Book Title: Vastusara Prakaran
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 220
________________ नव ग्रहों का स्वरूप । १ सूर्य का स्वरूप ॐ नमः सूर्याय सहस्रकिरणाय पूर्वदिगधीशाय रक्तवस्त्राय कमल हस्ताय सप्ताश्वरथवाहनाय च । हजार किरणोंवाले पूर्व दिशा के स्वामी लाल वस्त्रवाले हाथ में कमल को धारण करनेवाले और सात घोड़े के रथ की सवारी करनेवाले सूर्य को नमस्कार । २ चंद्रमा का स्वरूप ॐ नमश्चन्द्राय तारागणाधीशाय वायव्यदिगधीशाय श्वेतवस्त्राय श्वे. तदशवाजिवाहनाय सुधाकुम्भहस्ताय च । ताराओं के स्वामी, वायव्य दिशा के स्वामी, सफेद वस्त्रवाले, सफेद दम घोड़े के रथ की सवारी करनेवाले और हाथ में अमृत के कुंभ को धारण करनेवाले चंद्रमा को नमस्कार । ३ मंगल का स्वरूप ॐ नमो मङ्गलाय दक्षिणदिगधीशाय विद्रुमवर्णाय रक्ताम्बराय भूमिस्थिताय कुद्दालहस्ताय च । दक्षिण दिशा के स्वामी. मुंगा के वर्णवाले, लाल वस्त्रवाले, भूमि पर बैठे हुए और हाथ में कुदाल को धारण करनेवाले मंगल को नमस्कार । ४ बुध का स्वरूप ॐ नमो बुधाय उत्तरदिगधीशाय हरितवस्त्राय कलहंसवाहनाय पुस्तकहस्ताय च । निर्वाणकलिका के मत से इस प्रकार मतान्तर है १ सूर्य को लाल हिंगलो के वर्णवाला माना है । २ चंद्रमा के दाहिने हाथ में अक्षसूत्र ( माला) और बायें हाथ में कुंडी धारण करनेवाला माना है। ३ मंगल के दाहिने हाथ में प्रक्षसूत्र ( माला ) और बायें हाथ में कुंडी धारण करना माना है। v बुध पीले वर्णवाले, हाथों में भक्षसूत्र और कुण्डिका माना है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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