Book Title: World Jain Conference 1995 6th Conference
Author(s): Satish Jain
Publisher: Ahimsa International

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Page 245
________________ महापाप से अवश्य बचना चाहिए। आजकल गर्भिणी महिला को सोनोग्राफी से यदि पता चलता है कि गर्भस्थ शिश कन्या है तो वह उसे जन्म से पूर्व ही गर्भपात द्वारा मरवा देती है। यह कार्य हिंसा के साथ ही सामाजिक अपराध भी है। यदि कन्याएं ही नहीं होंगी तो कुछ समय बाद लड़के व लड़कियों का असन्तुलन हो जाएगा। परिणामस्वरूप लड़कियों के लिए लूटमार व अपराध होने लग जाएंगे। अतः नारी द्वारा नारी की हत्या मत करिए। यदि अवांछित कन्या जन्म लेती है तो उसे किसी निःसन्तान दम्पत्ति को गोद दे दें जिससे उनका घर खुशियों से भर जाएगा। अब तो राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र व केन्द्र सरकारों ने गर्भस्थ लिंग-परीक्षण व गर्भपात पर कानूनी रोक लगा दी है। वास्तव में इसका पालन तो महिला वर्ग को स्वयं ही करना पड़ेगा। कर्म-निर्जरा के लिए हम तप नहीं कर पाते फिर भी रात्रिभोजन छोड़ सकते हैं। यदि वह भी न हो सके तो नवकारसी के पञ्चखान रख सकते हैं, और यदि इतना भी न हो तो घंटे दो घंटे जितनी भी देर कुछ भी नहीं खाना है उतनी देर का त्याग रखकर भी कर्म खपा सकते हैं। मन, वचन और कर्म तीनों तरह से अहिंसा का पालन करने वाले गुणी जनों का कुटुम्ब सुखी होता है। माता-पिता को कष्ट न दें, उनका विनय करें, पति-पत्नी परस्पर अपमानजनक व्यवहार न करें। बालकों को गाली न दें, उनपर हाथ नहीं उठायें, बच्चों को अच्छे संस्कार दें, नौकरों के साथ सद्व्यवाहर करें, प्रतिक्षण जीव-अहिंसा का भाव रखें। रात्रि सोते हुए, प्रातः उठते हुए-खामेमी सव्वे जीवा, सब्वे जीवा खमन्तु में, मित्ति में सव्वभूएसू वेरं मज्झ न केणई' का भाव रखें व विनय विवेक द्वारा पुण्य का उपार्जन करें और पापबंध से बचें। क्या आपको यह जानकारी है ? भारत की भूमि पर कत्लखानों (बूचड़खानों) का जाल बिछाया जा रहा है। 2) मदिरा व माँस के उत्पादन में भरपूर वृद्धि करने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा है। 3) पशुओं की नृशंस हत्या करने वाले जंगी कत्लखानों को भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा “फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री' के नाम से स्वीकृति दी जाती है। 4) माँस व चमड़े के निर्यात द्वारा हुंडि या धन कमाने की लालसा में भारी वृद्धि। अहिंसा प्रधान देश को हिंसामय प्रदेश बनाने की कई सरकारी योजनाएँ कार्यान्वित। पशुओं का काटना, मारना, मछलियों का व्यापार करना सबको उद्योग के नाम से सरकार द्वारा स्वीकृति व प्रोत्साहन देना, इंडस्ट्रीअल डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंकों से कम ब्याज में पैसा उधार दिलाने व, सबसीडी आदि सभी की व्यवस्था करना। 7) एलोपैथी व होम्योपैथी औषधियों का अधिकांश पशु-पक्षियों की हत्या करके निर्माण । पशुहत्या करके उसमें से रक्त, माँस, चमड़ा, चरबी, हड्डी और आंत प्राप्त की जाती है। रक्त का उपयोग हेमोग्लोबिन, औषधियों के रूप में, अधिकांश चरबी साबुन के उत्पादन में, हड्डी टूथपेस्ट में, मांस भोजन में, चमड़ा मुलायम जूतों में उपयोग किया जाता है। यदि आप स्वयं को अहिंसावादी मानते हैं तो सोचें और हिंसा का शक्ति से प्रतिकार करें। भारतीय संविधान ने हमें जो अधिकार दे रखे हैं उसके अंतर्गत हमें हमारी संस्कृति को बचाना है, जीवरक्षा, पर्यावरण व धर्म की रक्षा करनी है। उसका उपयोग हम उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय में कर रहे है। आप भी उसका उपयोग करें। अभी तक पशुरक्षा के कई निर्णयों में सफलता प्राप्त हो चुकी है और आगे भरपूर सफलता के लक्ष्य को प्राप्त करना है। सौजन्य से माणकचंद जैन (लुहाड़िया) सी 2/54 एस.डी.ए. हौज खास. नई दिल्ली-110016 फोन : 663399, 6963399, 665374 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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