Book Title: Vimalnath Prabhunu Charitra
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Guru Ramchandra Prakashan Samiti

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Page 337
________________ छट्टा व्रत उपर रौहिणेयनी कथा संशय नथी. हवे तमने योग्य लागे ते तमारे विचारीने करवुं." मंत्री नितिघटे जोषीनां आ वचनो सांभळी तेने घणुं द्रव्य आप्युं. पछी योग्य समये स्थिरतावाळी रोहिणीए एक पुत्रने जन्म आप्यो. मंत्रीए ते पुत्रने तेनी माता साथे भूमिगृह (भोंयरा) मां राख्यो अने रोहिणीनी बहेने त्यां रही तेनुं सूतिकाकर्म कयुं. ते पुत्रने छूपो राखवाथी पिताए तेनुं नाम पण पाड्युं नहिं. माता रोहिणीना पुत्र पणाथी ते रौहिणेय एवा नामथी ओळखावा लाग्यो. ते भूमिगृहमां रहीने ज वृद्धि पाम्यो. पिताए त्यां उपाध्यायनी पासे शास्त्रोना समूहनुं अध्ययन कराव्युं. ते मंत्रीना घरनी सामे रत्नमाळा नामे एक विदुषी कन्या रहेती हती. एक वखते तेणीए ते पंडितने आग्रहथी पूछयुं के, "तमे हंमेशां अहिं क्यां जाओ छो?' ते सत्य कहो.” ते पंडिते रौहिणेयने भणावा जवानो नवीन वृत्तांत कही दीधो. बुद्धिना भंडाररूप एवी ते कन्याए त्यां जवाने एक सुरंग करावी अने ते रस्ते ज्यां ते चतुर रौहिणेय हतो, ते भूमिगृहमां आवी. तेणीने देखी रौहिणेये पूछ्युं, "तुं कोण छे अने अहिं शा माटे आवी छे?" ते कन्या बोली - "हुं धनदत्तनी कौतुकप्रिया पुत्री छु, 'कळावानने प्रिय अने ? बुध एवो तुं रोहिणीनो पुत्र भूमिमां वासगृह करी रहेलो छे तेने आदरथी जोवाने कोण न आवे? जो हृदयमां आ नगर जोवानी तारी इच्छा होय तो मारी साथे आव हुं तने बधुं नगर बतावुं.” ।।३००।। पछी ते रौहिणेये तेणीनी साथे जई रात्रे बधुं नगर अवलोकन कर्यु. कोई बीजा प्रदेशमां जतां तेने कोई विद्यासिद्ध योगी मल्यो. तेणे तेनो विधिपूर्वक योग्य विनय कर्यो. तेथी ते योगी हृदयमां हर्ष पामी गयो. मान ए मोटा पुरुषोनुं धन छे. ते योगिए रौहिणेयने अदृश्य थवानी विद्या आपी. "विद्यासौ विनयो येन, मुख्यो पायो निगद्यते" विद्या मेळववामां मुख्य उपाय विनय कहेवाय छे. ते विद्यापाठथी सिद्ध करी, एटले तेनाथी ते अवारित 'गति थयो. मणि, मंत्र अने औषध वगेरेनो प्रभाव अचिन्त्य ज छे. एक वखते रौहिणेय ते धनदत्तनी पुत्रीने परण्यो अने तेणे तेने ते भूमिगृहना एक भागमां स्थिति रहितपणे राखी. पछी तेणे पेला उपाध्याय पासेथी नवीन अध्ययन लेवुं बंध कयुं. ज्यांसुधी बीजुं व्यसन न लागे त्यां सुधी ज विद्यानुं व्यसन रहे छे. एक वखते ते रौहिणेय विद्याना बलथी चोरी करवा माटे चाल्यो, 1. कलावान् पक्षे चंद्र. 2. बुध रोहिणीनो पुत्र छे. 3. जेने कोई जतां आवतां रोकी न शके एवो. श्री विमलनाथ चरित्र - पंचम सर्ग 307

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