैं । ( Fortunate women alone earn Te
fame.)
1000
SER
58
कुमा
300
Siq-alon
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--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point:
-तर,-तम suffixes
षोडशः
स्वदेश-परिचयः
पाठः
दृढ मातृभूमिः पितृभूमिः पुण्यभूमिः कर्मभूमिः अधिक संकल्पः परिचयः निम्नलिखित
राष्ट्रिय -ध्वजः त्रिवर्णः चिह्नम् वाक्यम् पशुः खेलः
कार
भारतम् अस्मभ्यम् स्वर्गात् अपि प्रियतरम् । अत्रैव उषित्वा वयं जीवनस्य सर्व सुखम् विन्दामः । भारतस्यैव नदीनां जलं पीत्वा, भारतस्यैव क्षेत्राणाम् अन्नं खादित्वा अस्माकं शरीराणि दृढ-तराणि अभवन् । भारतमेव अस्माकं मातृभूमिः, पितृभूमिः, पुण्यभूमिः, कर्मभूमिः चास्ति । भारतस्य उन्नत्यै एव अस्माकं समयस्य धनस्य च अधिकतमः उपयोगः भवेत् इति अस्माकं संकल्पः । सर्वेषु देवेषु भारतम् एव उच्चतमः देवः । राष्ट्रदेवः भव ।। भारतस्य परिचयाय निम्नलिखितं ज्ञानम् आवश्यकमरित
ग 1. राष्ट्रिय-ध्वजः - त्रिवर्णः 2. राष्ट्रिय-गीतम् - . जन गण मन अधिनायक जय हे 3. राष्ट्रिय-चिह्नम् - त्रयः सिंहाः 4. राष्ट्रिय-वाक्यम् - सत्यमेव जयते नानृतम्
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________________
5. राष्ट्रिय खगः 6. राष्ट्रिय पशुः 7. राष्ट्रिय खेलः
राष्ट्रिय पुष्पम्
जन-गण-मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता ।
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग, विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधितरंग,
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष माँगे,
गाहे तव जय गाथा ।
जन-गण-मंगलदायक जय हे.
भारत भाग्य विधाता ।
जय हे जय हे जय हे।
जय जय जय जय हे, भारत भाग्य विधाता ।
दृढ मातृभूमि
पितृभूमिः पुण्यभूमि
कर्मभूमिः अधिक
संकल्प उच्च
राष्ट्रदेवः
परिचयः
निम्नलिखित
एतेषाम् अधिकतरं ज्ञानं वयं विन्दाम । बुद्धिमत्तराः जनाः एव स्वस्य देशस्य सेवां कर्तुं समर्थाः भवन्ति ।
= मज़बूत
|||||||| || || || || ||
=
=
=
=
मयूरः सिंह:
हॉकी
कमलम्
=
कर्मभूमि
शब्दार्थाः
मातृभूमि पितृभूमि पवित्र भूमि
ज़्यादा
पक्का इरादा
ऊँचा
(high)
राष्ट्र को देवता मानने वाला (one who regards the
nation as 'god)
परिचय
= नीचे लिखा
कुर
60
(strong) OTH (motherland)
(fatherland)
(sacred land)
(land of actions)
(more)
(determination)
(introduction, basic information) (undermentioned)
Fy
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________________
||
||
||
||
||
||
राष्ट्रिय
= राष्ट्रीय दिशा शिवची (national) काडी ) ध्वजः। 101 b = झण्डा ,owt usdi (flag)roMA) त्रिवर्णः = तिरंगा
10 हि(tri-coloured) चिह्नम् निशान
(emblem) वाक्यम् वाक्य
(sentence) पशुः = पशु
(animal) खेलः = खेल Indanserius
(game) बुद्धिमत् = बुद्धिमान्
(wise) नोट-सत्यमेव जयते नानृतम् (सत्यम् एव जयते न अनृतम्) = सच ही जीतता है, झूठ नहीं । इस वाक्य में प्रयुक्त 'जयते' ऋषियों द्वारा प्रयोग होने के कारण ठीक मान लिया गया है । वैसे 'जि' धातु का शुद्ध रूप 'जयति' बनता है। जयते in (सत्यमेव जयते is considered correct because it was used by sages. However, the grammatical form in classical Sanskrit is 'जयति' विशेषणानि iपंगा-स्त्री. गिरनार
दृढःotatsinger दढा Notlairiwoदढम 101 वा अधिकः अधिका
अधिकम् Ssg nirbiw उच्चः मा उच्चारक
उच्चम् () राष्ट्रदेवः राष्ट्रदेवास
राष्ट्रदेवम् -लिखितः क-लिखिताबाट
-लिखितम्) राष्ट्रियः राष्ट्रिया -
राष्ट्रियम्) त्रिवर्णः त्रिवर्णा क
त्रिवर्णम् । -तर, -तम
(intens2 oni atsientsil) elo E E भाषा दृढतरः
दृढतमः
दृढतमा नपुं०दृढम्
।
दृढतमम् इसी प्रकार -तर, -तम को अन्य विशेषणों में भी जोड़िए। varibbndATE उपपद-विभक्तिः
(i) दो की तुलना में, जिससे तुलना की जाए, उसमें पञ्चमी विभक्ति आती है। Inb (Between two, the word for the one being compared with gets DO, पञ्चमी विभक्ति
पुं०स्त्री०
दृढः तीसरा दृढतरा माता दृढतरम्
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________________
(ii) दो से अधिक की तुलना में, जिससे तुलना की जाए, उसमें षष्ठी या सप्तमी विभक्ति
आती है (Among more than two, the word for those being compared with gets षष्ठी or सप्तमी विभक्ति).
अभ्यासः मौखिकम् 1. संस्कृत में उत्तर दीजिए (Answer in Sanskrit)
(क) राष्ट्रियः खेलः कः अस्ति ? (ख) राष्ट्रियः पशुः कः अस्ति ? (ग) राष्ट्रिय पुष्पं किम् अस्ति ?
(घ) राष्ट्रिय वाक्यं किम् अस्ति ? 2. 'शब्दों का अर्थ बताइए (Give meanings)त्रिवर्णः, कर्मभूमिः, ध्वजः, इत्थम्, एवंविधः
divoH लिखितम् 3. कोष्ठ में दिए. शब्दों में पंचमी, षष्ठी या सप्तमी में से विभक्ति लगाइए (Provide
पञ्चमी, षष्ठी or सप्तमी वि० whichever is appropriate for the words within parenthesis)
कमलम् सुन्दरतमम् । (एतत्) (खग)
मयूरः सुन्दरतमः । (देश)श
भारतम् सुन्दरतमम् ।
गीता उच्चतमा । (राम) गण
कृष्णः बुद्धिमत्तरः । 4. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)(क) उसके शरीर से मेरा शरीर अधिक मज़बूत है । (My body is stronger
than his.) (ख) भारतीय खेलों में कबड्डी सबसे प्रसिद्ध है। (In Indian games,
Kabaddi is the most well-known.) PRG (ग) इस घोड़े से मेरा घोड़ा ज्यादा तेज़ है । (My horse is faster than this
horse.) (घ) यह बालक उससे ज़्यादा बुद्धिमान् है । (This boy is more intelligent .
than that.)
(पुष्प)
(पुस्तक)
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Teaching Point : (त) सर्व अनेक-declension
सप्तदशः
संस्कृत-भाषा
। पाठः
भाषा प्राचीन साहित्यम् वर्जय् यद्यपि तथापि पोषय शब्दः लिखित धार्मिक दर्शनम्
कथा विज्ञानम् वैद्यकम् काव्यम् कृतिकारः मूनि स्थापय
वेद
Pleh
पुराण
संस्कृतम् प्राचीनतमा भाषा अस्ति । संस्कृतस्य साहित्यमपि संसारे सर्वेषां साहित्यानां प्राचीनतमम् अस्ति ।
दक्षिण-भारतस्य चतस्रः भाषाः वर्जयित्वा सर्वासां भारतीयानां भाषाणां जननी संस्कृतमेव अस्ति । यद्यपि तमिल-तेलगु-कन्नड-मलयालम्-भाषाणां न सा जननी परं तथापि संस्कृतेन ताः पोषिताः । तासु सर्वासु भाषासु अनेकान् संस्कृत-शब्दान् पश्यामः ।
संस्कृते लिखिताः वेदाः, उपनिषदः, पुराणानि च हिन्दूनाम् अनेके धार्मिकाः ग्रन्थाः सन्ति । वेदाः चत्वारः सन्ति-ऋग्वेदः, यजुर्वेदः, सामवेदः, अथर्ववेदः च । संस्कृते एव वाल्मीकेः रामायणम् वेदव्यासस्य महाभारतं चापि पश्यामः । गीता महाभारतस्यैव एकम् अंगमस्ति ।ailersithin pune
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________________
संस्कृते दर्शन - साहित्यस्य, कथा-साहित्यस्य, विज्ञान-साहित्यस्य वैद्यकसाहित्यस्य च अनेके ग्रन्थाः सन्ति । भारते अनेके कवयः अभवन् ये नाटकानि काव्यानि च संस्कृत भाषायां अलिखन् ।
भासः, कालिदासः, बाणभट्टः, हर्षः, भवभूतिः, दण्डी, भारविः, माघः, शूद्रकः, विशाखदत्तः, जयदेवः, विष्णुशर्मा च अनेके कृतिकाराः संस्कृतं सर्वेषां साहित्यानां मूर्धिन अस्थापयन् ।
भाषा
प्राचीन
साहित्यम्
वर्जय
यद्यपि
तथापि
पोषय्
'शब्द:
लिखित धार्मिक
如
FIRST
UTE
|| || | || ||
=
भाषा
= पुराना = साहित्य
= छोड़ना
बेशक
तो भी
-शब्दार्थाः
=
= शब्द
पद क
= पुष्ट करना
का
लिखा हुआ
धार्मिक
64
लीवर (language) SITE
Sanskar (old) TH(literature) ph-win (excepting)
(although)
(even then)
(to nourish)
(word)
(written) (religious)
मक
मिनार,
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________________
विज्ञानम् वैद्यकम्
दर्शनम्
= दर्शन एजनालक (philosophy) (5) कथा
= कहानी किनाणा (b (story) (5) = विज्ञान
मिंक (science)
= चिकित्सा विज्ञान (medical science) काव्यम्
= काव्यकोडा (ae(poetry) कृतिकारः
= लेखक EPT (author) : मूनि स्थापय् सबसे ऊपर स्थापित करना (to establish at the top)
brow धातुः वर्जय (1) पोषय् (1)
प्रशासक रूपाणि सर्व, अनेक-किम् के सामान (पृष्ठ 96-97) मार का कहना 101stormssueशाकमा बताया किमा
) विशेषणाणि पं . स्त्री०
नपंगाजी (1) प्राचीनः प्राचीना
प्राचीनम् लिखितः लिखिता
लिखितम् I धार्मिकः धार्मिकी
धार्मिकम् अव्ययाः यद्यपि, तथापि फोरमका शंकातिका मुहावरा (Idiom)- मूनि स्थापय
अभ्यासः
मौखिकम् 1. भारत में बोली जाने वाली दस भाषाओं के नाम बताइए (Name ten languages
spoken in India). 2. अर्थ बताइए (Give meanings)
कृतिकारः, वैद्यकम्, कथाकारः, कुतः, विज्ञानम्, मनोरथः । लिखितम् । 3. कोष्ठक में दिए गए शब्दों में उचित विभक्ति लगाइए (Provide appropriate
vibhakti to words within parenthesis)
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________________
(क) संस्कृत-साहित्यं-(सर्व) साहित्यानां प्राचीनतमम् । (ख) संस्कृतम् एव-(सर्व) भाषाणां जननी अस्ति । (ग) कालिदासस्य-(सर्व) काव्यानि संस्कृते एव । (घ) संस्कृतस्य-(अनेक) शब्दाः भारतीय-भाषासु सन्ति । (ङ) संस्कृते लिखितानि-(अनेक) नाटकानि सन्ति ।
(च) भारते-(अनेक) भाषाः सन्ति । 4. विभक्ति और वचन बताइए (Tell the vibhakti and number in each
word)
हिन्दूनाम्, सर्वे, अनेकास, साहित्यस्य, अनेकाभिः, सर्वस्यै । 5. संस्कृत में अनवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)
(क) संस्कृत एक प्राचीन भाषा है । (Sanskrit is an old language.). (ख) यह भाषा भारतीय भाषाओं की जननी है । (This language is mother of
Indian languages.) सा(िग) कालिदास सब लेखकों से ऊपर हैं। (Kalidas is the best of all समस्त writers.) (घ) गीता महाभारत का एक अंग है ।(The Gita is a part of the Mahabha
समय rata.) (ङ) अनेक नाटकों और काव्यों को हम पढ़ते हैं और पढ़ेंगे । (We read and will
read many plays and poetical compositions.)
