Book Title: Vastusara Prakaran
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 198
________________ वास्तुसारे उनके तीर्थ में 'गंधर्व' नाम का यक्ष कृष्ण वर्णवाला, हंस के वाहनवाला, चार भुजावाला, दाहिनी भुजाओं में वरदान और पाश, बाँयीं भुजाओं में बीजोरा और अंकुश को धारण करनेवाला है । उन्हीं के तीर्थ में 'चला' (अच्युता) नाम की देवी 'गौरवर्णवाली, मोर के वाहनवाली, चार भुजावाली, दाहिने हाथों में बीजोरा और शूली को बाँयी हाथों में लोहे की कीले लगी हुई गोल "लकड़ी और कमल को धारण करनेवाली है ॥ १७ ॥ अठारहवें अरनाथ और उनके यक्ष यक्षिणी का स्वरूप तथा अष्टादशमं अरनाथं हेमाभं नन्द्यावर्त्तलाञ्छनं रेवतीनक्षत्रजातं मीनराशिं चेति । तत्तीर्थोत्पन्नं यक्षेन्द्रयक्षं षण्मुखं त्रिनेत्रं श्यामवर्ण शङ्खवाहनं द्वादशभुजं मातुलिंगवाणखड्गमुद्गरपाशाभययुक्तदक्षिणपाणिं नकुलधनुश्चर्मफलकशूलाङ्कुशाक्षसूत्रयुक्तवामपाणिं चेति । तस्मिन्नेव तीर्थे समुस्पन्नां धारिणीं देवीं कृष्णवर्णी चतुर्भुजां पद्मासनां मातुलिङ्गोत्पलान्वितदक्षिणभुजां पाशाक्षसूत्रान्वितवामकरां चेति ॥ १८ ॥ अठारहवें 'अरनाथ' नाम के तीर्थकर हैं, वे सुवर्म वर्णवाले, नन्दावर्त के लाञ्छनवाले, जन्मनक्षत्र रेवती और मीन राशिवाले हैं। . उनके तीर्थ में 'यक्षेन्द्र' नाम का यक्ष छः मुखवाला, प्रत्येक मुख तीन २ नेत्रवाला, कृष्ण वर्णवाला, शंख का वाहनवाला, बारह भुजावाला, दाहिने हाथों में बीजोरा, बाण. खड्ग, मुद्गर, पाश और अभय; बांयें हाथों में न्यौला, धनुप, ढाल, शूल, अंकुश और माला को धारण करनेवाला है । उन्हीं के तीर्थ में 'धारिणी' नाम की देवी कृष्ण वर्णवाली, चार भुजावाली, कमल के प्रासनवाली, दाहिनी भुजाओं में बीजोरा और कमल, बांयीं भुजाओं में "पाश और माला को धारण करनेवाली है ॥ १८ ॥ १ श्रा० दि० और प्र० सा० में 'सुवर्ण वर्णवाली' माना है। २ 'मुषुण्ढी स्याद् दारुमयी वृत्तायाकीलसंचिता' इति हैमकोशे । । प्रवचनसारोद्धार निषष्टीशलाकापुरुषचरित्र भौर भाचारदिनकर में 'पद्म' लिखा है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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