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साहित्यिक क्षेत्र व शोध कार्य में रुचि रखने के कारण इस अपभ्रंश अकादमी के विकास के कार्य में कोई वित्तीय कठिनाई नहीं आने देते ।
इस अकादमी के कार्य का स्वागत अनेक विश्वविद्यालयों एवं संस्थाओं ने किया है । कतिपय विश्वविद्यालय तो इसे मान्यता प्रदान कर अपने प्राध्यापकों को प्रशिक्षण के लिए इस अकादमी में भेज रहे हैं। अकादमी द्वारा संचालित अपभ्रंश सर्टिफिकेट कोर्स के चार सत्र पूरे हो चुके हैं। पांचवा सत्र चालू है । अपभ्रंश डिप्लोमा कोर्स की परीक्षा में भी अनेक विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। इस वर्ष से पत्राचार द्वारा अपभ्रंश सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम चालू किया जा रहा है। कोई एक दर्जन विश्वविद्यालयों के हिन्दी - विभागों के प्राध्यापक आदि इस पाठ्यक्रम में सम्मिलित हो रहे हैं।
अपभ्रंश भाषा के पठन-पाठन की व्यवस्था से इस अकादमी द्वारा इस भाषा को ठीक प्रकार समझने का जो कठिन कार्य हाथ में लिया गया है, उसके सुखद परिणाम दूरगामी हैं और इससे इस भाषा के विकास का भविष्य उज्जवल लगता है। सभी आधुनिक भारतीय भाषाओं का समान आधार अपभ्रंश है। इस भाषा में सदियों से जो ग्रंथों की रचनाएं हुई, वे हमारे देश की धरोहर हैं। उन्हीं रचनाओं के उद्देश्य को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य और उसके आधार पर साहित्यरचना का नवीन कार्य जो अपभ्रंश साहित्य अकादमी ने हाथ में लिया है वह अभिनन्दनीय है और कल्याणकारी है ।
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वरिष्ठ पत्रकार सी-6, मोती मार्ग, बापू नगर, जयपुर
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