ताजा
2egsuginal
aisingi
OTSCriwa
itdiv
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________________
Teaching Point:
(i) यण्-सन्धिः
पाठः
अष्टादशः
- रमेशस्य-जन्मदिवसः
जारीTERY प्रतीक्षा उपहारः बहुमूल्य आयुष्मत् करः कार्यक्रमः सत्यम् दत्तध्यान पश्चात्
करतल-ध्वनिः आनन्दः दिवस उदरस्थ मिष्टान्नम् प्रसन्नमुख
रमेश:- स्वागतम् ! स्वागतम् ! प्रियाणि मित्राणि, आगच्छत । युष्माकमेव
प्रतीक्षायाम् अहमत्र स्थितः। देवेन्द्रः- एषः मम उपहारः । स्वीकुरु ।। (रमेशः उपहारं स्वीकरोति । अन्यान्यपि मित्राणि उपहारान् यच्छन्ति । तान्यपि
मामला रमेशः स्वीकरोति) रमेशः- बहुमूल्याः एते उपहाराः । प्राणेभ्यः अपि मम प्रियतराः ! उपविश ! उपविश!
वाम (रमेशस्य जनकः प्रविशति) जनकः- रमेश ! दिष्ट्या वर्धसे । आयुष्मान् भव ! विद्यावान् भव !
(रमेशस्य मित्राण्यपि उत्तिष्ठन्ति जनकं च कराभ्यां नमन्ति)
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________________
जनकः- आयुष्मन्तः भवत । उपविशत ! पालीनतम विवेकः- रमेश, अद्य कः कार्यक्रमः ? त बस्ति रमेश:- यूयम् सर्वे नृत्यत गायत च । एषः एव कार्यक्रमः ।
07 (सर्वे हसन्ति) | प्रदीप:- रमेश, त्वं तु उपहससि । परम् अहं सत्यमेव गातुम् इच्छामि । किं गायानि ? रमेश:- अलं पृष्ट्वा । यथेच्छं गाय । (प्रदीपः गायति । सर्वे दत्तध्यानाः तम् आकर्णयन्ति । गीतस्य पश्चात् सर्वे
करतल-ध्वनि कुर्वन्ति)
PANDA
097
अमरः- अद्य तु कश्चित् नृत्यतु अपि । आनन्दस्य एषः दिवसः। प्रदीपम अथ किम् ! आगच्छत, वयं सर्वे एव नर्तिष्यामः । राना
र (सर्वे नृत्यन्ति, गायन्ति हसन्ति च) रमेश:- श्रान्ताः यूयं सर्वे । अधुना आगच्छत । एतानि मिष्टान्नान्यपि उदरस्थानि
कुरुत। (प्रसन्नमुखानि मित्राणि आगच्छन्ति मिष्टानानि च आतृप्ति खादन्ति ।)
प्रतीक्षा उपहारः
की
शब्दार्थाः
STी ! इन्तज़ार म गड (wait) ) = तोहफा
(gift)
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________________
(truly)
॥
॥
॥
बहुमूल्य
= बहुत कीमती (valuable) दिष्ट्या वर्धसे = बधाई हो काम
(congratulations) आयुष्मत् = दीर्घायु
(having a long life) करः = हाथ
(hand) कार्यक्रमः
= कार्यक्रम, प्रोग्रामला (programme) सत्यम्
= सचमुच का यथेच्छम् णापा = इच्छानुसार वाम (as much as you want) दत्तध्यानः सायन = ध्यान देकर
(attentive)
नानी पश्चात्
(90RLबाद में DIoterda (after) करतल-ध्वनिः = ताली की आवाज़ (clapping)
+का आनन्दः
आनन्द
(happiness) दिवसः
= दिन तिला कि (day) किरण उदरस्थ bha = पेट में डालना : (swallow) मिष्टान्नम् = मिठाई
(sweet, candy) प्रसन्नमुख
प्रसन्न मुख वाला (one with a happy face) विशेषणानि
स्त्री०/abroat बहुमूल्यः tonsbo बहमल्याmarioDI
बहुमूल्यम् आयुष्मान् 190 आयुष्मती
आयुष्मत् दत्तध्यानः दत्तध्याना
दत्तध्यानम् र उदरस्थः । उदरस्था
उदरस्थम् -प्रसन्नमुखः प्रसन्नमुखा
प्रसन्नमुखम् अव्ययाः सत्यम्, पश्चात् उपपद-विभक्तिः
पश्चात्' के योग में जो शब्द आता है, उसमें षष्ठी विभक्ति लगती है (The word accompanying पश्चात् gets the षष्ठी विभक्ति)
मुहावरा (Idiom) दिष्ट्या वर्धसे विशेषः - सत्यम् (संज्ञा के रूप में) (as a noun) = सच (truth) (क्रियाविशेषण के रूप में) (as an adverb) = सचमुच (truly)
नप०
6907
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________________
अभ्यासः
This
Map (Srilacetate
प्याज मौखिकम् 1. स्त्रीलिंग रूप बताइए (Tell the feminine form)प्रसन्नमुखः, बुद्धिमत्तरः, नवीनः, अधनः, भारतीयः, स्थूलौष्ठः, ईदृशः ।
एकल लिखितम् 2. सन्धि या सन्धिच्छेद कीजिए (Join or Disjoin as the case may be)
तान्येव, इति + आदि, मिष्टान्नानि + अपि, फलानि + इच्छति, त्वमुपहससि, गुरु + आज्ञा । अपनी छोटी बहन के जन्म-दिवस की कल्पना कीजिए और उसका संस्कृत में संक्षिप्त विवरण दीजिए । (Imagine your younger sister's birthday and describe it in Sanskrit.) संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)(क) मेरा जन्म-दिन कल होगा । (My birthday will be tomorrow.) (ख) तुम्हारे मित्र भी आएँगे । (Your friends too will come.) (ग) आइए, गाएँ और नाचें । (Come on, let's sing and dance.) (घ) सचमुच ये फल भी बहुत मीठे हैं । (These fruits too are truly very
sweet.) (ङ) आज तुम्हारा जन्म-दिन है, बधाई हो । (Today is your birthday.
Congratulations!)
708
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Teaching Point :
(i) दातृ - declension
नवदशः
पाठः
लोभस्य परिणामः
लोभः परिणामः व्याघ्रः तीरम् स्वर्णम् कंकणम् गन्तृ दातृ श्रोतृ विश्वासः हन्तृ दर्शय् चिन्तयितृ मुग्ध स्रष्द हिंसा कारणम् दानशील होतृ महापंक: निमग्न
कश्चित् वृद्धः व्याघ्रः आसीत् । सः नद्याः तीरे अतिष्ठत् । तस्य हस्ते स्वर्ण-कंकणम् आसीत् । सः अवदत् - भोः भोः गन्तारः, तिष्ठत, स्वर्ण-कंकणस्य दाता अहम् अत्र तिष्ठामि । एतत् अधिगच्छत ।
परं कस्यापि श्रोतुः तस्मिन् विश्वासः नाभवत् । सर्वे अचिन्तयन् - सर्वेषां हन्ता एषः स्वर्ण - कंकणस्य लोभं दर्शयतीति । एवं चिन्तयितारः ते व्याघ्रात् भयभीताः अभवन् द्राक् च ततः अधावन् ।
तदा कश्चित् मुग्धः ब्राह्मणः तत्र आगच्छत् । तमपि व्याघ्रः तथैवावदत् । ब्राह्मणः अचिन्तयत् - भाग्येनैव एतत् सम्भवति । स्रष्टुः आज्ञां विना नेदृशः दाता सम्भवति । ब्राह्मणस्य विश्वासं दृढतरं कर्तुं व्याघ्रः अवदत्-हिंसायाः कारणात् मम सर्वः परिवारः अनश्यत् । अधुना दानशीलः होता चाहं धर्ममाचरामि ।
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of in
ब्राह्मण विश्वास-युक्तं दृष्ट्वा व्याघः पुनः अकथयत्-नद्यां स्नानं कृत्वा एतत् कंकणम् अधिगच्छ येनाहं पुण्यम् अर्जेयम् ।
मुग्धः ब्राह्मणः नदी प्राविशत् । तत्र सः महापंके च निमग्नः अभवत् । तम् ईदृशं दृष्ट्वा व्याघ्रः तमुपागच्छत् उदरस्थं चाकरोत् ।
॥
॥
॥
॥
॥
॥
शब्दार्थाः लोभः लालच
(greed) परिणामः परिणाम
(result) व्याघ्रः व्यको बाघ जनाल.. (tiger) बानगीना तीरम्ब ल-गक किनारा - (shore) शाश्वत-पाका स्वर्णम् = सोना
IST (gold) पाणीसाहाय कंकणम् = कड़ा, कंगन
(bangle) जाने वाला
(goer) दातृ
देने वाला
(giver) श्रोतृ = सुनने वाला
(listener) विश्वास म = विश्वास ।
(trust) हन्तु = मारने वाला
(killer) उ मा दर्शय - = दिखाना
(to show) ! DIE चिन्तयितु मम सोचने वाला
(one who thinks)
गन्तृ
॥
॥
॥
॥
॥
72
Page #78
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॥
॥
॥
॥
॥
होतृ
॥
धर्मः
॥
धर्म
॥
मुग्धः 3 भोला
(innocent) स्रष्ट्र
= पैदा करने वाला VIA (creator) जार। हिंसा = हिंसा
TL (violence) 15 ) कारणम् = कारण
का (cause) 7) दानशील
= दान देने वाला कान कारक (generous) (1) = हवन करने वाला गीत (one who worships robe the fire)
(righteousness, duty) महापंकः = बड़ा कीचड़
(great mud) निमग्न
= डूबा हुआ, फँसा हुआ (sunk, stuck) धातुः दर्शय (1) रूपाणि । गन्तु, दात, श्रोतृ, हन्तृ, चिन्तयितृ, स्रष्ट, होतृ (पृष्ठ 95) विशेषणानिया
स्त्री०
(bua नपुं० uly 20rls गन्ताgagns 20gs गन्त्रीमा गन्तृ
) दाता माम दात्री ariamridit दातृilapsteror श्रोता juigai श्रोत्री
श्रोतृा हन्ता हन्त्री
हन्तृ चिन्तयिता HIT चिन्तयित्रीमा चिन्तयितु स्रष्टा माथाभव स्रष्ट्रीodiai स्रष्ट्र -mode होता nimarziliozorit होत्री
होतृ pि. मुग्धः
मुग्धा affordasoot मुग्धम् oda sote -शीलः -शीला
-शीलम् निमग्नः
निमग्ना
निमग्नम्
अभ्यासः मौखिकम् 1. यह कथा अपने शब्दों में सुनाइए (Tell this story in your own words) 2. अर्थ बताइए (Tell meanings)
स्रष्ट्र, तीरम्, उपहारः, वैद्यकम्, कंकणम् ।
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लिखितम् (soom ) 1. संस्कृत में उत्तर दीजिए (Answer in Sanskrit)
(क) व्याघ्रस्य हस्ते किमासीत? (ख) व्याघ्रः ककणं कस्मै दातुम् ऐच्छत्? (ग) व्याघ्र ब्राह्मणाय किमकथयत्? (घ) ब्राह्मणस्य लोभस्य कः परिणामः अभवत्? अपेक्षित रूप सामने लिखिए (Give the desired forms)श्रोतृ (तृतीया एकवचन) मुग्ध (स्त्री० सप्तमी एक व०) कृत्वा+एतत् सर्व (नपं०, प्रथमा बह० व०)
हन्तृ (सप्तमी एक व०) 5. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit).0pta (क) कीचड़ में जाने वालों की यही दशा होती है । (This is the condition of
those who go in mud.) : (ख) हवन करने वाले मनि आश्रम में रहते हैं । (The sages engaged in fire
worship live in a hermitage.) (ग) दान देने वाला जन्तु ऐसा नहीं होता। (A creature giving charity is
not like this.) (घ) इस प्रकार सोचने वाले वे दोनों खेत में घुस गए। (Thinking thus, both
of them entered into a field.) छि (ङ) कहानी सुनने वाले परस्पर बातचीत न करें। (Those listening to the
story should not talk to each other.)
