Book Title: Zen Katha
Author(s): Nishant Mishr
Publisher: Nishant Mishr

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Page 14
________________ साइकिल एक ज़ेन गुरु ने देखा कि उसके पाँच शिष्य बाज़ार से अपनी-अपनी साइकिलों पर लौट रहे हैं। जब वे साइकिलों से उतर गए तब गुरु ने उनसे पूछा चलाते हो?" "तुम सब साइकिलें क्यों पहले शिष्य ने उत्तर दिया- "मेरी साइकिल पर आलुओं का बोरा बंधा है। इससे मुझे उसे अपनी पीठ पर नहीं ढोना पड़ता " । गुरु ने उससे कहा "तुम बहुत होशियार हो जब तुम बूढ़े हो जाओगे तो तुम्हें मेरी तरह झुक कर नहीं चलना पड़ेगा "। अच्छा लगता है". हो" । हूँ"। रहेगा" । दूसरे शिष्य ने उत्तर दिया - गुरु ने उससे कहा - "तुम हमेशा अपनी आँखें खुली रखते हो और दुनिया को देखते तीसरे शिष्य ने कहा गुरु ने उसकी प्रशंसा की अनुभव करता हूँ"। "जब मैं साइकिल चलाता हूँ तब मंत्रों का जप करता रहता चौथे शिष्य ने उत्तर दिया "मुझे साइकिल चलाते समय पेड़ों और खेतों को देखना "तुम्हारा मन किसी नए कसे हुए पहिये की तरह रमा - "साइकिल चलाने पर मैं सभी जीवों से एकात्मकता गुरु ने प्रसन्न होकर कहा - "तुम अहिंसा के स्वर्णिम पथ पर अग्रसर हो" । पाँचवे शिष्य ने उत्तर दिया- "मैं साइकिल चलाने के लिए साइकिल चलाता हूँ" । गुरु उठकर पाँचवे शिष्य के चरणों के पास बैठ गए और बोले "मैं आपका शिष्य हूँ"। 13

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