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चोवी पूजन संग्रह ४७४
श्रीपद्मप्रभ पदकंज लक्षण अरुण वरण सुहातह। पूजें अटल पद हेतु स्वामी कलुषताप नशात हैं। ॐ ह्रीं श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्राय गर्भ,जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय संसारा ताप
रोग विनाशनाय चन्दनं निवंपामीति स्वाहा।। अक्षत-चंद्रिका मुक्ता समान सुफेन सम अक्षत लिये। प्रक्षाल प्राशुक नीरमें कर,पुंज तुम आगे दिये॥
श्री पद्मप्रभ पद कंज लक्षण अरुण वरण सुहात है। पूजें अटल पद हेतु स्वामी कलुष ताप नशात हैं ॥ ॐ ह्रीं श्रीपद्मप्रभ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय
अक्षय पद प्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा॥ पुष्प-सित केतकी जाई नुही शुचिं कुंद आदिक जानके। लायो सुमन में तुरत ही के धरे ढिग तुम . आनके । श्री पद्मप्रभु पद कंज लक्षण अरुण वरण सुहात हैं। पूजे अटल पद हेतु स्वामी कलुप ताप नशात हैं ॥ ॐ ह्रीं श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण :
प्राप्ताय काम वाण विनाशनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा ॥ नैवेद्य-पकवान नीके सरस घी के सिता के रसमें बनें । जिस देखते सब क्षुधा नाशे थाल भर लायो ।
घनें । श्री पद्मप्रभ पद कंज लक्षण अरुण वरण सुहात हैं । पूजें अटल पद हेतु स्वामी कलुष ताप नशात हैं। मैं ह्रीं श्रीपद्मप्रभ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय क्षुधा रोग विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा ॥