Book Title: Vastusara Prakaran
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 239
________________ प्रतिष्ठादिक के मुहूर्त। (११) प्रतिष्ठा कगनेवाले के साथ तीर्थंकरों के राशि, गण, नाडी भादि का मिलान किया जाता है, इसलिये तीर्थंकरों के राशि आदि का स्वरूप नीचे लिखा जाता है । तीर्थकरों के जन्म नक्षत्रवैश्वी-ब्राह्म-मृगाः पुनर्वसु-मघा-चित्रा-विशाखास्तथा, राधा-मूल-जलर्भ-विष्णु-वरुणो, भाद्रपादोत्तराः । पोष्णं पुष्य-यमक्ष दाहनयुताः पौष्णाश्विनी वैष्णवा, ___ दास्री स्वाष्ट्र-विशाखिकार्यमयुता जन्मक्षमालाहताम ॥३८॥ उत्तराषाढा १, रोहिणी २, मृगशिर ३, पुनर्वसु ४, मघा ५, चित्रा ६, विशाखा ७, अनुराधा ८, मूल ६, पूर्वाषाढा १०, श्रवण ११, शतभिषा १२, उत्तराभाद्रपद १३, रेवती १४, पुष्य १५, 'भरणी १६, कृत्तिका १७, रेवती १८, अश्विनी १६, श्रवण २०, अश्विनी २१, चित्रा २२, विशाखा २३ और उत्तराफाल्गुनी २४ ये तीर्थंकरों के क्रमशः जन्म नक्षत्र हैं ॥ ३८॥ तीर्थंकरों की जन्म राशिचापो गौर्मिथुनदयं मृगपतिः कन्या तुला वृश्चिक श्वापश्चापमृगास्यकुम्भशफरा मत्स्यः कुलीरो हुडः । गौर्मीनो हुडरेणवक्त्रहुडकाः कन्या तुला कन्यका, विज्ञेयाः क्रमतोऽहंतां मुनिजनैः सूत्रोदिता राशयः ॥३६ । ..धन १, वृषभ २, मिथुन ३, मिथुन ४, सिंह ५, कन्या ६, तुला ७, वृश्चिक ८, धन ६, धन १०, मकर ११, कुंभ १२, मीन १३, मीन १४, कर्क १५, मेष १६, वृषभ १७, मीन १८, मेष १६, मकर २०, मेष २१, कन्या २२, तुला २३ और कन्या २४ ये तीर्थकरों की क्रमशः जन्म राशि हैं ॥ ३६॥ . . इसी प्रकार तीर्थंकरों के नक्षत्र, राशि, योनि, गण, नाड़ी और वर्ग आदि को नीचे लिखे हुए जिनेश्वर के नक्षत्र आदि के चक्र से खुलासावार समझ लेना। छपे हुए बृहद्धारणांयंत्र में तथा दिनशुद्धि दीपिका में श्री शान्तिनाथजी का 'अश्विनी नक्षत्र लिखा है यह भूत है, सर्वत्र त्रिषष्टी आदि ग्रंथों में भरणी नक्षत्र ही लिखा हुआ है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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