Book Title: Vimalnath Prabhunu Charitra
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Guru Ramchandra Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 377
________________ ग्रंथ कर्त्तानी प्रशस्ति संघपति रहेता हता. जेओए संवत् १४५२ना निर्दोष वर्षमा सात देवालयोनी साथे शत्रुजय वगेरे तीर्थोनी यात्रा करी हती अने जेओए त्यां श्रीरत्नसिंहसूरिना अने साध्वी वर्गमां शिरोमणि रूप एवा श्री रत्नचूला साध्वीना पगला पधराव्यां हतां. ते हरपति शेठनी नामलदे नामनी पत्नीथी सज्जनसिंह नामे पुत्र थयो. ते सज्जनसिंहनी कौतुकदेवी नामनी स्त्रीथी शाण नामे जयवंत पुत्र थयो, जेमां आ चरित्र ग्रंथनी रचना थई; ते वर्षमां शाणराज शेठे शजय तथा गिरनार तीर्थनी चोवीस देवालयोनी साथे उत्सव सहित विधिपूर्वक हर्षथी यात्रा करी हती. ए शाणराजना आग्रहथी ते रमणीय स्तंभ नगरमां संवत १५१७ना वर्षमां श्रावण मासनी कृष्ण पंचमीने दिवसे चंद्र अश्विनी नक्षत्रमा आवतां रत्नना सिंहासन उपर रहेला श्रीस्तंभतीर्थपति पार्श्वनाथ प्रभुना अने ज्ञानना रत्नाकररूप श्रीमान् उदयवल्लभ गुरुना प्रसादथी में आ ग्रंथ रच्यो छे. धर्मलक्ष्मी अने श्रीजिनभाषित एवा ज्ञान, दर्शन अने चारित्र रूप रत्नोनी लक्ष्मीथी युक्त एवो आ ग्रंथ लोकोमां हमेशां जयवंत थाओ. इति पंचम सर्ग समाप्त श्री विमलनाथ चरित्र - पंचम सर्ग 347

Loading...

Page Navigation
1 ... 375 376 377 378