Book Title: Vastusara Prakaran
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 226
________________ - मेष-कर्क , (१७) वास्तुसार सूर्यदग्धा तिथि छग चउ भट्ठमि षट्ठी दसममि बार दसमि बीमा छ । बारसि घस्थि बीमा मेसाइसु सूरददिणा ॥८॥ मेष आदि बारह राशियों में सूर्य हो तब क्रम से छठ, चौथ, आठम, छठ, दसम, आठम, बारस, दसम, दूज, बारस, चौथ और दूज ये सूर्यदग्धा तिथि कही जाती हैं ॥ ८॥ सूर्यदग्धा तिथि यंत्रधनु-मीन सक्रांति में मिथुन-कन्या सक्रांति में ८ वृष-कुंभ , सिंह- वृश्चिक , १० तुला- मकर , १२ चन्द्रदग्धा तिथि कुंभधणे अजमिहुणे तुलसीहे मयरमीण विसकके । विच्छियकन्नासु कमा बीआई समतिही उ ससिदड्डा ॥६॥ कुंभ और धन का चंद्रमा हो तब दज, मेष और मिथुन का चंद्र हो तब चौथ, तुला और सिंह का चंद्र हो तब छट्ट, मकर और मीन का चंद्रमा हो तब आठम, वृष और कर्क का चंद्र हो तब दसम, वृश्चिक और कन्या का चंद्र हो तब बारस, इत्यादिक क्रम से द्वितीयादि सम तिथि चंद्रदग्धा तिथि कही जाती है ॥ ४॥ चन्द्रदग्धा तिथि यंत्रकुंभ-धन के चंद्र में २ मकर-मीन के चंद्र में मेष-मिथुन , वृष- कर्क , तुला-सिंह , वृश्चिक-कन्या , प्रतिष्ठा तिथी सियपक्खे पडिवय वीस पंचमी दसमि तेरसी पुण्णा । कसिणे पडिवय बीमा पंचमि मुहया पट्टाए ॥ १० ॥ - १२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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