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Teaching Point: (i) शशिन् - declension
विंशतितमः
चन्द्रयात्रा
पाठः
अन्तरिक्षम् उपक्रमः शशिन् गमय यत्नवत् यत्नः यानम् नेतृ अव+तु प्रति+आ+गम्
मृत्तिका पाषाणः खण्डम् कुशलिन् यशस्विन् गवेषणा ग्रहः जि (जय)
एतत् युगम् अन्तरिक्षयुगमस्ति। अस्य युगस्य उपक्रमः 1957-तमे वर्षे अकतूबर-मासस्य चतुर्थे दिवसे अभवत् । रूस देशीयाः वैज्ञानिका:शशिनं प्रति प्रथमं मानव-सहितं स्पूतनिकम् 1961-तमे वर्षे अगमयन् । अन्तरिक्षस्य प्रथमः यात्री आसीत्यूरी गगारिन महोदयः । 1968तमे वर्षे त्रयः यात्रिणः शशिनः समीपे गन्तुं समर्थाः अभवन् ।
अमेरिका-देशस्य वैज्ञानिकाः अपि यत्नवन्तः आसन् । तेषां यत्नैः 1969-तमे वर्षे
अपोलो- 11 नाम यानम् अन्तरिक्ष प्राविशत्। तत्रत्रयःयात्रिणः आसन् 1 यानस्य नेता आसीत्नील-आर्मस्ट्रांग महोदयः। जुलाईमासस्य एकविंशतितमे दिने एतत् यानं शशिनि अवातरत् ।
का
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ना ते कञ्चित् कालं तत्र स्थित्वा भूमिं प्रत्यागच्छन्। ते स्वेन सह चन्द्रस्य मृत्तिका विविधानां पाषाणानां च खण्डानि अपि आनयन् । भूमौ पुनः चन्द्रयात्रिणः कुशलिनः दृष्ट्वा विश्वस्य सर्वे जनाः भृशं प्रासीदन् ।
यशस्विनः वैज्ञानिकाः अधुना अपि अन्तरिक्षस्य गवेषणायां रताः सन्ति । अन्यान् ग्रहान् अपि जित्वा ते प्रकृतिमपि जेतुम् इच्छन्ति ।
शब्दार्थाः
||
-वाँ
चतुर्थ
||
||
||
अन्तरिक्षम् = अन्तरिक्ष उपक्रम
= आरम्भ -तम ।
चौथा देशीय
देश का वैज्ञानिकः
= वैज्ञानिक शशिन्
चन्द्रमा मानवः
= मनुष्य गमय.02
= भेजना: प्रथम
- - पहला महोदय काया - महोदय यत्नवत् मा । = प्रयत्न करने वाला यत्नः मिलन - कोशिश नाम
= नामक यानम्
=
यान
नेता अव+तृ
उतरना
जोरी (space) hair-मार (beginning) - (-th)
शिवाजी (fourth) डिस (belonging to country) (scientist) (moon) (human being) (to send) (first) (Mr., Sir) (engaged in effort) (effort) (named) (transportation) (leader) (to get off)
॥
||
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॥
वापस आना अपना
॥
मिट्टी
॥
॥
॥
प्रति+आ+गम् स्व मृत्तिका पाषाणः खण्डम् विश्वम् यशस्विन् गवेषणा ग्रहः जि (जय)
(to come back) (one's ownself) (soil) (stone) (piece) (world) (famous) (research) (planet) (to win)
॥
पत्थर टुकड़ा संसार यश वाला, विख्यात
खोज = ग्रह = जीतना
॥
॥
PHED
॥
धातुः
ribsicatimonioumar गमय (1) जि (जय) (2). उपसर्ग-युक्त-धातू अव+तृ प्रति+आ+गम् (गच्छ्) 2 ointini रूपाणि शशिन् यात्रिन्, कुशलिन्, यशस्विन्, (पृष्ठ 95-96) 10 यत्नवत्-'भगवत्' के समान (like भगवत्), (पृष्ठ 94-95) नेतृ-'दातू' के समान, (like दातृ), (पृष्ठ 95)
विशेषणानि
स्त्री
चतर्थी
नपुं० चतुर्थम्
देशीया
चतुर्थः देशीयः प्रथमः महोदयः नेता
देशीयम् प्रथमम्
महोदयम्
स्वः
प्रथमा महोदया नेत्री स्वा कुशलिनी यशस्विनी
कुशली
स्वम् कुशलि यशस्विं
यशस्वी
अव्ययः
नाम
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________________
अभ्यासः
मौखिकम् 1. इन शब्दों को लिंगशः अलग-अलग कीजिए। (Separate these words
gender-wise.)
कुशली, यत्नः, सुप्तः, सत्यम्, यशस्विनी, खण्डम् । लिखितम् 2. संस्कृत में उत्तर दीजिए (Answer in Sanskrit)
(क) कः आसीत् अन्तरिक्षस्य प्रथमः यात्री? (ख) यात्रिणः शशिनि प्रथमं कदा अवतारन्?
(ग) यात्रिणः शशिनः किम् आनयन्? . 3. निर्दिष्ट रूप बताइए (Give the indicated forms)
शशिन्, कुशलिन् (प्रथमा, द्वितीय, तृतीया, चतुर्थी) M O
यशस्विन् (पञ्चमी, षष्ठी, सप्तमी, संबोधन) 4. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)- PATR (क) अमेरिका का अन्तरिक्ष यान चन्द्रमा पर गया । (America's space-craft
went to the moon.) (0.20 (ख) तीन यात्री चन्द्रमा पर उतरे । (Three astronauts got off on the
moon.) (ग) चन्द्रयात्री चन्द्रमा की मिट्टी लाये । (The moon astronauts brought
moon's soil.) वे जब चन्द्रमा से लौटे, तब संसार के लोगों ने उनका सम्मान किया। (When they returned from the moon, then the people of this world honoured them.)
00
IBOODODOC
RECORD DODBOAD
LICICIAnnanot
18
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Teaching Point : दिन (i) पयस् - declension
(bas daunl
Merse
(2)
एकविंशतितमः
(d)
पाठ:
दाराः द्रव्यम् लोष्ट भूतम् आभरणम् कोकिला तपस्विन् पुरुषकारः दैवम् वि+भा नभस् पयस् सरस्
(Llaamwa
श्लोकाः
मातृवत् परदारेषु, परद्रव्येषु लोष्टवत् । आत्मवत् सर्व भूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ॥ 1 ॥ पुस्तकस्था तु या विद्या, परहस्तगतं धनम् । कार्यकाले समुत्पन्ने, न सा विद्या न तद्धनम् ।। 2 ।। नरस्याभरणं रूपं, रूपस्याभरणं गुणः । गुणस्याभरणं ज्ञानं, ज्ञानस्याभरणं क्षमा ॥। 3 ॥ कोकिलानां स्वरः रूपं, नारी रूपं पतिव्रतम् । विद्या रूपं कुरूपाणां, क्षमा रूपं तपस्विनाम् ॥ 4 ॥ यथा त्वेकेन चक्रेण न रथस्य गतिः भवेत् । एवं पुरुषकारेण विना दैवं न सिध्यति ॥ शशिना च निशा, निशया च शशिना निशया च विभाति
5 ॥
पयसा कमलं, कमलेन पयः,
पयसा कमलेन विभाति सरः
79
शशी,
नभः ।
11611
SPRST
काक
का
एक
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शब्दार्थाः
॥
मातृ -वत् दाराः द्रव्यम् लोष्टः आत्मवत्
॥
भूतम्
स्थित
॥
॥
॥
॥
॥
पण्डितः -स्था विद्या पर-हस्त-गत समुत्पन्न आभरणम् क्षमा कोकिला नारी पतिव्रतम् कुरूप तपस्विन् चक्रम् रथः गतिः पुरुषकार
माता
(mother) = तरह
(like) = पत्नी
(wife) = धन
(wealth) = मिट्टी का ढेला (a lump of earth) अपने समान
(like one's ownself) = प्राणी
(creature) = विद्वान्
(scholar)
(situated) विद्या
(learning) दूसरे के हाथ में गया हुआ (gone to other's hand) उत्पन्न
(created) आभूषण
(ornament) । क्षमा
(forgiveness) = कोयला
(cuckoo)
(woman) = पति-व्रत
(devotion to husband) = कुरूप
(ugly) = तपस्वी
(ascetic) = पहिया एका
(wheel) = रथलावारण (chariot) = गति, चालक (motion) = परिश्रम
(effort) भाग्य
(fate) = रात
(night) सुशोभित होना (to shine) आकाश
(sky) = पानी
(water) = सरोवर
(pool)
= स्त्री
FREE
दैवम्
॥
निशा वि+भा
॥
नभस्
॥
पयस् सरस्
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उपसर्ग-युक्त धातुः वि+भा (2) रूपाणि - मातृ (पृष्ठ 95)
कार
मारमा
पं०
नारी-'नदी' के समान (like नदी), (पृष्ठ 94) तपस्विन्-'शशिन्' के समान (like शशिन्), (पृष्ठ 95-96) नभस्, पयस्, सरस्, (पृष्ठ 96) aloini asiansीलखित जा
pornoomadrasi विशेषणानि स्त्री०
नपुं० पण्डितः पण्डिता
पण्डितम् -स्थः -स्था
-स्थम् -गतः -गता
-गतम् समुत्पन्नः समुत्पन्ना
समुत्पन्नम् कुरूपः कुरूपा
करूपम् तपस्वी तपस्विनी
तपस्वि
विशेषः 'दार' शब्द का अर्थ पत्नी' है परन्तु इसका प्रयोग सदा पुँल्लिग बहुवचन में होता है-दाराः (The word दार, though meaning 'wife', is always used in masc. plural- दाराः)
अभ्यासः
मौखिकम् 1. इस पाठ के कोई दो श्लोक कण्ठस्थ कीजिये और सुनाइए (Memorize any two
verses from this lesson and recite them).
2. अन्तर स्पष्ट कीजिए (Tell the difference)
देवः-दैवम्, पुरुषः-पुरुषकारः, गन्तृ-गन्त्री, गम्-गमय ।
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________________
टिर
लिखितम् 3. निर्दिष्ट रूप बताइए (Give the indicated form)
नभस् (द्वितीया) पयस (पञ्चमी) सरस् (सम्बोधन) तपस्विन (षष्ठी)
4. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)(क) आकाश में चन्द्रमा सुशोभित होता है । (The moon looks beautiful in
the sky.)
(ङ) राम की पत्नी सीता भी वन को गईं । (Rama's wife Sita also went to
the forest.)
Praation bus nepal
(Sanershiaadilsh
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Teaching Point: (i) भवत्-(pronoun) (ii) ज्ञा-धातुः
द्वाविंशतितमः
त्रयः दकाराः
पाठः
असुरः उप+दिश् भवत् अक्षरम् दकारः अभिप्रायः साधु किंबहुना इन्द्रियम् बलवत्
VAZONOM
ईश्वरस्य त्रयः पुत्राः आसन्-देवः मनुष्यः असुरः च । ते त्रयः एव ईश्वरम् उपागच्छन् अवदन् च-भो पितः, उपदिशतु भवान् इति । ईश्वरः क्रमेण त्रीन् एव उपादिशत्, त्रिभ्यः एव चैतत् अक्षरमेव अकथयत्-'द' इति । उपदेशात अनन्तरं सः त्रीनेव अपृच्छत्-अपि जानीथ दकारस्य अभिप्रायम् इति ।
देवः अवदत्-जानामि । 'दमनं कुरू' इति भवतः अभिप्रायः । मनुष्यः अवदत्-जानामि । 'दानं कुरु' इति भवतःअभिप्रायः । असुरः अवदत्-जानामि । 'दया कुरु' इति भवतः अभिप्रायः । ईश्वरः एतत् आकर्ण्य प्रत्यवदत्-साधु! युक्तमेतत् ।
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किंबहुना
देवानां देवत्वम् इन्द्रियाणां दमने, मनुष्यस्य मनुष्यत्वं दाने, बलवतः असुरस्य च बलं दयायामस्ति।
शब्दार्थाः
॥
मनुष्य
राक्षस = उपदेश देना
॥
आप
॥
मनुष्यः असुरः उप+दिश् भवत् अक्षरम् ज्ञा दकारः अभिप्रायः दमनम् साधु कि बहुना देवत्वम्
(man) (demon) (to advise) (you-respectful) (letter) (to know) ('द' letter) (meaning) (control) (well donel) (in short) (godliness)
॥
= वर्ण
जानना 'द' अक्षर अर्थ नियन्त्रण शाबाश! संक्षेप में देवत्व
॥
॥
॥
॥
84
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इन्द्रियम्
= इन्द्रिय कथा (sense) मनुष्यत्वम् = मनुष्यता
(human-ness) बलवत् = बलवान्
(strong) धातुः (ज्ञा) (3) उपसर्गयुक्त-धातुः उप+दिशकमा आमाको रूपाणि
mansionishiarstT) प्राचीन भवत्, बलवत्-'भगवत्' के समान (like भगवत्), (पृष्ठ 94-95) अव्ययः साधु मुहावरा (Idiom)- किं बहुना । विशेषः (i) भवत्' शब्द के साथ क्रिया सदा प्रथम पुरुष की आती है (भवत् takes
first person verb). (ii) 'साधु' शब्द के दो अर्थ हैं । देखिए पाठ 1 तथा 22 (The word 'साधु'
has two meanings. See Lessons 1 and 22). (ii) वाक्य के शुरू में 'अपि' शब्द प्रश्नवाचक 'क्या' का बोधक होता है (अपि
in the beginning of a makes sentence a yes-no question).
अभ्यासः
मौखिकम् 1. 'भवत्' के रूप बोलिए (Decline भवत्) । 2. 'ज्ञा' धातु के रूप पाँचों लकारों में बोलिए (Conjugate ज्ञा in all the five
lakaras).
लिखितम् 3. निर्दिष्ट रूप लिखिए (Give the indicated forms)
'ज्ञा' लोट, प्र० पु० ए० व० भवत् द्वितीया भगवत् तृतीया बलवत् षष्ठी
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4. संस्कृत में उत्तर दीजिए (Answer in Sanskrit)
(क) ईश्वरस्य पुत्राः के आसन्? (ख) पुत्राः पितरं किमवदन्? (ग) पितुः उपदेशः कः आसीत्?
