Book Title: Vastupal Prashasti Sangraha
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 229
________________ ११० २०८] [सुकृतकीर्तिकल्लोलिन्यादिवस्तुपालप्रशस्तिसङ्ग्रहः ॥ गोसल [ साहु, वरहुडिया] ०२ | चौलुक्य [ राजवंश] ६, १३, ४०, ५५, गौड [ नृपविशेष] ११ ७१, ७४, ७६, ८०, ८३, ८६, [च] ९२, ९६, ९७, १२२, १२३, १४२ चण्डिकायतन [ स्थानविशेष] ४४ | चौलुक्यपुर [अणहिलपुर] चडावलि [चन्द्रावतीनगरी] १५४ [ज] चंडपाल [चंडप] ७१, ७४, ७६, ८०, जगदेव [ श्रीमाल ज्ञा० श्रे०, आसलपुत्र ] ९९ ८३, ८६ | जगसीह [ प्राग्वाट, ठक्कुर] ९८ चंडेश [चंडप] १०९ जगसीह [ ओइल० ज्ञा० महा०, चंडेश्वर [ सूत्रधार] आयोधनपुत्र] चंद्रवती [पुर, पुरी, नगरी] १३, ९५, ९८, | जगा [ प्राग्वाट ज्ञा० श्रे०, जसवीरपुत्र ] ९८ चंद्रावती १००, १५० | जयतलदेवी [ वीरधवलपत्नी] ४३, १०३, चण्ड [ प्राग्वाटश्रे०] १०९ चण्डप [ मन्त्री-ठक्कुर] १६, ३५, ४०, ४६, जयतलदेवी [ जयंतसिंहभार्या ] ५९, ६५, ६६, ९०, ९६, ९७, | जयतसिंह [ महं, वस्तुपालपुत्र] ७९, ८५ १०२, १११, ११२, ११४, | जयतसिंह [स्तंभपुरीय, ध्रुव] ७६, १०९ ११५, १२७, १३०, १४१ | जयतसीह [ महं, वस्तुपालपुत्र ] १०३, १०४ चण्डप्रसाद [ मन्त्री-चण्डपपुत्र- ३५, ४०, | जयदेव [ साहु, वरहुडिया] १०२ ठक्कुर] ४७, ५९, ७१, ७४, | जयश्री [चंडप्रसादपत्नी] १७, ११२, १३० ७६, ८०, ८३, ८६, ९०, ९६, | जयसिंघ [चौलुक्यनृपति] ९७, १०३, १०४, १०५, १०६, | जयसिंहदेव [ चौलुक्यनृपति] ९, ३९, ५७, १०७, १०८, १०९, ११०, १११, ११२, ११४, ११५, १२७, १३०, १४१ जयसिंह [कवि, जैनाचार्य] ६३, ६४ चाणक्य [कौटिल्य] जयसिंहसूरि | चान्द्रकुल [गच्छ] १२० जयादित्य [ नृपविशेष] ११५ चापलदेवी [ महं, चंडपपत्नी] जसकर [ प्रा० ज्ञा० श्रे०] चापोत्कट [ राजवंश] जसडुय [ प्रा० ज्ञा० श्रे०] चामुण्डराज [चापोत्कटनृप] ४, ५६ | जसदेव [ ओइसवाल ज्ञा० श्रे०] १०० चामुण्डराज [ चौलुक्यनृपति ] ७, ३९, १२२ | जसरा [ श्रीमाल ज्ञा० श्रे० आम्बुयपुत्र ] ९९ चारोप [ग्राम] १०२ जसवीर [ प्रा० ज्ञा० श्रे०] ९८ चाहिणि [ साहुजिनचंद्रभार्या ] १०२ जङ्गल [ नृपविशेष] चुलुक्य [चौलुक्य, राजवंश] ३९, ५९, | जयंतसिंह [वस्तुपालपुत्र] ७१, ७४, ७६, ७७, ९०, ९१, ९७, ११५, १२२, ८०, ८३, ८६, ९४ १२३, १२४, १२५, १३७ | जयंतसिंह [कायस्थ] १४० चौड [ नृपविशेष ] जाला [ श्रीमालज्ञा० श्रे०, जिणदेवपुत्र ] ९९ ११४ ९४ १०९ ११ D:\sukar-p.pm5\2nd proof

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