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चौबी० संजन. 'पूग्रह
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पंचकल्याण प्राप्ताय अनर्घ पद प्राप्तये अर्घ निर्वपामीति स्वाहा।
... अथ पंचकल्याणक । छंद जंग प्रयात। गर्भ-तजो बैजयंत विमानं अनुपा, सुमाता जिनो की सुलक्षण स्वरूपा। तिसी कृषराजे सबै दोष .. भोजे, बदी चैत की पंचमी सार साजे ॥ों ह्रीं श्री चंद्रप्रभ जिनेंद्राय चैत्र कृष्ण पंचमी गर्भ
कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वामीति स्वाहा। जन्म-भ्रमर पोष की रुद्र संज्ञा नवीना, तिहूं ज्ञान संयुक्त तब जन्म लीना ।सुना सीर आये जजे मेरु लाये, तिहुँ लोक में हर्ष आनंद छाये। ॐ ह्रीं श्री चंद्रप्रभ जिनेंद्राय पौष कृष्ण एकादशी जन्म
कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा।। तप-जबै पोष ग्यारस अंधेरी जु आई, तबै भावना द्वादशे आप भाई, पुरीचंद्र त्यागी धरो ध्यान भारी, - सुध्याऊं जिनोंको भये सो अगारी। डोंह्रीं श्रीचंद्र प्रभ जिनेंद्राय पौष कृष्णएकादशी तप कल
प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। ज्ञान-लहो ज्ञान पंचम.तवै इंद्र आयो,समोसन को ठाठ ·
सभा बीच झेलें गणाधीशव .