Book Title: Vastusara Prakaran
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 259
________________ ( २११) प्रतिष्ठादिक के मुहूर्त गुरु बलहीन हो, मंगल बलवान् हो या नवम पंचम स्थान में रहा हो, शुक्र ग्यारहवें स्थान में रहा हो ऐसे लग्न में महादेव की प्रतिष्ठा करना चाहिये ॥ ८६ ॥ ब्रह्मा प्रतिष्ठा मुहूर्त्त बलहीने स्वसुरगुरौ बलवति चन्द्रात्मजे विलग्ने वा । त्रिदशगुरावायस्थे स्थाप्या ब्राह्मी तथा प्रतिमा ॥ ६ ॥ शुक्र बलहीन हो, बुध बलवान् हो या लग्न में रहा हो, गुरु ग्यारहवें स्थान में रहा हो ऐसे लग्न में ब्रह्मा की प्रतिमा स्थापन करना चाहिये ॥६० ॥ - देवी प्रतिष्ठा मुहूर्त शुक्रोदये नवम्यां चलवति चन्द्रे कुजे गगनसंस्थे । त्रिदशगुरो बलयुक्त देवीनां स्थापयेदाम् ॥ ११ ॥ शुक्र के उदय में, नवमी के दिन, चन्द्रमा बलवान् हो, मंगल दसवें स्थान में रहा हो और गुरु बलवान् हो ऐसे लग्न में देवी की प्रतिमा स्थापन करना चाहिये ।। ६१॥ इंद्र, कार्तिक स्वामी, यत, चंद्र और सूर्य प्रतिष्ठा मुहूर्त बुधलग्ने जीवे वा चतुष्टयस्थे भृगौ हिबुक संस्थे । बासनकुमारयतेन्दु-भास्कराण प्रतिष्ठा स्यात् ।। ६२ ॥ बुध लग्न में रहा हो, गुरु चतुष्टय (१-४-७-१०) स्थान में रहा हो और शुक्र चतुर्थ स्थान में रहा हो ऐसे लग्न में इन्द्र, कार्तिकेय, यक्ष, चंद्र और सूर्य की प्रतिष्ठा करना चाहिये ।। ६२॥ मह प्रतिष्ठा मुहूर्त- यस्य ग्रहस्य यो वर्गस्तेन युक्ते निशाकरे । प्रतिष्ठा तस्य कर्त्तव्या स्वस्ववर्गोयेऽपि वा ।। ६३ ॥ जिस ग्रह का जो वर्ग (राशि) हो, उस वर्ग से युक्त चंद्रमा हो तब याअपने २ वर्ग का उदय हो तब ग्रहों की प्रतिष्ठा करना चाहिये ॥१३॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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