(घ) दकारस्य अभिप्रायं देवाः मनुष्याः असुराः च किम् अजानन्? 5. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)
(क) आप आइए और बैठिए । (You please come and have a seat.) (ख) क्या आप सब ने नाटक देखा ? (Did all of you see the play?) (ग) संक्षेप में, परोपकार ही ईश्वर-वन्दना है। (In short, doing good to
others is God's worship.) (घ) शाबाश! शाबाश! आपका खेल सुन्दर था । (Bravo! Well done! Your
game was beautiful.) (ङ) हमने भी तुम्हारा परिचय जाना । (We also came to know about you.)
sinessmslogaisnigedoaai
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Teaching Point:हारमा (i) सन्धि - अः + अ
declension
त्रयोविंशतितमः
विवेकानन्दः पाठ: पूर्व वयस् स्नातकः समाधिः तपस् संस्कृतिः प्रशंसित यशस् प्र + सृ (सर) तेजस्विन्
श्रद्धावत् कर्मयोगिन्
पूर्वस्मिन् वयसि विवेकानन्दस्य नाम नरेन्द्रदत्तः आसीत् । तस्य पिता विश्वनाथदत्तः आसीत् । नरेन्द्रः यदा स्नातकोऽभवत् तदा तस्य पिता परलोकमगच्छत् । 'ailam)
एकदा कस्याञ्चित् सभायां नरेन्द्रः रामकृष्ण-परमहंस महोदयस्य स्पर्शमधिगत्य समाधिस्थोऽभवत् । तस्यैव गुरोः स्पर्शेन च तस्य समाधिः समाप्तोऽभवत् । तस्मात् दिनात् नरेन्द्रः तं स्वं गुरूं स्व्यकरोत् तपः चाकरोत् ।
गुरोः आज्ञां विदित्वा सः सर्वत्र अचमत् भारतीयायाः संस्कृते च प्रचारमकरोत् । 1893-तमे वर्षे अमरीका-देशे 'शिकागो' नाम नगरे विश्व-धर्म-सम्मेलनमभवत् । तत्रापि सोडगच्छत् । तत्र तस्य भाषणम् आकर्ण्य सर्वे श्रोतारः तस्य
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प्रशंसितारोऽभवन् । तस्य यशः सर्वत्र प्रासरत् । अनेकें जनाः तस्य भक्ताः अभवन् । तस्य उपदेशानां सारोऽस्ति एषः
निर्भयः भव । तेजस्वी भव । श्रद्धावान् भव । कर्मयोगी भव । दरिद्रदेवः भव । राष्ट्रदेवः भव ।
दक्षिण भारते समुद्रस्य मध्ये पर्वते तस्य मन्दिरमस्ति । अत्रैव सः तपोऽकरोत् । मन्दिरमिदं न प्राचीनम् । 1970 तमे वर्षे अस्माकं राष्ट्रपतिः तस्य उद्घाटनमकरोत् ।
शब्दार्थाः
पूर्व
वयस्
स्नातकः
परलोकः
सभा
स्पर्शः
समाधिः
समाप्त तपस् संस्कृतिः
प्रचारः भाषणम्
= पहला
आयु
स्नातक
परलोक
सभा
= छूना समाधि
||||||||||
=
=
|| || || || || || ||
=
=
=
समाप्त
तपस्या
संस्कृति
יי
प्रचार
भाषण
88
(earlier)
(age)
(graduate)
(the other world)
(meeting)
(touch)
(trance, meditation)
(finished)
(penance)
(culture)
(propagation)
(speech)
क
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________________
॥
॥
॥
॥
प्रशसित
= प्रशंसा करने वाला (admirer) यशस् = यश
(fame) प्र+सृ (सर) = फैलना
(to spread) निर्भय = निडर
(fearless) तेजस्विन् = तेजस्वी
(illustrious) श्रद्धावत् = श्रद्धालु
(full of faith) कर्मयोगिन् = कर्मयोगी र
(one who believes in
selfless action) दरिद्रदेवः = गरीबों को देवता मानने वाला (one whose god is the
poor) समुद्रः = समुद्र
(ocean) मध्यः = बीच
(middle) मन्दिरम = मन्दिर
(temple) उद्घाटनम् = उद्घाटन
(inauguration) उपसर्ग-युक्त धातुः प्र + सृ (सर) (2) रूपाणि
पूर्व-किम् के समान (थोड़े अन्तर के साथ) (like किम् with a slight difference), (पृष्ठ 96-97) वयस्, तपस्, यशस्-'पयस्' के समान (like पयस्), (पृष्ठ 96) प्रशंसितृ-'दात के समान (like दातृ), (पृष्ठ 95) तेजस्विन, कर्मयोगिन्- शशिन् के समान (like शशिन्), (पृष्ठ 95-96) श्रद्धावत्-'भगवत्' के समान (like भगवत्) (पृष्ठ 94-95) विशेषणानि स्त्री०
नपुं० समाप्तः समाप्ता
समाप्तम् प्रशंसिता प्रशंसित्री
प्रशंसित निर्भयः निर्भया
निर्भयम् तेजस्वी तेजस्विनी
तेजस्वि श्रद्धावान् श्रद्धावती
श्रद्धावत् -देवी
-देवम् मुहावरा (Idiom) पूर्वस्मिन् वयसि
पुं०
-देवः
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________________
अभ्यासः
मौखिकम् (saiqeon 1. श्रद्धावत्, मातृवत् (परदारेषु)-इन दोनों शब्दों में 'वत्' के अर्थ में क्या अन्तर है
(What is the difference in the meaning of these two uses of वत) ? लिखितम् 2. सन्धि या सन्धिविच्छेद कीजिए (Join or disjoin)
गजो ऽस्ति, बालः + अकरोत्, छात्रोऽवदत्, स्नातकः + अभवत्,विवेको भ्रमत् । 3. संस्कृत में उत्तर दीजिए (Answer in Sanskrit)
(क) पूर्वस्मिन् वयसि विवेकानन्दस्य कि नाम आसीत् ? (ख) विवेकानन्दः समाधिस्थः कथमभवत् ? (ग) अमरीका-देशे तस्य भाषणं कुत्राभवत् ?
(घ) विवेकानन्दः तपः कुत्राकरोत् ? 4. संस्कृत में अनुवाद कीजिए (Translate into Sanskrit)(क) हे बालिके, राष्ट्र को देवता मानो! (Oh girl, look upon your country
as your deity.) (ख) भारत में बहुत तेजस्वी स्त्रियाँ पैदा हुईं। (In India, many illustrious
women were born.) (ग) बचपन में ही उन्होंने यश पाया । (In childhood itself, they attained
glory.) (घ) मित्रो,निर्भय बनो, श्रद्धावान बनो। (Friends, be fearless. be full of faith.
: 00
90
Page #96
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________________
Teaching Point :
(i) तम् suffix
चतुर्विशतितमः
II पत्रम्-पितरं प्रति
पाठः
छात्रवासः अचिरम् सज्जा दूरी + भू स्नेहिन् श्रीमत् घोषय सूच् (सूचय) तदर्थम्
धनादेशः वशंवद
पूजनीयाः पितृचरणाः
छात्रावासतः, सादरं नमामि । अत्र कुशलं, तत्रास्तु
नवदिल्लीतः ।
-29-2-92 मम वार्षिकी परीक्षा अचिरमेव भविष्यति । अप्रैल-मासस्य पञ्चम-दिवसतः तस्याः उपक्रमः भविष्यति । तस्यै मम सज्जा अपि पूर्णा । केवलं गणित-विषये काचित् न्यूनता अस्ति, परं सा न्यूनता अपि अचिरमेव दूरीभविष्यतीति आशा । मम आचार्याः अतीव सहायकाः स्नेहिनः च । श्रीमतां च मातृचरणानाम् च आशीर्वादम् अधिगन्तुम् अहमेतत् पत्रं लिखामि ।
मई-मासस्य प्रथमे दिवसे अस्माकं प्राचार्यः परिणाम घोषयिष्यति । परिणाममहं भवते अचिरमेव सूचयिष्यामि । मई-मासस्य पञ्चदश-दिवसतः अस्माकं ग्रीष्मावकाशः भविष्यति । तदैव गहमागमिष्यामि । तदर्थं धनस्य आवश्यकता भविष्यति । अतः कृपया पञ्चाशत् रूप्यकाणि धनादेशेन प्रेषयन्तु भवन्तः । अम्बायै माधवाय च मम नमस्कारः । . वशंवदः
(OPEp) शचीन्द्रः se 91
Page #97
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________________
॥
॥
॥
॥
पूर्ण
= कमी
शब्दार्थाः की ओर, को
(toward, to) नव नया
(new) छात्रावासः
छात्रावास
(hostel) -चरण आदरणीय
(respected) सादरम्
आदर के साथ (respectfully) कुशलम्
कुशल-मंगल (well-being) वार्षिक वार्षिक
(yearly) परीक्षा परीक्षा
(examination) अचिरम् जल्दी
(soon) पञ्चम = पाँचवाँ
(fifth) सज्जा = तैयारी
(preparation) = पूरा
(complete) न्यूनता
(deficiency) दूरी+भू = दूर होना
(to go away) आशा
आशा
(hope) सहायक
= सहायता करने वाला (helper) = स्नेह करने वाला (affectionate) = श्रीमान्
(you-respectful) आशीर्वादः = आशीर्वाद
(blessing) = घोषणा करना
(to announce) सूच् (सूचय) = सूचित करना
(to inform) ग्रीष्मावकाशः = गर्मी की छटियाँ (summer vacation) = उसके लिए
(for that) का आवश्यकता = जरूरत
(need) धनादेशः = मनी-आर्डर
(money-order) प्रेषयीणाम भेजना।गामा (to send)-या नमस्कारः
= नमस्कारमा (regards) राजन वाडा वशंवदा = आज्ञाकारी गाणी (obedient)काणी
धातवः - घोषय (1) दूरी + भू (2) सातार सूच् (सूचय) (२) प्रेषय् (1)
92
स्नेहिन् श्रीमत्
घोषय
तदर्थम FELI
॥
Page #98
--------------------------------------------------------------------------
________________
-रूपाणि
स्नेहिन् - 'शशिन्' के समान (like शशिन्) (पृष्ठ 95-96) श्रीमत्- 'भगवत्', के समान (like भगवत्) (पृष्ठ 94-95) विशेषणानि
पुं०
वार्षिक:
पञ्चमः
पूर्णः
सहायक:
स्नेही
वशंवदः
स्त्री०
वार्षिकी
पञ्चमी
पूर्णा
सहायिका
स्नेही
वशंवदा
अभ्यासः
OFTEP SPIFF
नपुं० वार्षिकम्
उपपद-विभक्तिः
forp
'प्रति' के योग में आने वाले शब्द में द्वितीया विभक्ति (The word accompanying प्रति takes द्वितीया विभक्ति)
1331172
पञ्चमम्
पूर्णम्
93
सहायकम्
स्नेहि
वशंवदम्
48
मिता
मौखिकम्
श
कि
TEPR आपकी
1. 'तदर्थम्' के समान 'छात्रार्थम्' का अर्थ है - छात्र या छात्रों के लिए । इसी प्रकार निम्नलिखित शब्दों में भी 'अर्थम्' जोड़िये (Like तदर्थम्, छात्रार्थम् means for a student or students. In the same way, add з to the following words)
देश, छात्रावास, नगर, भाषा,
साहित्य |
लिखितम्
1115F
फिल
2. निम्नलिखित शब्दों में 'तस्' प्रत्यय जोड़िए और अर्थ बताइए (Add तस् to the following words and then tell the meaning)—
विद्यालय, ग्राम, गृह, स्थान, पर्वत, परोपकार, व्यायाम, अध्यापक, परीक्षा ।
雨
FB
BDe
ज्ञ
ToTh
असफल
Page #99
--------------------------------------------------------------------------
________________
व्याकरणम् (Grammar
साधू शोषण
प्रथमा विभक्तिः द्वितीया " तृतीया " चतर्थी व पंचमी "
षष्ठी
सप्तमी
".
