Book Title: Vastusara Prakaran
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
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(१९)
पास्तुसारे
शुभाशुभ योग चक्र
योग | रवि | सोम | मंगल बुध | गुरु | शुक्र | शनि चरयोग | | भाद्री विशाखा रोहिणी शतभिषा, मघा | मूल करच योग | १२ ति "ति. | ३० ति | ति / ८ ति | ७
तिति दग्ध योग | २ ति. ति. | ५ ति | ३ ति. | ६ ति. ८ ति. | ति. विषाख्य योग । ति. | ६ ति • ति. | २ ति. | ८ ति. | ९ ति | . ति. हुताशन योग १२ ति | ६ ति | . ति | ८ ति | ति ..ति...ति | यमघट योग | मघा | विशाखा | पार्दा । मूल | कृत्तिका रोहिणी | हस्त दग्ध योग | भरणी | चित्रा | उ पा. | धनिष्ठा | इ. फा | ज्येष्ठा | रेवती उत्पात विशाखा पूर्वाषाढा| धनिष्ठा | रेवती रोहिणी | पुष्य उ० फा. मृत्यु अमुराधा उत्तराषाढा शतभिषा अश्विनी | मृगशीर | आश्लेषा | हस्त काण | ज्येष्ठा प्राभजित् पू. भा | भरणी | पार्दा | मघा | चित्रा सिद्धि | मूल. | श्रवण | उ. भा. | कृत्तिका | पुनर्वसु | पू. फा. | स्वाति
स
ह . मू. श्र. रो. | अश्विनी. रो. अन्. रे. अन | रे. अन. श्रवण
"| उत्तरा ३. मृ.अनु. उभा. ह. कृ. अश्विनी भावनी रोहिणी योग
पुष्य.अश्वि. पुष्य कृ. प्रा. मृगशिरा पुष्य. पुन पुन. श्र. | स्वाति
अमृत सिद्धि हस्त मृगशिर | अश्विनी अनुराधा पुष्य । रेवती | रोहिणी वज्रमुसल | भरणी | चित्रा | उ. पा. | धनिष्ठा | उ. फा. ज्येष्ठा | रेवती | शत्रुयोग भरणी । पुष्य | उ. पा. | मार्दा विशाखा रेवती | शतभिष
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