Book Title: Yuktiprakasha Sutram
Author(s): Padmasagar Gani, 
Publisher: Mahavir Granthmala

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Page 9
________________ युक्तिप्रकाशः (एटले ) क्षणिकज थाय. एवो भावार्थ छ के, ज्यारे सर्व पण पदार्थ क्षणिक छे, एमज ते स्वीकार्यु, त्यारे क्षणिक पणाने साधनाऊं प्रमाण एज छे, (एम) कहेवू (एटलेके). अर्थ क्रिया करनार होवाथी क्षणिक पदार्थ छे, एम (कहेवू.) आ पण (प्रमाण ) सर्व पदार्थोनी अंदर आवीजवादी क्षणिकजछे, एवो भावार्थ छे. शंका करेछे के, क्षणिकपणाने साधनाऊं प्रमाण जो क्षणिक थाय, तो आ चालती बाबतमां शुं दोष छे! ते माटे कहेछे के, तथा च इति, तथा च (एटले ) एम होते छते क्षणिक होवाधी अकसमयबाद अछता (एटले) नष्ट थयेला (एवा) ते क्षणिकपणुं साधनारां प्रमाणे करीने केवीरीते तेनो प्रमा ( एटले) क्षणिकपणानो प्रमा उत्पन्न इशके ! एम भावार्थथी जाणवू. प्रभा तो अहीं अनुमानरूपज ग्रहणकराय छे (अने) तेम करवाथी आ भावार्थ छे क्षणिक पणुं अहीं साधवानुं छे. अर्थक्रिया करनार होवाथी, एवो हेतु छे. (हवे) हेतु तो ज्यारे छतो होय, त्यारे पक्षधर्म पणानासमानाधिकरणपणायें करीने साध्यना अनुमानने उत्पन्न करेछे. (अने) हेतुने तो विनश्वरपणुं होवाथी पक्ष धर्मपणाना आभावथी केवी रीते साध्यना अनुमानने उत्पन्न करवापणुं थाय! कोइपण रीते न थाय, एवो भावार्थ छे. अहीं दृष्टांतद्वारायें (तेसंबंधि) दृढता देखाडे छे. इव (एटले) जेम हेतुरूप एवा धुंबाडावडे करीने हुताशन, (एटले ) अग्नि, अनुमान उत्पन्नथाय छे, (केमके) ते नष्ट न थवाथी [तेने] पक्षधर्मनुं समानाधिकरणपणुं छे. एवीरीते आ हेतु क्षणिक होवाथी [ तेनावडेकरीने ] पोतानासाध्यतुं अनुमान उत्पन्न करीशकातुं एवो अर्थ छे. एवीरीते काव्यनो अर्थ [जाणवो.] ॥२॥

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