साधौ
सम्बोधन
प्रथमा विभक्तिः द्वितीया
नदी नदीमा
संज्ञा शब्द उकारान्त पुंल्लिग-शब्दः साधु एकवचनम् शद्विवचनम् । बहुवचनम्
साधवः साधम्
साधून् साधुना
साधुभ्याम् साधुभिः साधवे
साधुभ्यः साधोः
साध्वोः साधूनाम्
साधुषु हे साधो
हे साधू
हे साधवः ईकारान्त-स्त्रीलिंग-शब्दः 'नदी एकवचनम् द्विवचनम्
बहुवचनम् नद्यः
नदीः नद्या
नदीभ्याम् - नदीभिः नद्यैडaadi Mu210tusbu नदीभ्यःnsan नद्याः
abrohitoiloti
नद्योः नदीनाम् कि नद्याम्
नदीषु हे नदि शक हे नद्यौ हे नद्यः
तकारान्त-पल्लिग-शब्द: भगवत' 1zmov gifolial एकवचनम्
द्विवचनम् बहुवचनम् भगवान्
भगवन्तौ भगवन्तः भगवन्तम्
भगवतः भगवता
भगवद्भ्याम् भगवद्भिः भगवते
भगवद्भ्यः
तृतीया । " चतुर्थी पंचमी
षष्ठी सप्तमी सम्बोधन
प्रथमा विभक्तिः द्वितीया " तृतीया "
चतुर्थी
"
94
Page #100
--------------------------------------------------------------------------
________________
सप्तरी
पंचमी
षष्ठी सप्तमी
सम्बोधन
11
"
तृतीया
चतुर्थी
पंचमी
षष्ठी
सप्तमी
सम्बोधन
11
काशी
11
te
11
एकवचनम्
दाता
प्रथमा विभक्तिः द्वितीया दातारम्
दात्रा
"दात्रे
प्रथमा विभक्तिः
द्वितीया
सम्बोधन
TP
ion प्रथमा विभक्तिः
द्वितीया सम्बोधन
"
प्रथमा विभक्तिः
द्वितीया
तृतीया
भगवतः
"
11
"
भगवति हे भगवन्
दातुः
"
दातरि
हे दातः
IPSP
हे भगवन्तौ
ऋकारान्त-पुल्लिंग-शब्दः 'दातृ''
ि
एकवचनम्
पिता
पितरम् हे पितः।
11
पितृ
भगवतोः
एकवचनम्
शशी:
“शशिनम्
- शशिना
"
द्विवचनम्
दातारौ
77
दातृभ्याम्
11
11
दात्रोः
77
निधड
हे दातारौ
द्विवचनम्
पितरौ
पितरौ
hqninevig by 10 तृतीया वि० से सप्तमी वि० तक र० तक 'दातू' के समान ऋकारान्त स्त्रीलिंग-शब्दः 'मातृ'
ebiow mon
द्विवचनम्
मातरौ
17
द्विवचनम्
शशिनौ
77
11
-शशिभ्याम्
95
माता
मातरम् हे मातः
हे मातरौ
तृतीया वि. से सप्तमी वि. तक 'दातृ' के समान
नकारान्त-पुल्लिंग-शब्दः 'शशिन्'
भगवताम्
भगवत्सु हे भगवन्तः
बहुवचनम्
दातारः
दातृन्
दातृभिः
दातृभ्यः
11
कि
दातृणाम्
दातृषु
हे दातारः
बहुवचनम् पितरः
पितॄन् हे पितरः
ठिक
र
How arT S
((lgnibosos बहुवचनम्
मातरः
मातृः हे मातरः
"
बहुवचनम्
शशिनः
-शशिभिः
उतरी
sved
Page #101
--------------------------------------------------------------------------
________________
TES
ELELLEEEEEE
"
"
चतुर्थी " -शशिने
शशिभ्यः पंचमी " शशिनः षष्ठी "
-शशिनोः जबामा शशिनाम सप्तमी " "शशिनि
"शशिष सम्बोधन हे शशिन्- हे शशिनौ हे शशिनः
सकारान्त-नपुंसकलिंग-शब्दः पयस्' एकवचनम् का
द्विवचनम का बहवचनम। प्रथमा विभक्तिः पयः
पयसी का पयांसि द्वितीया तृतीया म पयसा
पयोभ्याम् मित पयोभिः फिर चतुर्थी " पयसे
पयोभ्यः पंचमी
पयसः षष्ठी
पयसोः पयसाम् शिकार सप्तमी " पयसि
पयस्सुका सम्बोधन हे पयः
हे पयसी हे पयांसि
सर्वनाम-शब्दाः किम्, यत्, अन्य, सर्व, अनेक, पूर्व
-इन शब्दों के रूप 'तद्' या 'एतद्' के समान होते हैं, जो भाग 2 में दिए गए थे। फिर भी 'किम्' शब्द के रूप यहाँ दिए जा रहे हैं। शेष सर्वनाम शब्दों के रूप भी इसी प्रकार चला लें (The above words are declined like तद् or एतद् given in part 2. The word op is declined below. Decline the other pronoun words accordingly).
विशेष-सर्वनाम शब्दों का सम्बोधन नहीं होता (Pronoun words do not have vocative forms)
बार किम् (पुंल्लिग)
एकवचनम् शिद्विवचनमः बहुवचनम् प्रथमा विभक्तिः द्वितीया
कान्
काभ्याम् चतुर्थी
केभ्यः
कः
कम
तृतीया
"
केन
कस्मे
96
Page #102
--------------------------------------------------------------------------
________________
केषाम्
केषु
बहुवचनम् काः ।
काम्
पंचमी
कस्मात् षष्ठी
कस्य सप्तमी कस्मिन्
कयोः
किम् (स्त्रीलिंग) गामा एकवचनम्मा द्विवचनम् । प्रथमा विभक्तिः का द्वितीया " तृतीया कया
काभ्याम् चतुर्थी
कस्यै पंचमी कस्याः
कयोः सप्तमी
कस्याम्
किम् (नपुंसकलिंग) होती एकवचनम् द्विवचनम् प्रथमा विभक्तिः किम्म ती के
काभिः काभ्यः
"
"
षष्ठी
कासाम् कासु
बहवचनम् कानि
द्वितीया
"
तृतीया वि० से सप्तमी वि० तक पुंल्लिग के समान
लि संख्यावाचक-शब्दाः
एक (केवल एकवचन में-Singular only)
नपुंसकलिंगम्।
पुँल्लिगम् . एकः एकम्
एका
एकम्
एकाम्
एकया
एकेन
प्रथमा विभक्तिः द्वितीया तृतीया चतुर्थी पंचमी षष्ठी सप्तमी
एकेन एकस्मै
एकस्यै
एकस्मै
एकस्याः
एकस्मात् एकस्य एकस्मिन्
एकस्मात् एकस्य एकस्मिन्
। एकस्याम्
(Diuni10097
Page #103
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रथमा विभक्तिः द्वितीया: तृतीया
चतुर्थी
पंचमी
षष्ठी
सप्तमी
गाठ
तृतीया
चतुर्थी
पंचमी
""
षष्ठी
सप्तमी
11
17
शनि
प्रथमा विभक्तिः
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी
पंचमी
षष्ठी
सप्तमी
11
"
11
27
" द्वयोः
"
"
प्रथमा विभक्तिः
द्वितीया
"
"
11
द्वि (केवल द्विवचन में-in Dual only)
अक
पुल्लिंगम्
स्त्रीलिंगम्
द्वे
कृष्णक द्वे
31
"
"
द्वाभ्याम्
"1
199
कालीक
त्रि (केवल बहुवचन में - in Plural only)
पुल्लिंगम्
स्त्रीलिंगम्
तिस्रः
त्रयः
"
त्रीन्
त्रिभिः
त्रिभ्यः
11
त्रयाणाम् त्रिषु
पुल्लिंगम्
चत्वारः
चतुरः
चतुर्भिः चतुर्भ्यः
चतुर्णाम् चतुर्षु
द्वाभ्याम्
किए
"
Tasty
निकट
15905
11
द्वयोः
"
चतुर् (केवल बहुवचन में - in Plural only)
स्त्रीलिंगम्
चतस्रः
तिसृभिः
त्रिसृभ्यः
"
तिसृणाम् तिसृषु
"
चतसृभिः
चतसृभ्यः
19
चतसृणाम्
चतसृषु
धातवः
नियमित धातुः फल ( फलना - to bear fruit)
98
नपुंसकलिंगम्
कु
द्वाभ्याम्
"
एकए
"
द्वयोः
11
नपुंसकलिंगम्
त्रीणि
11
त्रिभिः
त्रिभ्य
11
त्रयाणाम्
त्रिषु
firep डिगय
नपुंसकलिंगम् चत्वारि
"
चतुर्भिः चतुर्भ्यः
77
चतुर्णाम्
चतुर्षु
FFTST
कही
कृत मिर
की
ती
दि
वि
ਕਿਹ
क
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--------------------------------------------------------------------------
________________
विधिलिङ् (प्रार्थना, सुझाव-request, suggestion)
एकवचनम् काद्विवचनम् बहुवचनम् नामक प्रथम पुरुषः फलेत्
फलेताम् फंलेयुः मध्यम पुरुषः फलेः
फलेतम् फलेत उत्तम पुरुष: फलेयम्
फलेव
फलेम ___ अर्ध-नियमित-धातुः कागा
मुच् (मुञ्च्) (छोड़ना-to leave) गाविधिलिङ् (प्रार्थना, सुझाव -request, suggestion)
एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम् प्रथम पुरुषः मुञ्चेत्
मुञ्चेताम्
मुञ्चेयुः मध्यम पुरुषः मुञ्चेः अदया मुञ्चेतम्
मुञ्चेत उत्तम पुरुषः मुञ्चेयम्
मुञ्चेव
मुञ्चेमर अनियमित-धातः ।
ज्ञा (जानना-to know) लट्लकारः (वर्तमानकाल-Present Tense) एकवचनम् द्विवचनम्
बहुवचनम् प्रथम पुरुषः जानाति
जानीतः
जानन्ति मध्यम पुरुषः जानासि
जानीथः
जानीथ मा उत्तम पुरुषः जानामि |
जानीवः
जानीमः लामा जगा लुट्लकारः (भविष्यत्काल-Future Tense)
एकवचनम् यादव द्विवचनम् बात बहुवचनम् प्रथम पुरुषः ज्ञास्यति
ज्ञास्यतः
ज्ञास्यन्ति मध्यम पुरुषः ज्ञास्यसि
ज्ञास्यथः
ज्ञास्यथ उत्तम पुरुषः ज्ञास्यामि
ज्ञास्यावः
ज्ञास्यामः लङ्लकारः (भूतकाल-Past Tense) एकवचनम् PPP द्विवचनम्
बहुवचनम् प्रथम पुरुषः अजानात्
अजानीताम्
अजानन् मध्यम पुरुषः अजानाः
अजानीतम्
आजानीत उत्तम पुरुषः अजानाम्
अजानीव
अजानीम लोट्लकारः (आज्ञा-Order) एकवचनम् द्विवचनम्
बहुवचनम् प्रथम पुरुषः जानातु
जानीताम्
जानन्तु
99
Page #105
--------------------------------------------------------------------------
________________
सद्विवचनम्
मध्यम पुरुषः जानीहि
जानीतम् पर जानीत उत्तम पुरुष: जानानि
जानाव
जानाम विधिलिंङ् (प्रार्थना, सुझाव-request, suggestion)
लापर एकवचनम् द्विवचनम्
बहुवचनम् मनछ प्रथम पुरुषः। जानीयात्
जानीयाताम् जानीयु: मध्यम पुरुषः जानीयाः
जानीयातम् जानीयात उत्तम पुरुषः जानीयाम्
जानीयाव
जानीयाम कृ (करना to do) पर विधिलिङ् (प्रार्थना, सुझाव- request, suggestion) क एकवचनम्
बहुवचनम् प्रथम पुरुषः कुर्यात्
कुर्याताम्
कुर्युः pp मध्यम पुरुषः कुर्याः
कुर्यातम्
कुर्यात उत्तम पुरुषः कुर्याम्
कुर्याव
कुर्याम अस् (होना-to be) विधिलिङ (प्रार्थना, सुझाव-request, suggestion) एकवचनम् द्विवचनम्
बहुवचनम्व र पर प्रथम परुषः
स्याताम् मध्यम पुरुषः स्याः
स्यातम्
स्यात उत्तम पुरुषः स्याम्
स्याव
स्याम धातु-सची जीवाट नियमिताः धातवः
हीमा
भर
हास्यात
लटू
धातुः फल् अर्जु
फलति
अर्जति
3.
राज्य
मार लामा लोट
विधिलिङ् फलिष्यति अफलत्र फलतु । फलेत् अर्जिष्यति आर्जत् अर्जतु राजिष्यति अराजत् राजतु खेलयिष्यति अखेलयत् खेलयतु कीर्तयिष्यति अकीर्तयत् कीर्तयत् कीर्तयेत् ताडयिष्यति अताडयत् ताडयतु ____ ताडयेत्
अजेत् र राजेत् राडा खेलयेत्
खेलय् कि
राजति खेलयति कीर्तयति ताडयति
4.
कीर्तय 6. ताडय्
100
Page #106
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________________
प्रषयत
प्रष
म प्रेषयेत
तपेत्
ए
त्य
त्यजति
7. वर्जय वर्जयति वर्जयिष्यति अवर्जयत् वर्जयतु वर्जयेत् 8. पोषय पोषयति पोषयिष्यति अपोषयत् पोषयत् । पोषयेत् 9. दर्शय दर्शयति दर्शयिष्यति अदर्शयत् दर्शयतु दर्शयेत् 10. गमय गमयति गमयिष्यति अगमयत् गमयतु गमयेत् 11. घोषय ( घोषयति घोषयिष्यति अघोषयत् घोषयतु घोषयेत् 12. सूचय् 18 सूचयति सूचयिष्यति असूचयत् सूचयतुला सूचयेत् 13. प्रेषय् ( प्रेषयति ।
(barssiqadol) अनियमिताः धातवः 14. तप्त
पति
तप्स्यति अतपत् तपतु 15. स्पृश्य स्पृशति स्प्रक्ष्यति अस्पृशत् स्पृशतु जण स्पृशेत्
त्यक्ष्यति अत्यजत् त्यजतु त्यजेत् छ वह वहति वक्ष्यति अवहत् वहतु
वहेत् शप् शपति शप्स्यति अशपत् । शपतु शपेत् 19. सिध् (सिध्य) सिध्यति । सेत्स्यति असिध्यत् सिध्यतु सिध्येत्
मुच् (मुञ्च्) मुञ्चति मोक्ष्यति अमुञ्चत् । मुञ्चतु मुञ्चत् 21. सद् (सीद्) सीदति - सत्स्यति असीदत्त सीदतु -सीदेत् : 22. कृत् (कृन्त्) कृन्तति । कर्तिष्यति अकृन्तत् कृन्ततु । कृन्तेत् 23. सिच् (सिञ्च्) सिञ्चति सेक्ष्यति असिञ्चत् सिञ्चतु सिञ्चेत् 24. इष् (इच्छ्) इच्छति एषिष्यति ऐच्छत् इच्छतु इच्छेत् 25. जि (जय) जयति जेष्यति अजयत् मह जयतु जयेत् 26. दूरीभू (भव्) दूरीभवति दूरीभविष्यति दूर्यभवत्* दूरीभवतु दूरीभवेत्र
oil do Taitabarmati अनियमितःधातःto the ansiti 27. ज्ञा जानाति ज्ञास्यति अजानात् जानातु जानीयात् __ * दूरी + अभवत्
.
