Book Title: World Jain Conference 1995 6th Conference
Author(s): Satish Jain
Publisher: Ahimsa International
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22. भिक्खुस्स य निक्खेवो निरुत्त एगट्ठाआणि लिंगाणि । अगुणट्ठिओ न भिक्खू अवयवा पंच दाराइ | — दशवैकालिक नियुक्ति 10/332
23. निक्खेवेट्ठा निरुत्तविही पवित्ती य केण वा कस्स ? तद्दारभय लक्खण तयरिहपरिसा य सुत्तत्यो । वही 1/5
24.
25. निज्जूहगं वंदे — वही 1/13
26.
निज्जूढं किर सभवेण - । वही, 1/12
222222311111
क) निर्यूढं पूर्वगतादुद्धृत्य विरचितं - दशवैकालिक सूत्र, हरिभद्र वृत्ति, 1/12 पृ० 9 ख) नियूर्हकं, पूर्वगतोद्धतार्थ विरचनाकर्त्तारं - वही 1/14, पृ० 10
Ghatege, A.M. Dasavaikalika Niryukti, I:H.O., Dec. 1935, p. 628 वही
27.
28.
29.
आवश्यकसूत्र, हरिभद्र टीका, पत्र 363
30. Ghatege, A.M. I.H.O., p. 628 दशवैकालिक सूत्र, हरिभद्र वृत्ति, पृ० 19 32. अनुयोग द्वार सूत्र, 69 33. दशवैकालिक सूत्र, हरिभद्र वृत्ति, पृ० 19 34. अनुयोग द्वार सूत्र, 149
35.
36.
स्थानांग सूत्र, स्थान 1 37. भगवती सूत्र, 2 / 1; 20/2
38. अनुयोगद्वार सूत्र, 29-74
39.
निक्षेप : न्यासः स्थापनेति पर्यायाः- आव० नि० हरिभद्र वृत्ति, गा० 79, पृ० 54 गहणं आदाणं ति होति णिसो तहाहियत्यम्मि ।
40.
खिव पेरणे व भणितो अहि उक्खे वो तु निखेवो । जीतकल्प भाष्य, 809
41.
निक्षिप्यतेऽनेनेति निक्षेपः। नियतो निश्चितो क्षेपो निक्षेपः । सूत्रकृतांग चूर्णि, पृ० 17
42. जुत्ती सुजुत्तमग्गे जं चउभेयेण होई खलु, ठवणं । वजे सदि णामादिसु तं णिक्खेवं हवे समये । - बृहद्नयचक्र, 269 43. क) संशय विपर्यये वा स्थितस्तेभ्योऽपसार्य निश्चये क्षिपतीति निक्षेपः षट्खंडागम, धवला टीका, 4 / 1, 3, / 1 / 2/6
ख) णिच्छए णिण्णए खिवदि ति णिक्खेओ । धवला पु० 1, पृ० 10
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, भा० 2, पृ० 591
दशवैकालिक सूत्र, बृहद् वृत्ति, (हरिभद्र) पृ० 20
44.
45. धवला, 9/4/1, 45/141/1, 13 /5 / 5, 3/198/4
46.
जैन लक्षणावली, भा० 2 पृ०, 22
47. क) नामस्थापनाद्रव्यभावस्तन्न्यासः । तत्त्वार्थ सूत्र 1/5
ख) न्यासो निक्षेपः । तत्त्वार्थ राजवर्तिक 1/15
48.
आवश्यक निर्युक्ति, पीठिका, गा० 29, 32
49.
दशवैकालिक नियुक्ति, गा० 8, 50. वही, गा० 951, वही, गा० 10, 52. वही, गा० 11, 53. वही, गा० 34 वही, गा० 34, 55. वही, गा० 39, 56. वही, गा० 15357. वही, गा० 160, 58. वही, गा० 161
54.
59. वही, गा० 178, 60. वही, गा० 179, 61. वही, गा० 188, 62. वही, गा० 218, 63. वही, गा० 219
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