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चौबी०|| देखे नहीं तो समाना, जु कोई धरे तीय कोई कमाना । जब काम ने आन के शरजु मारे, तबै भ्रष्ट || • पूजन
ब्रह्मादि हुवे सुसारे ॥९॥तजी आपने मांग बाला तुम्हारी, वरी नाहिं नारी भये ब्रह्मचारी। बहत्तर लख संग्रह
वर्ष की आय सारी, किये नाह राजं बने योग धारी ॥१०॥ सबै कर्म जारे गही मोक्षनारी, सुउद्यान | चंपापुरी के मंझारी। प्रभुदास को आपनो बास दीजे, जोई आप भावे वही बेग कीजे ॥ ११॥:::
घत्ताछन्द-जैजै जग खंडन सब गुण मंडन बासुपूज्य जिन काम हना । बखता नित ध्यावे मंगल गावे आतम ज्ञान प्रकाश घना ॥१२॥ रों ह्रीं श्रीवासुपूज्यजिनेंद्राय गर्भ जन्म तप ज्ञान निर्वाणपंचकल्याण प्राप्ताय अनर्घपदप्राप्तये महाघ निर्वपामीति स्वाहा ॥ .. .. अथ आशीर्वादः । छप्पय सिंहावलोकन-जो पूजे मन लाय पूजपद ताको होवे, होवे काम स्वरूप सर्व ..दुःख दारिद खोवे । खोवे सकल अज्ञान करे अनुमोदन कोई, कोई बांचे पाठ तास घर संपति
होई । हो इस लोक को छिनकमें, छिन में पावे शिव सिरी। श्रीवासुपूज्य जिन राज की, रतन भली पूजा करी ॥३॥ इत्याशीर्वादः ॥ इति श्रीवासुपूज्य जिन पूजा संपूर्णाः ॥ १२ ॥
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