DELIANTIWOli
उपसर्ग-यक्ताः धातवः
संस्कृत-सोपानम् के प्रथम भाग में तीन तथा द्वितीय भाग में बारह उपसर्ग-युक्त धातुएँ पढ़ाई गई थीं। यहाँ इस प्रकार की तेरह धातुएँ और दी जा रही हैं । थोड़े ही प्रयत्न से हमारे शब्द-भण्डार को बढ़ाने में ये धातुएँ सहायक हैं।
101
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________________
॥
॥
॥
॥
॥
Three prefixes in the first part and twelve prefixes in the second part of Sanskrit Sopanam were introduced to you. Another thirteen are given here. With a little effort, they can enrich your vocabulary enormously.) 1. निर् + गम् (गच्छ) हि = निकलना
(to go out) - 2. उप + गम् (गच्छ्) मन - पास जाना प्राधा (to go near) जा 3. प्रति + आ + गम् (गच्छ्) = वापस आना (to return) IN HET 4. प्र + सद् (सीद्)
= प्रसन्न होना
(to be pleased) 5. प्र + नश् (प्रणश्य)
भाग जाना
(to run away) 6. प्र + सृ (सर)
फैलना
(to spread) 7. परि + नी (परिणय) = विवाह करना
"(to marry) 8. उप + हस्
= मज़ाक करना (to joke) 9. उप + दिश
= उपदेश देना (to advise) 10. उत् + नी (नय्) = उन्नत करना (to uplift, to help
progress) 11. सम् + वद् (संवद्) = बातचीत करना
(to converse) 12. अव + तृ (तर) 2 = उतरना PRE (to get off; to
कायती
descend). 13. वि + भा
(to shine) पण
सान्धः कीरिकीपल पहले पद के अन्तिम वर्ण तथा दूसरे पद के प्रथम वर्ण के मेल को सन्धि कहते हैं (Joining the last letter of the first word with the first letter of the following word is called Sandhi). 1. अनुस्वार सन्धिः
म् + व्यञ्जन
अनुस्वार जैसे-बालम् + पश्यामि = बाल पश्यामि, भोजनम् + खादति = भोजनं खादति,
देशम् + रक्षन्ति = देशं रक्षन्ति । म 12. दीर्घ सन्धिः
जिसका महा (क) अ, आ + अ, आ = आ
जैसे-न + अस्ति = नास्ति, विद्या + अपि = विद्यापि, विद्या + आलयः =
= चमकना
-
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________________
विद्यालयः हिम + आलयः = हिमालयः कक्षा
जैसे-गच्छति + इति = गच्छतीति, नदी + इन्द्रः = नदीन्द्रः, नारी + ईश्वरः =
नारीश्वरः, मुनि + ईशः = मुनीशः काकाजी (ग) उ, ऊ + उ, ऊ = ऊ
t oridrididehidabis barsatruoy) जैसे- साधु + उदयः = साधूदयः, वधू + उपदेशः = वधूपदेशः, वधू + ऊर्जा =
वधूर्जा :o-midi) (घ) ऋ + ऋ = ऋin
रानडीया कामगार - जैसे-पितृ + ऋणम् = पितॄणम्, दातृ + ऋषिः = दातृषि. 3. गुण सन्धिः (क) अ, आ + दू, ई = ए
जैसे-देव + इन्द्रः = देवेन्द्रः, महा + इन्द्रः = महेन्द्रः, महा + ईशः = महेशः, नर
+ ईशः = नरेशः (ख) अ, आ + उ, ऊ = ओ
जैसे-धन + उपयोगः = धनोपयोगः, महा + उत्सवः = महोत्सवः, महा + ऊर्मिः
= महोर्मिः, जल + ऊर्मिः = जलोमिः । जति (ग) अ, आ + ऋ = अर
जैसे-देव + ऋषिः = देवर्षिः, महा + ऋषिः = महर्षिः 4. वृद्धि सन्धिः (क) अ, आ + ए, ऐ = ऐ
जैसे-एक + एकः = एकैकः. लता + एवम् = लतैवम्, (यदा + ऐतिहासिकः = यदैतिहासिकः,
काशा पर + ऐतिहासिकः = परैतिहासिकः
हामीलाना 5. यण् सन्धिः = इ, ई + स्वर (इ, ई को छोड़कर).
जैसे-इति + आदि = इत्यादि, प्रति + एकम् =, प्रत्येकम् नारी + आभरणम् =
नार्याभरणम्, नदी + अनुकूलम् = नद्यनुकूलम् 6. विसर्ग सन्धिः (daria
(क) (Lambhir अ: + अ
ओs
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Page #109
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________________
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
जैसे-नरः + अस्ति = नरोऽस्ति, अन्यः + अपि = अन्योऽपि छात्रः + अलसः =
छात्रोSलसः । Pाधिक संख्या किनारकीरज
तीस तक संख्या गत कक्षा में पढ़ चुके हैं। इकतीस से पचास तक यहाँ देखिए (You learned numbers upto thirty in the previous book. Now we introduce to you 31 to 50 and 60, 70, 80, 90, 100) एकत्रिंशत् = इकतीस
(thirty-one) द्वात्रिंशत् = बत्तीस
(thirty-two) त्रयस्त्रिशत् = तैंतीस
(thirty-three) चतुस्त्रिशत् = चौंतीस
(thirty-four) पञ्चत्रिशत् = पैंतीस
(thirty-five) षट्त्रिंशत् = छत्तीस
(thirty-six) सप्तत्रिंशत् = सैंतीस
(thirty-seven) अष्टात्रिंशत् = अड़तीस
(thirty-eight) नवत्रिंशत् = उन्तालीस
(thirty-nine) चत्वारिंशत् = चालीस
(forty) एकचत्वारिंशत् = इकतालीस
1 (forty-one) द्वाचत्वारिंशत् = बयालीस
(forty-two) त्रयश्चत्वारिंशत् = तैंतालीस :
(forty-three) चतुश्चत्वारिंशत् = चवालीस
(forty-four) पञ्चचत्वारिंशत् = पैंतालीस
(forty-five) षट्चत्वारिंशत् = छयालीस कारण
(forty-six) सप्तचत्वारिंशत् = सैंतालीस
(forty-seven) अष्टाचत्वारिंशत् = अड़तालीसा (forty-eight) नवचत्वारिंशत् उञ्चास
(forty-nine) पञ्चाशत्
(fifty) षष्टिः
3 साठापमानित (sixty) सप्ततिः = सत्तर +रा
(seventy) अशीतिः
(eighty) नवतिः = नब्बे
(ninety) : शतम् = सौ
(hundred)
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
TITITITIE BEI
॥
॥
॥
= पचास काल
= अस्सी शुभम
॥
104
Page #110
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्तिः
F विना, रक्ष गम्, सह, दा, प्रति, प्रच्छ, कथ, ध, नमः इन दस शब्दों के बारे में विभक्ति-सम्बन्धी विशेष नियम अब तक पढ़ाए जा चुके हैं । इसी प्रकार कुछ और नियम देखिए (Special rules for vibhakti - use with these words have already been introduced. Here are a few more rules) - esv शब्दाsunnual विभक्तिः . उदाहरणम् ।
roast loss 1. धिक् tosibsaid
द्वितीया ...तं जनं धिक् यः देशाय न जीवति । 2. (समयवाचक शब्द
(unitine dinlense time word) द्वितीया सः मासं व्याकरणम् अपठत् । 3. अलम्
तृतीया विस्तरेण अलम् । 4. रहित
तृतीया विद्यया रहितः नरः पशुवत् भवति । 5. सहित
तृतीया
धनेन सहितः नरः सुखं विन्दति । 6. अनन्तरम्
पञ्चमी भोजनात् अनन्तरं सः कुत्र गमिष्यति ? 7. (डरना-fearing) पञ्चमी ते सिंहात् भीताः सन्ति । 8. हेतु
पञ्चमी रा अन्नस्य हेतोः कषकः गच्छति । 9. (दो की तुलना में-in It comparing two) पञ्चमी रामात् मोहनः चतरतरः । 10. पश्चात्
षष्ठी 28) कार्यक्रमस्य पश्चात् ताः गृहं गच्छन्ति । 11. (दो से अधिक की smiarttom
लिए तुलना-in comparingo 10t) more than two) षष्ठी ती बालानाम् मोहनः चतुरतमः । मि या
सप्तमी बालेषु मोहनः चतुरतमः ।
STEPTE
SE
1. जिससे डर लगे, उसके वाचक शब्द में पञ्चमी (The word denoting source ___of fear takes पंचमी) 2. हेतु शब्द में ही पञ्चमी विभक्ति आती है, न कि इसके साथ आने वाले शब्द में
(The word हेतु itself takes पंचमी). 3. जिससे तुलना की जाए, उसके वाचक शब्द में निर्दिष्ट विभक्ति का प्रयोग (The
word denoting the one compared with takes the indicated vibhakti).
20mama
105
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विशेषणम् इस पुस्तक में कुल 132 विशेषण शब्द पढ़ाए गए हैं। प्रत्येक पाठ में प्रयुक्त विशेषणों के तीनों लिंगों के रूप पाठ के अन्त में दिए गए हैं। विशेषण-विशेष्य का नियम संस्कृत-सोपानम् के प्रथम भाग में पढ़ाया गया था। इस नियम के अनुसार ही विशेषणों का प्रयोग करना चाहिए (A total of 132 adjectives were introduced in this book. The three gender forms of each are also given at the end of each lesson. The rule for adjective and the noun it qualifies was introduced in Part I. Make use of that rule in using adjectives in your Sanskrit writing).
ZOW OL का अव्ययाः गणक
मण.६
॥
॥
॥
॥
॥
इस पुस्तक में आए अव्ययों की सूची (List of अव्यय in this book)
(Oh, hey) स्म परिधत - भूतकालिक निपात (past-tense-maker particle) इतस्ततः रात को - इधर-उधर घा (here and there) प्रति चल्वाक्षिा = की ओर
(towards) 1- कि 5)२ सर्वदात्याशित = हमेशामा (always) Commightsornoos यथा कलेला जैसे
(as) प्राचीन काल में (in old times) काठEST तथाहि पारिश्न = जैसे
(for example) meaniप्राक् डारिश पहले नाम
(before) tourisdicrom ततः = उसके बाद
(thereafter) और भी
(furthermore) अपरम्
(other) मुहुर्मुहुः __= बार-बार
(again and again) 165110 यथाशक्ति निर शक्ति के अनुसारका (according to one's capability) कदाचित् = कभी, शायद (sometime, perhaps) SIT) तर्हि
= तो पाइए कि
(then) द्राक
(soon) मिथः = आपस में, DOTaqmos.
(with one another) बस
(no more)
किञ्च
= दूसराज्य
जल्दी
का
अलम्
106
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॥
॥
सजावक
पुनः
।
धिक्
॥
॥
॥
॥
॥
॥
इति
॥
॥
सामने
॥
॥
प्रथमम् = पहले
(first of all) अतीव
= बहुत अधिक (very much) onाहिर - फिर
(again) dihant song पुरः = सामने
(in front of) bonuboniti ams. सविनयम् = नम्रतापूर्वक
(humbly) chgorqqe nimadi अनु पीछे
(after) = धिक्काराणी (curse)TTETypiste तावत् = तो
की (then) तथा
= उस प्रकार की (in that manner) यथा = जिस प्रकार
(as) आतृप्ति पेट भर कर
(to one's satisfaction) अनन्तरम् = बाद
(after) = (कथन-समाप्ति-सूचक) (denotes end of direct speech) इत्थम् इस प्रकार
(thus) सम्मुखम्
(in front of) क्रमण = धीरे-धीरे, बारी से
(slowly, by turns) कुत्रचित् = कहीं
(somewhere) नहि
(no, not) कुतः = कहाँ से
(from where) साम्प्रतम् = उचित
(proper) = लिए - (for) यद्यपिडात बेशक लाइवह (although) तथापि = तो भीsaities (even then)
की सत्यम् = सचमुच
(truly) gaampaad ji anmol पश्चात् = बाद में कांक (after)
करना नाम
= नामकलि (named) मार = शाबाश!
(well done !) क मर mort Donors pageshio patri o mototals sevai
महावरे (Idioms):
जिसका महावरे भाषा को सन्दर और सरल बनाते हैं ।सभी भाषाओं में महावरेदार प्रयोग होते हैं। संस्कृत में भी इस प्रकार के अनेक प्रयोग हैं। उनमें से केवल छः प्रयोग इस
॥
॥
॥
॥
कृते
साधु
॥
107
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पुस्तक में दिए गए हैं। छात्र उन्हें याद करें तथा उचित स्थान पर उनका अधिकाधिक प्रयोग करें (Idioms make the language beautiful and lucid. Every language has idiomatic usages. So does Sanskrit. Only six of them are introduced in this book. Students should memorize them and use them in appropriate contexts.)
