Book Title: Vastusara Prakaran
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 200
________________ - ( १६०) धास्तुसारे उनक तीर्थ में 'वरुण' नामका यक्ष चार मुखवाला, प्रत्येक मुख तीन २ नेत्र वाला, सफेद' वर्णवाला, बैल के वाहनवाला, शिरपर जटा के मुकुट से सुशोभित, आठ भुजावाला. दाहिनी भुजाओं में बीजोरा, गदा, बाण और शक्ति को, बाँयाँ भुजाओं में न्यौला, कमल', धनुष और फरसा को धारण करनेवाला है । उन्हीं के तीर्थ में 'नरदत्ता' नामकी देवी गौर वर्णवाली, भद्रासन पर बैठी हुई, चार भुजावाली, दाहिनी भुनाओं में वरदान और माला; बाँयीं भुजाओं में बीजोरा और शूल को धारण करनेवाली है ॥ २० ॥ इक्कीसवें नमिजिन और उनके यक्ष यक्षिणी का स्वरूप तथैकविंशतितमं नमिजिनं कनकवण नीलोत्पललाञ्छनं अश्विनीजातं मेषराशिं चेति । तत्तीर्थोत्पन्नं भृकुटियक्षं चतुर्मुखं त्रिनेत्रं हेमवर्ण वृषभवा. हनं अष्टभुजं मातुलिङ्गशक्तिमुद्गराभययुक्तदक्षिणपाणिं नकुलपरशुवज्राक्षसूत्रवामपाणिं चेति। नमेर्गान्धारीदेवी श्वेतां हंसवाहनां चतुर्भुजां वरदखङ्गयुक्तदक्षिणभुजद्रयां बीजपूरकुंभ( कुन्त ? )युतवामपाणिव्यां चेति ॥२१॥ नमिजिन नामके इक्कीसवें तीर्थकर हैं, ये सुवर्ण वर्णवाले, नील कमल के लांछनवाले, जन्म नक्षत्र अश्विनी और मेष राशिवाले हैं। उनके तीर्थ में 'भृकुटि' नामक यक्ष चार मुखवाला, प्रत्येक मुख तीन २ नेत्रवाला, सुवण वर्णवाला, बैल का वाहनवाला, आठ भुजावाला, दाहिने हाथों में बीजोरा, शक्ति, मुद्गर और अभय; बाँयीं हाथों में न्यौला, फरसा, वज्र और माला को धारण करनेवाला है। उन्हीं के तीर्थ में 'गांधारी' नामकी देवी सफेद वर्णवाली, हंस के वाहनवाली, चार भुजावाली, दाहिनी भुजाओं में वरदान और तलवार, बाँयीं भुजाओं में बीजोरा और कुभकलश ( भाला? ) को धारण करनेवाली है ॥ २१ ॥ । प्रवचनसारोद्धार में कृष्णवर्ण लिखा है । २० वि० जि. चरित्र में माला लिखा है। ३ प्रवचनसारोद्धार और प्राचारदिनकर में सुवर्ण वर्ण लिखा है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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