Book Title: Vimalnath Prabhunu Charitra
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Guru Ramchandra Prakashan Samiti

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Page 358
________________ अगियारमा व्रत उपर मलयकेतुनी कथा साथे ते भुवनमां दाखल थयो, पछी कारीगरे कडु के, "सर्वे पोतपोताना स्थानमा प्रवेश करो, कारण के खीली आपवाथी आ बधो महेल उडशे." सर्वेए तेम कयुं त्यां रथकार पोते बहार नीकळी गयो. पछी तेणे मत्सर भावथी ते खीली दीधी, एटले बधो प्रासाद मळी गयो. ते प्रासाद संपुटना जेवो थई जतां लोकोए हाहाकार कर्यो, तेवामां विजय आवीने शत्रुना नगरमां दाखल थई गयो, बधुं नगर तेणे लुंटी लीधुं अने पोताना मातापिता जे काकजंघ अने तेनी राणी तेमने पांजरामांथी बहार काढ्या पछी राजा कोकासने साथे लई पोताना नगरमां चाल्यो गयो. ___ एक वखते गुरुनो योग थई आवतां राजा काकजंघे पोताना पुत्रने राज्य आपी कोकासनी साथे दीक्षा ग्रहण करी. तेणे कर्मयोगे अतिचार सहित व्रत पाल्युं तेथी ते सौधर्मदेवलोकमां देवता थयो अने कोकासे लांबो काळ अतिचार रहित व्रत पाल्युं, तेथी ते महेंद्रदेवलोकमां उत्तम देवता थयो तेथी पुरुषोए देशावकाशिक व्रत पाळवू के जेथी दुःख न थाय तेमज जंतुओने पीडा पण न थाय. ।।६८८।। इति दशमंव्रतम् प्राज्ञजनोए जिनागममां का छे के, चार पर्वोमां प्रतिमाधर श्रावकोए सर्वथी चार प्रकारचं पौषधव्रत पाळवं. अने बाकीना सशक्त श्रावकोए ए ज प्रमाणे पौषधव्रत सर्वथी पाळवू तथा देशथी-अल्प शक्तिवाळा श्रावकोए देशथी चार प्रकार- पौषधव्रत पाळवं. गृहस्थ श्रावकोने देशथी पौषध करवामां शी हरकत आवे? कारण के पूर्व पुरुषोए तेवो ज श्रावकधर्म कहेलो छे, परंतु जो ते पौषधव्रतनुं पालन न करे, तो व्रतनो भंग थाय छे, माटे सर्व गृहस्थ श्रावकोए पर्वने दिवसे ते शक्ति प्रमाणे ग्रहण करवो जोईए. जेम हमणां पौषधमां शरीरनो (देशंथी) सत्कार करवामां आवे छे, तेम ईर्ष्यारहित (मध्यस्थ) साधुओए आहारनो संबंध पण तेवो ज जाणी लेवो. जे पुरुषो कर्मरूपी रोगमां औषधरूप एवा सुंदर पौषधने पाळे छे, तेओ श्री मलयकेतुनी जेम देवताओने प्रशंसनीय थाय छे. श्री मलयकेतुनी कथा भुवन नामना नगरमां मलयकेतु नामे राजा हतो. तेने नय नामनो बुद्धिन पात्र एक मंत्री हतो. एक वखते तेओ बंने बहारना उद्यानमा फरवा गया. त्यां ज्ञानथी आचारनो उपदेश करनारा एक ध्यानी मुनि तेमना जोवामां आव्या. ते श्री विमलनाथ चरित्र - पंचम सर्ग 328

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