Book Title: Vastusara Prakaran
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 263
________________ - - - नग । २१५) प्रथम से ग्राहक बनने वाले मुनिवरों के नाम । नाम नग नाम १० श्रीमान् पंन्यास श्री धर्मविजयजी गणी | १ , तपस्वी श्री गुणविजयजी महाराज महाराज १ श्रीमान् न्याय विशारद न्यायतीर्थ मुनि१०, मुनिराज श्री धीरविजयजी महाराज राज श्री न्यायविजयजी महाराज ५, गणाधीश श्री हरिसागरजी , १ , मुनिराज श्री रविविमलजी , , पंन्यास श्री हिमतविजयजी, १ , मुनिराज श्री शीलविजयजी , मुनिराज श्री कर्पूरविजयजी , १ , मुनिराज श्री महेन्द्रविमलजी ,, (वीर पुत्र) १ , मुनिराज श्री वीरविजयजी , ,, प्रवर्तक श्री कान्तिविजयजी , १ , मुनिराज श्री जसविजयजी , ,, पंन्यास श्री हिमतविमलजी गणी , ,, न्याय शास्त्र विशारद मुनि , मुनिराज श्री कल्याणविजयजी , श्रीचिन्तामणसागरजी (इतिहास रसिक) मुनि श्री रत्नविजयजी ,, मुनिराज श्री उत्तमविजयजी , यतिवर्य पं० लब्धिसागरजी , २ , पंन्यास श्री रंगविजयजी , , , पं० देवेन्द्रसागरजी ,, २ , मुनिराज श्री अमरविजयजी, , पं० अनूपचन्दजी , ,, पार्श्वचंद्रगच्छीय जैनाचार्य ,, पं० प्रेमसुंदरजी , श्री देवचंद्रसूरीजी , पं० लक्ष्मीचंदजी , १ , मुनिराज श्री मानसागरजी , (राजवैद्य) पंन्यास श्री उमंगविजयजी , , पं० रामचंद्रजी पंन्यास श्री मानविजयजी , , वाचक पं० जीवनमलजी १, मुनिराज श्री विवेकविजयजी , गणी महाराज प्रथम से ग्राहक बननेवाले सद्गृहस्थों के नाम । नाम नग नाम १२५ सेण्ड हर्ट रोड का जैन उपाश्रय हस्ते । १५ सेठ किसनलालजी संपतलालजी लूनाशा• मंगलदास चीमनलाल बम्बई वत फलोदी १०० झवेरी सेठ रणछोड़भाई रायचंद १५ सेठ मेघराज भीखमचंद मुणोत फलोदी मोतीचंद बम्बई ५ मिस्त्री भायशंकर गौरीशंकर सोमपुरा २० सेठ रायचंद गुलाबचंद अच्छारी वाले पालीताना बम्बई | ३ सेठ आश्यभाई चतुरभाई मांडल Fro ~ ~ ~ नग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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