Book Title: Vastusara Prakaran
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
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प्रतिष्ठादिक के मुहूर्त
( १९७) शुक्रवार को अशुभ योग
न शुक्रे भूतये ब्राम पुष्यं सापै मघाभिजित् ।
ज्येष्ठा च द्वित्रिसप्तम्यो रिक्ताख्यास्तिथयस्तथा ॥ ११ ॥
शुक्रवार को रोहिणी, पुष्य, आश्लेषा, मघा, अभिजित् और ज्येष्ठा इनमें से कोई नक्षत्र तथा दून, त्रीज, सातम, चौथ, नवमी और चौदस इनमें से कोई तिथि हो तो अशुभ योग होता है ॥ ५१॥ - शनिवार को शुभ योग
शनी ब्राह्मश्रुतिद्वन्द्वा-श्चिमरुद्गुरुमित्रभम् ।
मघा शतभिषक् सिद्धयै रिक्ताष्टम्यौ तिथी तथा ॥ ५२ ॥
शनिवार को रोहिणी, श्रवण, धनिष्ठा, अश्विनी, खाति, पुष्य, अनुराधा मघा और शतभिषा इनमें से कोई नक्षत्र तथा चौथ, नवमी, चौदस और अष्टमी इनमें से कोई तिथि हो तो शुभ योग होता है ॥ ५२ ॥ शनिवार को अशुभ योग
न शनौ रेवती सिद्धथै वैश्वमार्यमणत्रयम् ।
पूर्वागश्च पूर्णाख्या तिथिः षष्ठी च सप्तमी ॥ ५३॥
शनिवार को रेवती, उत्तराषाढा, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढा, पूर्वाभाद्रपदा और मृगशीर इनमें से कोई नक्षत्र तथा पांचम, दसम, पूनम, छट्ठ और सातम इनमें से कोई तिथि हो तो अशुभ योग होता है ॥ ५३ ॥
उक्त सात वारों के शुभाशुभ योगों में सिद्धि, अमृतसिद्धि आदि शुभ योगों का तथा उत्पात, मृत्यु आदि अशुभ योगों का समावेश हो गया है, उनको पृथक् २ संज्ञा पूर्वक जानने के लिये नीचे लिखे हुए यंत्र में देखो।
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