1. श्रुतिपथम् आ + गम् ] 2. बुद्धिसरणिम् अव + तृ3. मूर्ध्नि स्थापय् atually 4. दिष्ट्या वर्धसे । 5. कि बहुनाishushri 6. पूर्वस्मिन् वयसि
(aoiussialisation
अन्ये नियमाः
(doseq1. वर्ण-सम्मेलनम्-संस्कृत में पहले शब्द के अन्तिम म् को दूसरे शब्द के
प्रारम्भिक स्वर के साथ मिला कर लिखने की प्रथा बहुत प्रचलित है (In Sanskrit writing it is a custom to write together the final of the first word with the initial vowel of the following word)—
SMSATION
' गजम् अपश्यम् Silu = गज-म् अ-पश्यम् = गजमपश्यम् एवम् आसीत्
एव-म्आ-सीत् = एवमासीत् - फलम् इति
= फल-म् इ-ति = फलमिति 2. स्म-प्रयोग-'स्म' एक निपात है। वर्तमान-कालिक क्रिया के बाद स्म लगाने से क्रिया भूतकाल की बन जाती है (स्म is a particle. Use स्म after a present time form and it becomes past tense)— गच्छति स्म, खादसि स्म,s) कुर्वन्ति स्म का
का 3.चित-प्रयोग-'किम्' शब्द के रूपों के बाद चित् लगाया जाता है । 'किम्' शब्द प्रश्नवाचक है परन्तु चित् लगाने से पूरा रूप अनिश्चयवाचक विशेषण बन जाता है। (चित् is used after the forms of किम्. Its use changes the meaning from interrogative to indeterminate विशेषण)
किम् + चित् = किञ्चित् कः + चित् = कश्चित् पर कैः + चित् = कैश्चित् का + चित् = काचित् कामाबा
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4. तर-तम-प्रयोग-गुणवाचक विशेषणों के मूल रूप के बाद क्रमशः तर या तम का प्रयोग करके उत्तरावस्था या उत्तमावस्था के रूप बनाए जाते हैं। दो की तुलना में तर का प्रयोग होता है और दो से अधिक की तुलना में तम का (तर and तम are used to form comparative and superlative adjectives)
नद्याः जलात् कूपस्य जलम् मधुरतरम् । फलेषु आम्रम् मधुरतमम् ।
5. भवत्-प्रयोग-भवत् आदरसूचक मध्यमुरुष सर्वनाम है। इसकी क्रिया सदा प्रथम पुरुष में आती है। (भवत् is a second person pronoun indicating respect, but it always takes third person verb.)
भवान् गच्छति । भवन्तः पठन्ति । भवान् गच्छसि अशुद्ध रूप है।
6. तस्- (तः)-प्रयोग-प्रायः पञ्चमी विभक्ति के अर्थ में इसका प्रयोग होता है। संज्ञा या सर्वनाम के मूलरूप के बाद इसे लगा दिया जाता है (तस् (तः) is added to nouns or pronouns and gives the sense of latit vibhakti).
हिमालयतः गंगा निर्गच्छति । सः नदीतः जलम् आनयति ।
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शब्द-कोशः
अ
अधिक
बाद
अक्षरम्
अक्षर, अविनाशी अचिरम्
जल्दी अति
बहुत अतीव
बहुत अधन
निर्धन
- ज़्यादा अनन्तरम् - Tortones
Lilicope अनागतम्
न आया हुआ अनुकल
अनुकूल अन्तरिक्षम्
आकाश अन्नम्
अन्न अन्य
दूसरा अपरम्
दूसरा अभिप्रायः
अभिप्राय अमर Panा अमर
कमाना
अर्थ अलम्
बस, समर्थ अलस
आलसीPPED अव+तु अविद्य
विद्या-हीन अश्वत्थः
पीपल का पेड़ राक्षस
(letter, indestructible) (soon) (very) (very) (poor) (more) (after) (not yet come) (convenient) (sky) (grain) (other) (other) (purpose) (D) (immortal) मा (to earn) anmommyndunior (meaning) (stop, capable) (lazy) (to descend) (uneducated) (pipal tree) (demon)
अर्ज अर्थ:
उतरना
असुरः
आकृतिः आखेट: आच्छादित आजीविका
शक्ल शिकार ढका हुआ रोजी
(figure) (hunting) (covered) (livelihood)
110
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________________
आतृप्ति आत्मवत् आत्मा आनन्द: आभरणम् आशा आशीर्वादः आयुष्मत् आवश्यकता
जी भर कर अपने समान आत्मा आनन्द आभषण आशा आशीर्वाद आयुष्मान् आवश्यकता
(to one's content) (like one's ownself) (soul) (enjoyment) (ornament) (hope) '(blessing) (long-lived) (necessity)
इतस्ततः
इति
इधर-उधर इस प्रकार, (कथन-समाप्ति सूचक) इतिहास इस प्रकार इन्द्रिय रावी नदी चाहना
इतिहास: इत्थम् इन्द्रियम् इरावती इष
(here & there) (thus, denotes end of direct speech (history) (thus) (sense) (Ravi river) (to want)
R
ईदृश
इस प्रकार का
(of this type)
उच्च dिiosisio ऊँचा उत्तर दिशा
उत्तर दिशा उन्नत Emirates उन्नत उत+नी
ऊँचा ले जाना उत्साहः
उत्साह उदरस्थ
पेट में स्थित, खाना उद्घाटनम्
उद्घाटन उद्यत
तैयार उद्यमः
परिश्रम उपक्रमः
आरम्भ उप+गम्
पास जाना on nounny 111
(high) (northern direction) (high, prosperous) (to take up) (courage) (to swallow food) (inauguration) (ready) (hard work) (beginning) (to go near)
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उप+दिश् उपदेशः उपयोगः उप+हस् उपहारः उपायः
उपदेश देना उपदेश उपयोग मज़ाक उड़ाना उपहार उपाय
(to give sermons) (sermon) (utility) (to joke) (gift) (device)
एवंविध
इस प्रकार का
(of this type)
ऋषिः
ऋषि
(sage)
कंकणम् कः (किम्) कोऽपि कण्ठः कदाकार कदाचित् कथा करः करतलध्वनिः कर्कटिका कर्मभूमिः कर्मयोगिन् कर्मशुद्धिः कल्याणम् काठिन्यम् कारणम् कार्यक्रमः काव्यम् किञ्च
कड़ा, कंगन कौन कोई भी गला भद्दे आकार वाला कभी, शायद कहानी हाथ ताली की आवाज़ ककड़ी कर्मभूमि कर्मयोगी काम की शुद्धि कल्याण कठिनाई कारण कार्यक्रम काव्य और संक्षेप में कहना, दोहराना
(bangle) (who) (any body) (neck) (of ugly form) (sometime, perhaps) (story) (hand) (clapping) (a type of cucumber) (field of action) (yogi believing in action) (purification in action) (well-being) (difficulty) (cause) (programme) (poetry) (and) (in short) (to mention, repeat)
कि बहुना
कीर्तय
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कुतः कुत्रचित् कुरूप कुशल कुशलम् कुशलिन्
कृतिकारः कृत कृपालु कृष्णवर्ण कोकिला क्रिया क्रीडकः क्रीडा क्रीडा-स्थलम्
कहाँ से कहीं भद्दा कुशल कुशलता सकुशल काटना रचनाकार लिए कृपा करने वाला काले रंग वाला कोयल काम खिलाड़ी खेल खेल का मैदान क्रोधित धीरे-धीरे
(from where) (somewhere) (ugly) (skillful) (well-being) (doing well) (to cut) (creator) (for) (kind) (black-coloured) (cuckoo) (action) (player) (game) (playground) (angry) (gradually, by turns)
क्रमण
क्षण
क्षणः क्षमा
क्षिप्
खण्डम्
क्षमा फेंकना छोटा टुकड़ा खाने योग्य वस्तु दःखी खेल खेल खिलाना
(moment) (forgiveness) (to throw) (small) (piece) (eatable) (desperate) (game) (to make play)
खाद्यम् खिन्न खेलः
खेलय
गण्डकः गतिः
गैंडा चाल जाने वाला
(rhinoceros) (speed) (goer)
गन्तु
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गमय
गर्जनम्
गदर्भः गवेषणा गुणः
भेजना गरजना गधा खोज गुण आचार्य ग्रन्थ ग्रह गर्मी की छुट्टियाँ
(to send) (roaring) (donkey) (research) (virtue) (teacher) (big book) (planet) (summer vacation)
गुरुः
ग्रन्थः ग्रहः
ग्रीष्मावकाशः
घोषयु
घोषित करना
(to announce) .
चतुर्थ
चक्रम्
चक्र, पहियाचटकः
चिड़िया
चौथा चन्द्रभागा hua चिनाब नदी चरण-कन्दुकम् । फुटबॉल चाप urddha
धनुष चिन्तयितृ
सोचने वाला निशान
(wheel) (sparrow) (fourth) (Chenab river) गगन (footbal) (arch) (thinker) (sign)
चिह्नम्
छात्रावासः छाया
छात्रावास छाया
(hostel) (shade)
जनः जननी जन्तुः जन्तुराजः जन्तुशाला जलाशयः जालम् जि (जय्)
आदमी माता प्राणी "शेर चिड़ियाघर तालाब (जाल जीतना
(man) (mother) (creature) (lion) (100) (water pool) (net) (to win)
(apta
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जीर्ण जीवितम् ज्ञा
फटा हुआ जीवन जानना सबसे बड़ा
(torn) (life) (to know) (eldest)
ज्येष्ठEER
तदनु
ततः
उसके बाद 'तथा
उतना, उस प्रकार तथापि
तो भी तथाहि
जैसे
उसके बाद तदर्थम्
उसके लिए तप्
तपना तपस्
तपस्या तपस्विन् 30ts तपस्वी -तम
sdo
(after that) (that much, in that manner) (even then) (for example) (thereafter) (for that) (to shine) (penance) (ascetic)
Fero-वाँ
(-th)
पेड़
तर्हि THE C 1 ताडय्
(boor
पीटना तातः Febaglo प्रिय तापः aando गर्मी तावत्
तो तीरम्
किनारा तीव्र
तेज़ तेजस्विन्
तेजस्वी त्य
छोड़ना त्रिवर्ण
तिरंगा
(tree) (then) (to beat) (dear) (heat) (then) (shore) (fast) (illustrious) (to leave) (tri-coloured)
न
दकारः दत्तध्यान दन्तः दमनम् दया
'द' अक्षर ध्यान - युक्त दाँत दमन दया
(letter द) (attentive) (tooth) (control) (kindness)
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________________
दयाल
दर्शनम्
दरिद्रदेवः
दर्शय
दलम्
दातृ
देने वाला
दानम्
दानवती दानशील दाराः दिवसः दीर्घशिख
दयावान्
(merciful) देखना
(seeing) निर्धन हैं देव जिसके (one who regards the poor
as his god) दिखाना
(to show) दल
(team)
(giver) दान
(charity) दान-युक्त
(full of charity) दान देने वाला
(charitable) पत्नी , .. (wife) दिन
(day) लम्बी चोटी वाला (one with a long lock of
hair on the head) कमज़ोरी
(weakness) दूर होना
(to go away) देवत्व
(godlihood) देवों का देव
(God of gods) देश का
(of the country) भाग्य
(fate) पक्का
(firm) पक्के निश्चय करने वाला (determined) धन
(wealth) जल्दी
(soon) दरवाज़ा
(door)
दुर्बलता दूरी+भू देवत्वम् देवदेव देशीय
दैवम्
दृढ़-निश्चय द्रविणम् द्राक् द्वारम्
धनादेश: धनुष्मत् धर्मः धार्मिक धावनम्
मनी-आर्डर धनुषधारी धर्म धार्मिक धोना धिक्कार
(money-order) (archer) (religion, duty) (religious) (washing) (curse)
धिक्
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________________
धीवरः
मछियारा झण्डा
(fisher-man) (flag)
ध्वजः
नदी
(river)
नभस्
(sky)
नमस्कारः नव नवीन नहि नाम नारी निमग्न निम्नलिखित नियमः नि+गम् निर्णायकः निर्भय नर्मल निशा निश्चयः निश्चयवत् निश्शंक निश्श्वसित निष्काम-भावना
नदी आकाश नमस्कार नया नया नहीं नामक स्त्री मगन निम्नलिखित नियम निकलना निर्णय करने वाला निडर (भय रहित) साफ रात निश्चय निश्चय-युक्त शंका रहित जिसका साँस फूला है फल-कामना से रहित विचार नेता कमी
(salute) (new) (new) (not) (named) (woman) (absorbed) (mentioned below) (rule) (to go out) (referee, judge) (fearless) (clean) (night) (determination) (full of determination) (without any doubt) (out of breath) (idea without desire
of fruit) (leader) (shortcoming, shortage)
नेतृ
न्यूनता
पञ्चम् पण्डित पतिव्रतम् पयस्
पाँचवाँ विद्वान् पतिव्रत पानी, दूध
(fifth) (scholar) (devotion to husband) (water, milk)
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Page #123
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________________
पर
पर-पीडनम्
परलोक:
परहस्तगत
पराहः
परिचयः
परिणामः
परि+नी (नय्)
परिवारः
परीक्षा
परोपकारः
पर्वतः
पर्वतराजः
पशुः
पश्चात्
पापम्
पाषाणः
पिता
पितृ-चरण
पितृ-भूमिः
पुण्यभूमिः
पुण्यम्
पुनः
पुरा
पुरः
पुरुषकारः
पुष्प - माला
पूजनीय
पूर्ण पूर्णिमा
पूर्व
पूर्वम्
(egbu
02 00
दूसरा
दूसरों को सताना
परलोक
(other) (harassing others)
(the other world)
दूसरे के हाथ में गया हुआ (gone in other's hands)
दूसरा दिन
परिचय
(the other day) (introduction) (result)
परिणाम
(to marry)
(family) (examination)
(good of others)
विवाह करना
परिवार
परीक्षा
भलाई
पहाड़
पर्वतों का राजा
पशु
बाद
पाप
पत्थर
पिता
पूज्य पिता
पितृभूमि
पुण्यभूमि
पुण्य
फिर
प्राचीन काल में
सामने
परिश्रम
फूलों का हार
पूज्य
सारा
पूर्णिमा
पूर्व दिशा
पहले
118
飯
(mountain)
(king of mountains)
(animal)
(after)
(sin)
(stone)
(father)
(respected father)
(fatherland)
(sacred land) (religious merit)
(again)
(in old days)
(in front of)
(hard work)
(garland)
(respected)
(full)
(full moon night)
(east)
(earlier)
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________________
.
