Book Title: World Jain Conference 1995 6th Conference
Author(s): Satish Jain
Publisher: Ahimsa International

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Page 206
________________ 'गणित कोष्ठक' 'चतुरंग लेखन' 'तण्डुल स्थापन' आदि शीर्षक की कन्नड़ भाषा की कुछ अज्ञात कृतियाँ भी मुड़बद्री के भंडारों में संग्रहीत हैं।" कर्नाटक भाषी प्रदेश में प्राचीन समय में कन्नड़ लिपि प्रचलित थी। फलतः उक्त लिपि से विज्ञ बंधुओं की सुविधा हेतु क्षेत्रीय विद्वानों ने श्रीधर (श्रीधराचार्य), महावीर (महावीराचाय) आदि के ग्रन्थों का कन्नड़ में रूपान्तर किया एवं बल्लभ आदि कतिपय विद्वानों ने उन पर कन्नड़ में टीकायें भी लिखीं। प्राचीन ग्रन्थों के संपादकों का यह अनुभव रहा है कि दक्षिण भारतीय पांडुलिपियां अपेक्षाकृत अधिक शुद्ध प्रामाणिक एवं पूर्ण हैं अतः पाठान्तर के संशोधन एवं कई दशकों पूर्व प्रकाशित गणित विषयक ग्रन्थों तथा श्रीधर कृत गणितसार (त्रिंशतिका या पाटीगणितसार) के विवादास्पद अंशों के समाधान हेतु इन दक्षिण भारतीय प्रतियों का अध्ययन आवश्यक है। लगभग 80 वर्ष पूर्व पं. सुधाकर द्विवेदी द्वारा सम्पादित इस प्रकाशित कृति के कर्ता की धार्मिक मान्यता के विषय में भी गंभीर विवाद उत्पन्न हो गया है। 20 दक्षिण भारत में कार्यरत् जैन संस्थाओं को वरीयता देकर इन ग्रन्थों का उद्धार करना चाहिए। यह साहित्य की अनुपम सेवा होगी। गणित विषयक कन्नड़-साहित्य से संबंधित सभी सूचनाओं का सदैव स्वागत है। आभार __प्रस्तुत लेख के सृजन हेतु एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु मैं कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ (शोध संस्थान), इन्दौर का आभारी हूं। सन्दर्भ, ग्रन्थ एवं लेख 1. अनुपम जैन (अ) “गणित के विकास में जैनाचार्यों का योगदान", एम.फिल. योजना विवरण- पृ. 256, मेरठ विश्वविद्यालय, मेरठ 1980. (ब) “कतिपय अज्ञात जैन गणित ग्रन्थ' गणित भारती (दिल्ली), 4 (1-2), 61-71, 1982. (स) महावीराचार्य - एक समीक्षात्मक अध्ययन (सह लेखक सुरेशचन्द्र अग्रवाल) दि. जैन त्रिलोक शोध संस्थान, हस्तिनापुर, 1985।। (द) “गणित के विकास में जैनाचार्यों का योगदान" पी.एच.डी. शोध प्रबन्ध, मेरठ विश्वविद्यालय, मेरठ, 1992 2. हीरालाल कापड़िया-"प्रस्तावना-गणित तिलक" गायकवाड़ ओरियंटल सीरिज, बड़ौदा, 1937 3. कस्तूरचंद कासलीवाल-Jain Granth Bhandars in Rajasthan, Sri Mahavir Ji (Rajasthan), 1966 4. के. भुजबली शास्त्री (अ) “कन्नड़ प्रांतीय ताड़पत्रीय ग्रन्थ सूची" भारतीय ज्ञानपीठ काशी 1948 (ब) “पंपयुग के जैन कवि' कुन्थुसागर ग्रन्थमाला, शोलापुर (स) “कन्नड़ जैन साहित्य" अर्थात् जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग-7 पा. वि. शो. संस्थान, वाराणसी 1981 5. एम.सी. मालप्पा-“Sri Bhoovalaya" अंतर्गत् श्री भूवलय परिचय पुस्तिका दिल्ली, 1956 6. नेमीचन्द्र जैन, शास्त्री (अ) "भारतीय ज्योतिष' (प्रथम संस्करण), भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, 1952 (ब) भारतीय ज्योतिष का पोषक जैन ज्योतिष, वर्णी अभि. ग्रन्थ, सागर 1962 (स) "तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा", भाग -4 भा.दि.जैन विद्वत् परिषद्, वाराणसी, 1974 7. एस.एन. सेन,-"Bibliography of Samskrit Works on Astronomy and Mathematics" I.N.S.A. (N.Delhi) 1966 ए. के. बाग एवं एस. राजेश्वर शर्मा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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