पोषय प्रकृतिः प्रगाढ प्रचारः प्रजा प्रति प्रति+आ+गम् प्रतिकूल प्रातर्विधिः प्रतिशोधः प्रतीक्षा प्रथम प्रथमम् प्र+नश् प्रबुद्धः प्रभुः प्रयोगः प्रयोजनम् प्रवेशपत्रम् प्रशंसित प्र+सद् (सीद्) प्रसन्न मुख प्र+सृ प्रसृत प्राक् प्राचीन प्रार्थना प्रासादः प्रेषय
पूछा गया .. पोषण करना कुदरत - बहुत गहरा प्रचार प्रजा की ओर वापस आना विरुद्ध शौचादि बदला इन्तज़ार पहला सबसे पहले भाग जाना जागा हुआ ईश्वर प्रयोग उद्देश्य
(asked) (to nourish) (nature) (intense) (propaganda) (people) (towards) (to return) (opposite) (call of nature) (revenge) (wait) (first) (first of all) (to run away) (awake) (God) (use) (purpose) (ticket) (admirer) (to be pleased) (one with a smiling face) (to spread) (spread) (before) (old) (prayer) (palace) (to send)
टिकट
प्रशंसक प्रसन्न होना हँसमुख फैलना फैली हुई
पहले
पुराना प्रार्थना महल
भेजना
फलम्
फल
(fruit)
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________________
बद्ध बन्धुः बल-युक्त बलवत्
बँधा हुआ भाई बलवान् बलवान् बहुत बहुत कीमती बुद्धिमान् समझ में आना
(captured) (brother) (strong) (strong) (very) (very costly) (wise) (to be understood)
बहु
बहुमूल्य बुद्धिमत् बुद्धिसरणिम् अव+तृ
भगवत् भयम् भवत् भाग्यपरः भाग्यम् भाग्यवत् भानुः भाषणम् भाषा भारतीय भीत
भगवान् डर आप भाग्यवादी भाग्य भाग्यवान्
(God) (fear) (you-respectful) (fatalist) (fate) (fortunate) (Sun) (speech) (language) (Indian) (frightened) (past, creature, monster) (very much)
भाषण भाषा भारतीय डरा हुआ बीता हुआ, प्राणी, भूत अत्यधिक
भूतम्
भृशम्
बीच
मन्दिर
मध्यः मन्दिरम् मनुष्यः मनुष्यत्वम् मनोरथः महर्षिः महापकः महापंजरकः
मनुष्य मानवता इच्छा
(middle) (temple) (man) (humanism) (desire) (great sage) (great mud) (big cage)
महर्षि
बड़ा कीचड़ बड़ा पिंजरा
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________________
महोदयः मातृ मातृभूमिः मानवः मासः मिथः मिष्टान्नम् मुग्ध मुच् (मुञ्च्) मुहुर्मुहुः मूनि स्थापय्
महोदय माता मातृभूमि मनुष्य महीना आपस में मिठाई भोला, मोहित छोड़ना बार-बार सबसे ऊपर रखना चूहा लगभग मरा हुआ मिट्टी
(Sir) (mother) (motherland) (human being) (month) (with one another) (sweetmeat) (innocent, infatuated) (to leave) (again and again) (to place on the top) (mouse) (half dead) (clay, soil)
मूषकः
मृतप्राय मृत्तिका
यज्ञ
(fireworship) (who ever)
जा
यज्ञः यः (यत्) यत्नः यत्नवत् यथा
(effort
प्रयत्न यत्नवान् जैसे, जिससे
यथाशक्ति यथेच्छम् यद्यपि यशस् यशस्विन्
शक्ति के अनुसार इच्छानुसार बेशक यश यशस्वी यात्री यान युक्त रणक्षेत्र युद्ध का समय
(engaged in effort) (as in the manner mentioned) (according to capability) (as you please) (although) (fame) (famous) (traveller) (conveyance) (with) (battle-field) (time of war)
यात्रिन्
यानम् युक्त युद्धभूमि: युद्धवेला
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________________
रथः
रक्षणम् रक्षा
(protection) रक्षा रक्षा
(protection) रजकः धोबी
(washerman) रत लीन
(busy) रथ
(chariot) रसवती प्रेम से भरी
(full of love) रहित रहित
(without) राक्षसः राक्षस
(demon) रागः सांसारिक प्रेम
(wordly attachment) राज् चमकना
(to shine) राजकुमारी राजकुमारी
(princess) राजकुमारः राजकुमार
(prince) राजनीतिज्ञः राजनीतिज्ञ
(politician) राजनीतिः राजनीति
(politics) राज्ञी रानी
(queen) राज्यम् राज्य
(kingdom) रात्रिः रात
(night) राष्ट्रदेवः राष्ट्र को देवता मानने वाला (one who regards nation as
his god) राष्ट्रिय राष्ट्रीय
(national) रुग्ण रोगी
(ailing) रुचिः ॥dsasoorgid रुचि
(interest) रूपम् सुन्दरता, रूप
(beauty)
लक्ष्मीः लिखित लुब्ध लोभः लोष्टः
धन की देवी लिखित लालची लोभ मिट्टी का ढेला
(goddess of wealth) (written) (greedy) (greed) (lump of earth)
वचन-द्वयम्
दो शब्द
(two words)
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--------------------------------------------------------------------------
________________
वत्
वयस्
तरह उम्र छोड़ना वर्ष आज्ञाकारी बहना वाक्य
वाणी
वर्जय वर्षम् वंशवद वह वाक्यम् वाणी वायुः वार्ता वार्षिक वास्तव्यः विचारः विचारशुद्धिः विज्ञानम् वितस्ता विद्या विद्यावत्
(like) (age) (to leave) (year) (obedient) (to flow) (sentence) (speech) (air) (talk) (yearly) (inhabitant) (thought) (purification of thoughts) मा (science) (Jhelum river) (learning) (scholar) (moon) (Beas river) (to shine) (step-mother)
me (detatched) (marriage) (various) (multi-coloured) (one with a big body) मी (world) (trust) (betrayal) (expansion) (astonished) (speed)
विधुः
हवा बात वार्षिक निवासी विचार विचारों की शुद्धि विज्ञान जेहलम नदी विद्या विद्वान् चन्द्रमा ब्यास नदी सुशोभित होना सौतेली माँ वैराग्य-युक्त विवाह अनेक प्रकार का अनेक रंगों वाला बड़े शरीर वाला संसार विश्वास विश्वासघात विस्तार चकित गति (
123
विपाशा वि+भा विमाता विरक्त विवाहः विविध विविध-वर्ण विशालकाय विश्वम् विश्वासः विश्वासघातः विस्तरः विस्मित वेगः
The
Page #129
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________________
(scientist) (medical science) (old) (arrangement) (lion) (hunter) (exercise)
वैज्ञानिक
वैज्ञानिक वैद्यकम्
चिकित्सा-विज्ञान
बूढ़ा व्यवस्था
प्रबन्ध व्याघ्रः
बाघ व्याधः
शिकारी व्यायामः
कसरत श 'शतद्रुः
सतलुज नदी शत्रुः
शत्रु शप्
शाप देना शब्दः
शब्द शब्दिका good
सीटी 'शरीरम्
शरीर 'शवः
लाश "शशिन्
चन्द्रमा शास्त्रम्
शास्त्र शिक्षा
शिक्षा शिखरम्
चोटी शुद्ध
शुद्ध शुष्ककेश
सूखे बालों वाला 'शोधकम्
साबुन श्रद्धावत्
श्रद्धा-युक्त श्रमवती
मेहनत से भरी श्रान्त
DoTuote थका हुआ श्रीमत (bodsides श्रीमान् श्रुतिपथम् आ+गम्
सुनने वाला व श्रोत्रम्
कान
(Satluj river) (enemy) (to curse) (word) (whistle) (body) (dead body) (moon) (scripture) (education) (peak) (pure) (dry-haired) (soap) (full of reverence) (full of hard work) (tired) (sir)
al
درد
सुनना
श्रोतृ
(to hear) (listener) (ear)
व
स
सकल
सारा
(all)
124
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सखा
सज्जा
सत्यम् सद् (सीद्)
सभा
समर्थ
समाधिः
समाप्त
समुत्पन्न
समुद्रः
(molmo मित्र
सजावट,
सच
moni बैठना
सभा
(bateur समर्थ (sash समाधि
air niw on समाप्त
(stubei उत्पन्न
(समुद्र सामने
सम्मुखम् (slandings
सम्+वद्
समान
सरस्
सर्वदा
सविनयम्
सहायक
सहायता
सहित
संकल्पः
संकेतः संसक्त-लोचन
संसारः
संस्कृतिः
सादरम् साधु (अव्यय)
साधुः
साधूदयः
साम्प्रतम्
सार:
साहित्यम्
सिच् (सिंच्) सिंधू
frlour
बातचीत करना
(101891 हमेशा
समान
सरोवर (फीकी
10-moon सहायता
Ayuotosसाथ
तैयारी
(नम्रता पूर्वक
Masala मदद करने वाला
(blog पक्का इरादा
(Smoolaw संसार
(noblog इशारा
(adjoy आँखें गढ़ाए हुए
(Simon संस्कृति
आदर के साथ ठीक, शाबाश
fts/li> साधु, सज्जन
(sanslaiv)
(astrow)
102531
(15qqidarew-out)
Tony (finished)
PSET (truth)
TFF (to sit)
सज्जन की उन्नति
उचित
सार
साहित्य
सींचना
सिद्ध होना
ast
(friend)
ए
(decoration, preparation)
क
(PPP) EP
125
(meeting)
(capable) FI(meditation)
(born)
(ocean)
(in front of)
(to converse)
(like)
(lake)
(always)
FP(humbly)
(helper) 15S(help)
(with) TE(determination)
PE
WETRE
(proper)
(essence) (literature)
हाल
STEP
(hint)
10-10
(one with eyes fixed)
(world)
(culture) (respectfully) (well done)
(Sadhu, gentleman)
(rise of sadhu)
(to irrigate)
(to be done)
एक
HES
कु
FETIES
155
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प्रती
育
遊
एनि
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सुख
सेना
EFRONTER
सुखम्
(comfort) सुप्त mundibinod सोया हुआ गि (asleep) सूर्योदयः सूर्य का उदय
(sun-rise) सूच् (सूचय) सूचित करना
(to inform) सेना
(army) -स्थ स्थित
(situated) स्थानम् स्थान
(place) स्थूलौष्ठ
मोटे होंठों वाला (one with thick lips) स्नातकः ग्रेजुएट
(graduate) स्नानम् स्नान
(bath) स्नेहिन् प्रेम
(affectionate) स्पर्शः छूना
(touch) स्पृश् छूना
(to touch) (भत-कालिक निपात) (past-tense-maker) स्रष्ट रचयिता
(creator) स्व
अपना
- (own) स्वच्छ.
साफ़ TOP (clean) स्वयंवर: स्वयंवर
(Groom-choosing THE
ceremony) स्वर्णम् (noiismina सोना
(gold) स्वर्ण-वर्ण
सोने के रंग वाला (golden) स्वरःnapatti आवाज़
(voice) स्वागतम् स्वागत
(welcome) स्वास्थ्यम् सेहत
(health) स्वास्थ्य-वर्धक
स्वास्थ्य बढ़ाने वालाभ (healthy)
हिसा
मारने वाला हिंसा भला बर्फ
हितम्
हिमम्
(killer) (violence) (welfare) (snow) (Oh!) (reason) (fire-worshipper)
अरे
कारण हवन करने वाला
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________________ .00 रामायण अभिज्ञान शाकुन्तलम् यज /अथवेद पीताम्बर